जमशेदपुर : भारत के नवयुवकों और युवतियों के मन में एक सवाल है। क्या मैं अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाऊं, उन्हें डॉक्टर या इंजीनियर बनाऊं, और उन्हें विदेश भेजूं? इससे उन्हें पैसा और सुख मिलेगा, और मेरा भी नाम होगा कि मेरे बेटा या बेटी विदेश में है।
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कई भारतीय विदेश में काम कर रहे हैं, और वे अधिकांशत: भारत वापस नहीं आते। उनके बच्चे अपनी भारतीयता को भूल जाते हैं। वे अपने भारतीय लोगों और संस्कृति को भूल जाते हैं। अक्सर वे अपने बुढ़ापे में संघर्ष करते हैं, और कुछ कभी-कभी अपने को बेसहारा पाते हैं।
कुछ लोग यहाँ से इंजिनियर बनकर विदेश गए, लेकिन उन्हें वहां का अनुभव देखकर वापस आना पड़ा। उन्होंने कहा कि हमें अपने देश के लिए काम करना चाहिए। वे कहते हैं कि हमें विदेश में सीखना चाहिए, लेकिन सेवा अपने देश के लिए करनी चाहिए।