कंपनी की सस्टेनेबिलिटी यात्रा में महत्वपूर्ण कदम
भुवनेश्वर/जमशेदपुर : 20 जुलाई, 2024 , टाटा स्टील ने शनिवार को ओडिशा के कटक जिले के अथागढ़ में अपने फेरोक्रोम प्लांट में फेरोक्रोम बनाने में बायोमास के उपयोग का सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा किया है। कंपनी के फेरो अलॉयज एंड मिनरल्स डिवीजन (FAMD) के तहत संचालित यह प्लांट पारंपरिक कार्बन स्रोतों के अपने स्थायी विकल्प के रूप में ट्रायल रन करने वाला भारत का पहला प्लांट बन गया है।
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सस्टेनेबल फेरोक्रोम उत्पादन और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए, परीक्षण में पारंपरिक जीवाश्म ईंधन के स्थान पर बायोमास का उपयोग किया गया, जो कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त एक अक्षय ऊर्जा स्रोत है। इस पहल से फेरोक्रोम के CO2 उत्सर्जन में 0.08/t (बायोमास के उपयोग पर 5%) की कमी आने की उम्मीद है, जो कि फेरोक्रोम प्लांट से कुल CO2 उत्सर्जन का लगभग 6% है।टाटा स्टील के एफएएमडी के एग्जीक्यूटिव इंचार्ज पंकज सतीजा ने कहा कि “यह परीक्षण सस्टेनेबिलिटी के प्रति हमारी प्रतिबद्धताओं और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के हमारे अथक प्रयास का हिस्सा है।
बायोमास का लाभ उठाकर, हमारा लक्ष्य एक स्वच्छ, अधिक सस्टेनेबल उत्पादन प्रक्रिया अपनाना है, जो हरित भविष्य में योगदान दे।”इस पहल के माध्यम से, पारंपरिक रिडक्टेंट्स को कार्बन-न्यूट्रल बायोमास द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा, जो ऑक्सीजन रहित वातावरण में लकड़ी को कम तापमान पर जलाकर बनाया जाता है। सबमर्ज्ड आर्क फर्नेस (SAF) में चारकोल के जलने के दौरान निकलने वाले कार्बन को उन पेड़ों द्वारा कार्बन अवशोषित कर संतुलित किया जाएगा जिनसे इसे बनाया जाता है।
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सतीजा ने कहा, “बायोमास में परिवर्तन हमारी सस्टेनेबिलिटी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।” उन्होंने कहा, “हम पर्यावरण प्रदर्शन और परिचालन उत्कृष्टता को बढ़ावा देने वाले अभिनव समाधानों की खोज और कार्यान्वयन जारी रखेंगे।”एफएएमडी लंबे समय से पर्यावरणीय पहलों में सबसे आगे रहा है, जो लगातार अपने पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के तरीकों की तलाश कर रहा है। फ्लक्सजेन सस्टेनेबल टेक्नोलॉजीज के साथ सहयोग करते हुए, इसने अपनी फेरोक्रोम इकाइयों और खदानों में डिजिटल डैशबोर्ड के माध्यम से पानी की खपत का डिजिटलीकरण किया है।