जमशेदपुर: तुलसी भवन के सभागार में वाणिज्य कर अधिवक्ता संघ जमशेदपुर एवं ए.आई.एफ.टी.पी. (ईस्टर्न जोन) द्वारा संयुक्त रूप से राष्ट्र कर सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें पूरे देश, विशेषकर पूर्वी भारत के विभिन्न शहरों से 410 से अधिक चार्टर्ड अकाउंटेंट एवं कर अधिवक्ताओं ने हिस्सा लिया। जिसमें माननीय जस्टिस श्रीमती अनुभा रावत चौधरी मुख्य-अतिथि के रूप में मौजूद थी। श्री बिनोद कुमार गुप्ता (आई. आर. एस.) कमिश्नर सेंट्रल जी एस टी बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे।
बार के अध्यक्ष बासुदेव चटर्जी एवं सचिव दिलीप कुमार ने बताया की सर्वप्रथम दीप प्रज्वलन के साथ सुबह 9:30 बजे आज के कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद विशिष्ट मेहमानों को गुलदस्ता देकर स्वागत किया गया। इसके बाद मुख्य अतिथि द्वारा सौवेनियर पुस्तक का लोकार्पण किया गया। उन्होंने इसे प्रकाशित कराने के लिए अधिवक्ता अजय अग्रवाल, अधिवक्ता मनीष चौधरी एवं अधिवक्ता पीयूष चौधरी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने व्यापारियों को जारी किए जाने वाले नोटिसों के विषय में चिंता जाहिर करते हुए अपने भाषण में कहा कि विभाग को अस्पष्ट नोटिस जारी करने से बचना चाहिए।
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उन्होंने तकनीक का सहारा लेकर वीडियो कांफ्रेंस से सुनवाई करने का सुझाव भी दिया। उन्होंने जी एस टी के सात साल पूरे होने और इसके सफलता पूर्वक क्रियान्वयन के लिए सभी को बधाई दी। उन्होंने बताया की जी एस टी की कर समाधान स्कीम जल्द आने वाली है जिसका व्यापारियों को पूरा लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने प्रोफेशनल्स से एथिकल प्रैक्टिस और इनोवेशन की ओर कदम बढ़ाने अहवाहन किया।
संघ के अध्यक्ष बासुदेव चैटर्जी ने बताया की आज का सेमिनार दो सत्रों में विभाजित था। प्रथम सत्र जी एस टी की जटिलताओं एवं इसमें आए नए बदलावों पर केंद्रित था जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में मशहूर सी.ए. आंचल कपूर ने अपने उद्गार रखे। उक्त सत्र में अधिवक्ता संघ के संयुक्त चेयरमैन श्री खजांची लाल मित्तल ने स्वागत भाषण दिया, श्री विकाश मित्तल ने चेयरमैन एवं श्री प्रीत वर्धन ने मॉडरेटर की भूमिका निभाई।
श्री विकास मित्तल ने विषय प्रवेश कराते हुए बताया की एक व्यापारी को एक ही विषय पर केंद्र एवं राज्य दोनो का नोटिस देना गलत है। उन्होंने यह भी बताया को कोई भी अधिकारी, व्यापारी को अपनी बात रखने का मौका दिए बिना जी एस टी में ऑर्डर नहीं निकाल सकता है।
श्रीमती आंचल कपूर ने अपने भाषण में बताया की जी एस टी में शो कॉस नोटिस किसी भी कारवाही का आधार होता है। कर अधिवक्ताओं को चाहिए कि वे सर्वप्रथम शो कॉस नोटिस का आकलन सही तरीके से करें। विभाग अक्सर गलत नोटिस जारी करता है जो अपील के वक्त व्यापारी के लिए एक ढाल का काम कर सकता है। उन्होंने आग्रह किया की आप जिस व्यासायी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं उसके व्यापार के बारे में गहरी समझ विकसित करने की कोशिश करें। उन्होंने विभाग द्वारा जारी किए जा रहे विभिन्न प्रकार के नोटिसों की आलोचना की और कहा की अक्सर देखा जा रहा है की अधिकारी बिना कारण नोटिस इश्यू कर रहे हैं। समय बाधित मामलों में भी नोटिस इश्यू किए जा रहे हैं जो की सरासर नियमों का उलंघन है।
उन्होंने बताया की सेक्शन 74 और 76 में सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही नोटिस जारी किया जा सकता है, किंतु अधिकारी इसे समय बाधित मामलों में नोटिस जारी करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने सेक्शन 75 के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कोई भी आदेश जारी करने से पूर्व अधिकारियों का ये कर्तव्य है की वो व्यापारी को सुनवाई का एक मौका जरूर दें। आदेश जारी करने से पहले व्यापारी की बात का सही आकलन हो एवं ऑर्डर में उसका समेशन हो ! नोटिस और आदेश एक ही बिंदु पर होने चाहिए। सर्कुलर 31 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा की अधिकारी को अपने कार्य छेत्र में रहते हुए ही नोटिस जारी करना चाहिए। मॉनेटरी लिमिट का विशेष ध्यान देना चाहिए ! उन्होंने नोटिस के 12 गोल्डन रूल्स भी बताए।
उन्होंने आगे बजट 2024 में प्रस्तावित कर समाधान स्कीम के बारे में बताया की उक्त स्कीम का फायदा मामले के किसी भी स्टेज पर लिया जा सकेगा।
लेकिन इसमें एक बाध्यता यह होगी कि किसी भी आदेश के सभी बिंदुओं पर व्यवसायी को कर समाधान योजना में ही जाना होगा। अतः यदि कोई आदेश जारी होने तक कर समाधान योजना के अंतर्गत आता है तो व्यवसायी को तुरन्त उसमें अपील दायर कर देनी चाहिए तथा अपील में जो भी बिंदु है उसे हटवा देना चाहिए। जिससे शेष बिंदुओं पर योजना का लाभ लिया जा सके। अंत में उन्होंने दो पंक्तियों “जिंदगी तेरे लिए और कोई कामना नहीं है, बस मेरा अगला कदम, मेरे पहले कदम बेहतर हो चाहिए” के साथ अपना भाषण समाप्त किया। इस पर पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। भोजनावकाश के पश्चात अगला सत्र प्रारंभ हुआ। उक्त सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध लेखक एवं वक्ता डॉ गिरीश उपस्थित थे।
उनका परिचय कराते हुए पीयूष चौधरी एडवोकेट ने कहा कि पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट डॉ गिरीश आहूजा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वे 5000 से अधिक सेमिनारों में भाग ले चुके हैं ! वे भारत सरकार की उस समिति में भी हैं जिसने नया आयकर कानून बनाया था! तथा वे विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी कंपनियों में निदेशक के रूप में भी मनोनीत हैं! वरिष्ठ अधिवक्ता मुरलीधर केडिया ने दूसरे सत्र में स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि गिरीश आहूजा व्यापारियों से ज्यादा सरकार के हित के बारे में सोचते हैं। इस पर पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा।
उक्त सत्र के अध्यक्ष अधिवक्ता अरविंद शुक्ला रहे तथा संचालक की भूमिका अधिवक्ता आनंद पसारी ने निभाई। श्री आहूजा ने दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ के नए प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि वास्तव में यह कानून रियल एस्टेट में व्याप्त काले धन के कारोबार को समाप्त करने का एक प्रयास है। इससे भविष्य में सभी को लाभ होगा। उन्होंने इंडेक्सेशन लाभ के बारे में बताया कि यह सिर्फ जमीन और भवन के मामले में ही मिलेगा।
अन्य मामलों में लाभ पर 12.5% टैक्स देना होगा। एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि यदि कोई संपत्ति सर्किल रेट से कम कीमत पर बेची जाती है और बाद में नोटिस प्राप्त होता है तो ऐसी स्थिति में मूल्यांकनकर्ता अधिकारी से अनुरोध करके रिपोर्ट दी जा सकती है जिससे यह साबित हो कि उक्त संपत्ति की कीमत सर्किल रेट से कम है। उनका पूरा सत्र सवालों से भरा रहा, जिसका उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में खुलकर जवाब दिया।
पहले सत्र में एसोसिएशन के सचिव दिलीप कुमार और दूसरे सत्र में जितेंद्र कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। अंत में एसोसिएशन के विभिन्न सदस्यों और विभिन्न शहरों से आए वरिष्ठ अधिवक्ताओं को कर सम्मेलन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
आज के कार्यक्रम को सफल बनाने में वाणिज्य कर अधिवक्ता संघ के सभी सदस्यों और AIFTP (पूर्वी क्षेत्र) के पदाधिकारियों का विशेष योगदान रहा।