फर्जी डॉक्टर और क्लीनिकों के खिलाफ होगा जल्द एक्शन। हाईकोर्ट ने दिया आदेश। IMA ने बनाई लिस्ट।
जमशेदपुर: झारखंड में फर्जी डॉक्टरों और क्लिनिकों के खिलाफ जल्द ही बड़ी कार्रवाई होने वाली है। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य भर में चल रहे इस अवैध धंधे पर रोक लगाने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने फर्जी क्लीनिकों की पहचान और उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। जिला पूर्वी सिंहभूम के सिविल सर्जन डॉ. जुझार मांझी ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिले में फर्जी क्लीनिकों और अस्पतालों पर छापेमारी की जा रही है। ऐसे क्लिनिकों को सील किया जाएगा और उनके संचालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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ऐसे लोग मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर, उनसे मोटी रकम वसूलने में लगे रहते हैं। खबर यह भी मिली है कि कुछ क्लिनिक, हॉस्पिटल, नर्सिंग होम ऑपरेशन का मनमाना रेट तय किये है।
उन्होंने यह भी कहा –
जिला में जितने भी फर्जी डॉक्टर, जिन्होंने बिना किसी उचित डिग्री के मरीजों को दवा देना, उनका इलाज, ऑपरेशन करते हैं उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने यह भी बताया कि अक्सर कई क्लिनिक, नर्सिंग होम, जांच घर या हॉस्पिटल के आसपास बायोवेस्ट/ केमिकल/ सीरिंज/ मेडिसिन्स आदि फेंके पाए गए हैं। ऐसे प्रतिष्ठानों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
मरीजों के साथ धोखाधड़ी
ये फर्जी डॉक्टर न केवल मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं बल्कि उनसे मोटी रकम भी वसूलते हैं। कई मामलों में इन क्लिनिकों में ऑपरेशन के नाम पर मरीजों से मनमाने दाम वसूले जाते हैं।
IMA की भी सक्रियता
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भी इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाते हुए फर्जी डॉक्टरों की एक सूची तैयार की है। यह सूची जल्द ही जारी की जाएगी। IMA का मानना है कि फर्जी डॉक्टरों के कारण मरीजों का भरोसा चिकित्सा व्यवस्था से उठ रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की टीम गठित
फर्जी क्लीनिकों पर कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक विशेष टीम का गठन किया है। यह टीम राज्य के सभी जिलों में जाकर फर्जी क्लीनिकों की पहचान करेगी और उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी। इसके अलावा, क्लिनिकों के आसपास बायोमेडिकल वेस्ट फेंकने वाले प्रतिष्ठानों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
मरीजों को सतर्क रहने की सलाह
स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों से अपील की है कि वे किसी भी अज्ञात क्लिनिक या डॉक्टर के पास इलाज कराने से पहले उनकी योग्यता के बारे में पूरी जानकारी ले लें। साथ ही, किसी भी तरह की शिकायत होने पर वे स्वास्थ्य विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
यह खबर क्यों महत्वपूर्ण है, आइये जानते हैं:
- यह खबर उन लाखों मरीजों के लिए राहत की खबर है जो फर्जी डॉक्टरों के शिकार होते हैं।
- यह खबर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- यह खबर उन सभी लोगों को जागरूक करेगा जो फर्जी डॉक्टरों के चंगुल में फंस सकते हैं।
इस समाचार को सोशल मीडिया पर साझा करके आप और लोगों को जागरूक कर सकते हैं।
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अधिक जानकारी के लिए आप स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट या अपने निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क कर सकते हैं।
क्या है R.M.P.
इसका पूरा नाम है – Registered Medical Practitioner जिसे कुछ लोग अनजाने में – Rural Medical Practitioner भी कहते हैं।
आज हम R.M.P. पर भी प्रकाश डालते हैं।
आर.एम.पी. – इसका पूरा नाम है
- पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी (Registered Medical Practitioner)
पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी (आर.एम.पी.) का मतलब पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी है। यह एक स्वास्थ्य सेवा पेशेवर है जिसने एक मान्यता प्राप्त चिकित्सा कार्यक्रम पूरा किया है और आधिकारिक तौर पर चिकित्सा का अभ्यास करने के लिए लाइसेंस प्राप्त है।
पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी (Registered Medical Practitioner), आर.एम.पी. के बारे में मुख्य बिंदु:
- कानूनी अधिकार: आर.एम.पी. को कानूनी रूप से चिकित्सा का अभ्यास करने की अनुमति है।
- चिकित्सा योग्यता: उनके पास निदान, उपचार और दवाएँ लिखने के लिए आवश्यक चिकित्सा योग्यताएँ हैं।
- नियामक निकाय: वे अपने अधिकार क्षेत्र में एक चिकित्सा नियामक निकाय के साथ पंजीकृत हैं।
- ग्रामीण चिकित्सा व्यवसायी (Rural Medical Practitioner)
ग्रामीण चिकित्सा व्यवसायी (आर.एम.पी.) यह एक अयोग्य स्वास्थ्य सेवा व्यवसायी है जो बिना किसी औपचारिक पंजीकरण या कानूनी स्वीकृति के आधुनिक (एलोपैथिक) चिकित्सा का अभ्यास करता है।
वे मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ योग्य चिकित्सा पेशेवरों तक पहुँच सीमित है।
ग्रामीण चिकित्सा व्यवसायी (Rural Medical Practitioner) के बारे में मुख्य बिंदु:
- उनके पास मान्यता प्राप्त चिकित्सा डिग्री नहीं होती।
- अनौपचारिक प्रशिक्षण: अक्सर प्रशिक्षुता या नौकरी के अनुभव के माध्यम से कुछ स्तर का प्रशिक्षण होता है।
- उपचारात्मक सेवाएँ: मुख्य रूप से निवारक देखभाल के बजाय मौजूदा बीमारियों का उपचार प्रदान करते हैं।
- अनियमित: उनके अभ्यास की निगरानी या किसी चिकित्सा प्राधिकरण द्वारा नियंत्रण नहीं किया जाता है।
इनके द्वारा उत्पन्न चुनौतियाँ:
- मानकीकृत देखभाल का अभाव: उपचार की गुणवत्ता में व्यापक रूप से भिन्नता हो सकती है।
- नशीली दवाओं के दुरुपयोग की संभावना: गलत निदान और नुस्खे से प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं।
- गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुँचने में बाधाएँ: ग्रामीण चिकित्सा व्यवसायी की उपस्थिति लोगों को योग्य डॉक्टरों से देखभाल लेने से रोक सकती है।
जबकि अक्सर यह देखा गया है की आर.एम.पी. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में अंतराल को भरते हैं, हालाँकि उनका अभ्यास रोगी सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा की समग्र गुणवत्ता के बारे में चिंताएँ भी पैदा करता है।