जमशेदपुर: पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता चंपई सोरेन के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद आदिवासी समाज के लोग उनसे दूरी बनाना शुरू कर दिया है। आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि चंपई सोरेन से बैर नहीं परंतु भाजपा की खैर नहीं।
समाजवादी चिंतक और अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने एक बयान जारी कर उक्त बातें कही है। कहा है कि चंपई सोरेन के साथ आदिवासी समाज के लोग थे और उनकी इज्जत होती थी परंतु भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद चंपई सोरेन से आदिवासी समाज के लोगों ने दूरी बनाना शुरू कर दिया है। आदिवासी समाज के लोग किसी भी कीमत में भारतीय जनता पार्टी को वोट नहीं करेंगे।
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यह बदलाव ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। अगर चंपई सोरेन कोई संगठन बनाकर या अलग राजनीतिक दल बनाते अथवा निर्दलीय भी चुनाव लड़ेंगे तो आदिवासी समाज के लोगों का समर्थन मिलता, परंतु भाजपा के साथ कोई समझौता आदिवासी समाज के लोग नहीं करेंगे। बीते लोकसभा चुनाव में इसी कारण से सभी आरक्षित सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की हार हुई।
भारतीय जनता पार्टी के पास आदिवासी समाज के कई दिग्गज नेता है वे नेता भी भारतीय जनता पार्टी के पक्ष आदिवासी वोट नहीं गिरवा सकें। इसके बहुत सारे कारण है। अब आलम यह है कि आदिवासी नेता भी सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ने से घबरा रहे हैं। चंपई सोरेन किस दबाव में आकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए इसकी चर्चा ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही है। अब ग्रामीण राजनीतिक रूप से काफी जागरूक हो गए है।
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भारतीय जनता पार्टी की चाल चरित्र और नीति से ग्रामीण वाकिफ है। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व झारखंड चुनाव को लेकर घबराई हुई है इसलिए दबाव डालकर ईडी और सीबीआई का भय दिखा कर दूसरे दलों को कमजोर करने के लिए भाजपा में ला रहे हैं परंतु इससे भाजपा को कोई लाभ मिलने वाला नहीं है।