जमशेदपुर: भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद जमशेदपुर ने मंगलवार को तीनों सेनाओं के जवानों को गोलमुरी स्थित शहीद स्मारक पर एकत्रित कर परमवीर हवलदार अब्दुल हमीद को श्रद्धांजलि दी।
उत्तर प्रदेश की उपजाऊ भूमि पर बसा धामपुर गांव आज सिर्फ इसलिए ऐतिहासिक वीरतापूर्ण स्थल है, क्योंकि गरीब मोहम्मद उस्मान के बेटे अब्दुल हमीद ने अपनी पूरी जवानी हिंदुस्तान की धरती की रक्षा के लिए समर्पित कर दी। वीर अब्दुल हमीद बचपन से ही एक विलक्षण और अद्भुत साहसी युवक थे, जो हमेशा एक अलग और नए अंदाज में पूरे आत्मविश्वास के साथ काम करते थे। जो लोग विशेष परिस्थितियों में विशेष समझ के साथ विशेष काम करते हैं, वे इतिहास में अमर हो जाते हैं। इसलिए वीर अब्दुल हमीद 21 साल की उम्र में रेलवे में भर्ती होने चले गए, लेकिन भारत मां का यह सपूत तो खास तौर पर उसकी रक्षा के लिए बना था।
इसलिए 27 दिसंबर 1954 को अब्दुल हमीद ग्रेनेडियर्स इन्फैंट्री रेजिमेंट में शामिल हो गए। 1962 और 1965 के युद्ध भारत के इतिहास के ऐसे युद्ध हैं, जिन्हें युद्ध कम बल्कि धोखे से लड़ी गई घटनाएं माना जा सकता है।
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लेकिन 1965 के भारत-पाक युद्ध में लगा कि इस देश की मिट्टी का कर्ज चुकाने का समय आ गया है। इतिहास की वो पंक्तियां साक्षी बनीं जब उन्होंने मोर्चे पर जाने से पहले अपने भाई झुम्मन से कहा कि जिनके पास चक्र होता है, पलटन में उनका बहुत सम्मान होता है, देखना झुम्मन, लड़ने के बाद मैं जरूर कोई चक्र लेकर लौटूंगा। कहते हैं कि सच्चे दिल और विश्वास के साथ जिस लगन से काम करने का नशा होता है, वो एहसास कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद के लिए आने वाला था।
एक विकल्प तैयार करना था। पाकिस्तान ने अमेरिका से जो पाटन टैंक खरीदा था, वो उस समय दुनिया का सबसे बेहतरीन हथियार था। दुश्मन के लगातार सात टैंकों को अकेले ही नष्ट कर शहादत पाने वाले अब्दुल हमीद ने पाकिस्तानियों में हड़कंप मचा दिया था। उनके अदम्य साहस और वीरतापूर्ण कार्य के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में जसवीर सिंह और अवधेश कुमार को धन्यवाद ज्ञापन के लिए आमंत्रित किया गया था।