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✝️ कैथोलिक धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन
- पहले लैटिन अमेरिकी पोप, जिन्होंने चर्च में कई ऐतिहासिक बदलाव किए
वेटिकन सिटी। विश्व के कैथोलिक ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का आज सुबह 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वेटिकन के अनुसार, स्थानीय समयानुसार सुबह 7:35 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे।
🏥 पिछले कुछ महीने बीमारियों से जूझते रहे पोप
- 14 फरवरी को उन्हें रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
- डॉक्टरों के अनुसार, वे निमोनिया और एनीमिया से ग्रसित थे।
- फेफड़ों में संक्रमण के कारण उन्हें लगभग 5 हफ्ते अस्पताल में रहना पड़ा।
- बाद में रिपोर्ट में किडनी फेल होने के संकेत भी मिले थे।
- 14 मार्च को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था, लेकिन तबीयत में विशेष सुधार नहीं हुआ।
🇮🇳 पीएम मोदी ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“पोप फ्रांसिस के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। दुख की इस घड़ी में दुनिया के कैथोलिक समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं।” 🙏
📖 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उपलब्धियाँ
पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोलियो था, का जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना में हुआ था। वे 13 मार्च 2013 को पोप चुने गए और वे पहले लैटिन अमेरिकी और 1300 वर्षों में पहले गैर-यूरोपीय पोप बने।
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✨ पोप फ्रांसिस की ऐतिहासिक पहचाने:
- 🌈 समलैंगिक समुदाय को अपनाने की खुली बात की।
“समलैंगिक लोग भी ईश्वर की संतान हैं और उन्हें प्यार और स्वीकार्यता मिलनी चाहिए।”
- सेम-सेक्स कपल्स को आशीर्वाद देने की अनुमति दी।
- पुनर्विवाह को धार्मिक मान्यता दी।
- चर्च में हुए बच्चों के यौन शोषण पर माफी मांगी और कड़ा रुख अपनाया।
- उन्होंने चर्च को ज्यादा जनोन्मुखी और समावेशी बनाने की दिशा में कई साहसिक कदम उठाए।
📌 पोप फ्रांसिस की खास बातें:
- सादगीपूर्ण जीवन जीने के लिए पहचाने जाते थे।
- पोप बनने के बाद उन्होंने वेटिकन के आलिशान आवास में रहने से इनकार कर दिया था।
- गरीबों, शरणार्थियों और पर्यावरण की रक्षा को लेकर वे हमेशा मुखर रहे।
- वैश्विक शांति और संवाद के लिए कई देशों के नेताओं से संवाद और सहयोग किया।
⭐ विशेष बिंदु:
- ✅ पहला पोप जिन्होंने ‘ग्रीन चर्च’ की अवधारणा को बढ़ावा दिया।
- इंटरफेथ डायलॉग (विभिन्न धर्मों के बीच संवाद) को मजबूत किया।
- अन्य धर्मों के गुरुओं से भी सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए।
🕯️ एक युग का अंत
पोप फ्रांसिस का निधन न केवल कैथोलिक चर्च के लिए, बल्कि समूचे विश्व समुदाय के लिए एक भावनात्मक क्षति है। उन्होंने धर्म और मानवता के बीच की दूरी को कम किया और ईसाई धर्म को एक नवीन दिशा देने का प्रयास किया।
श्रद्धांजलि, पोप फ्रांसिस।
आपकी विचारधारा और कार्यों की प्रेरणा आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रहेगी।
Rest in Peace ✝️
🕊️ Amen