सेवा में,
माननीय अध्यक्ष महोदय
झारखण्ड विधान सभा, राँची।
विषय: विधानसभा में मेरे प्रश्न पूछने के अधिकार पर औचित्य खड़ा करने, एक विधायक के नाते मेरे प्रश्न पूछने पर मेरी सार्वजनिक तौर पर निन्दा करने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की जमशेदपुर शाखा के अध्यक्ष और मानद सचिव पर विशेषाधिकार हनन की कार्रवाई करने के संबंध में।
महोदय,
पूर्वी सिहंभूम जिला के सिविल सर्जन, डॉ. जुझार मांझी पर स्वास्थ्य विभाग, झारखण्ड सरकार द्वारा प्रपत्र ‘क’ गठित कर विभागीय कार्रवाई चलाने के संबंध में मेरा अल्पसूचित प्रश्न संख्या-19 का उत्तर सरकार द्वारा दिनांक 01.03.2024 को विधानसभा के सभा पटल पर रखा गया। उक्त प्रश्न के माध्यम से मैंने सरकार से यह जानना चाहा था कि, क्या डॉ. जुझार मांझी के विरूद्ध प्रपत्र ‘क’ गठित करने की कार्रवाई का पूर्वी सिंहभूम जिला के पूर्व यक्ष्मा पदाधिकारी, डॉ. रेणुका चौधरी के मामले से संबंधित है ? इसके बाद मैंने रेणुका चौधरी द्वारा सेवाकाल में लम्बे समय तक कार्य से अनुपस्थित रहने, उपस्थिति पंजिका पर फर्जी हस्ताक्षर करने आदि के बारे में भी सरकार से जानकारी चाहा था। मेरे प्रश्न का सरकार द्वारा दिया गया उत्तर भ्रामक है और इसमें जानबुझकर तथ्य को छिपाया गया है। इस बारे में दिनांक 02.03.2024 को मैंने एक पत्र के माध्यम से भवदीय का ध्यान आकृष्ट किया, जिसकी प्रति एवं प्रश्नोत्तर की प्रति संलग्न है (अनु.-1)।
विधानसभा में मेरे द्वारा पूछे गये प्रश्न के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की जमशेदपुर शाखा के अध्यक्ष, डॉ. जी.सी. मांझी और मानद सचिव, डॉ. सौरव चौधरी ने संयुक्त हस्ताक्षर से दिनांक 04.03.2024 को एक पत्र इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, झारखण्ड प्रदेश के अध्यक्ष, डॉ. अरूण कुमार सिंह को लिखा और संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर इस पत्र को परिचारित किया, जिसे जमशेदपुर के दैनिक समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया। सोशल मिडिया पर भी यह समाचार प्रसारित हुआ। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, झारखण्ड, राँची के प्रदेश अध्यक्ष को प्रेषित पत्र की प्रति संलग्न है (अनु.-2)।
इस पत्र के साथ अनुलग्न के रूप में निम्नांकित कागजात संलग्न कर रहा हूँ:-
1. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की जमशेदपुर शाखा का अपने प्रदेश अध्यक्ष को भेजे गये की प्रति।
2. दिनांक 17.03.2023 को डॉ. रेणुका चौधरी के बारे में विधानसभा सदस्य, श्री सी.पी. सिंह के अल्पसूचित प्रश्न सं.-41 का प्रश्नोत्तर की प्रति।
3. डॉ. रेणुका चौधरी के आचरण के विरूद्ध तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव द्वारा गठित त्रि-सदस्यीय जाँच समिति का प्रतिवेदन की प्रति।
4. सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सरकार द्वारा दी गई सूचना (दिनांक 20.09.2022) की प्रति, जिसमें सरकार ने स्वीकार किया है कि ये सभी दस्तावेज उपलब्ध है, जिनके आधार पर त्रि-सदस्यीय जाँच समिति ने डॉ. रेणुका चौधरी को दोषी पाया।
5. दिनांक 27.12.2022 को सूचना के अधिकार में दी गई एक अन्य सूचना की प्रति, जिसमें कहा गया है कि ‘‘मांगी गई दस्तावेजों की प्रति की खोजबीन की गई, जिसमें उक्त दस्तावेज उपलब्ध नहीं है।’’
6. मेरे विरूद्ध इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की जमशेदपुर शाखा के मानद सचिव एवं अन्य द्वारा संवाददाता सम्मेलन में दिये गये वक्तव्य का एक समाचार पत्र में छपी कतरन की छायाप्रति।
8. स्वास्थ्य विभाग द्वारा डॉ. रेणुका चौधरी को दंडित किये जाने का आदेश।
डॉ. रेणुका चौधरी मांझी वस्तुतः दिनांक 01.09.1995 से 07.05.2001 एवं 08.05.2001 से 17.01.2006 तक की अवधि में सेवा से अनुपस्थित रहीं, इस अवधि में उन्होंने उपस्थिति पंजिका पर फर्जी हस्ताक्षर किया तथा इस अवधि के एक कालखंड का वेतन भी उन्होंने लिया। चुंकि वे वर्ष 2011 मेें सेवानिवृत हो गईं, इसलिए त्रि-सदस्यीय जाँच समिति ने पेंशन अधिनियम केे अंतर्गत उनके पेंशन की शत-प्रतिशत कटौती करने का आदेश दिया। परंतु उनके द्वारा उपस्थिति पंजिका में फर्जी हस्ताक्षर, कार्यालय से संबंधित दस्तावेज गायब करने तथा जिस लिपिक की अभिरक्षा में ये दस्तावेज थे, उनकी हत्या होने तथा दस्तावेज गायब करनेवाले दोषियों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं होने आदि के विषय में सरकार ने मौन साध लिया। माननीय सदस्य विधानसभा, श्री सी.पी. सिंह के प्रश्न की कंडिका-4 में सरकार ने स्पष्ट उत्तर दिया है कि ‘‘संबंधित पदाधिकारी एवं कर्मचारी को चिन्हित कर उनके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी।’’ परन्तु एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इस बारे में सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं किया और मेरे अल्पसूचित प्रश्न सं.-19 की कंडिका-4 में सरकार ने दोषियों पर कार्रवाई करने के बदले में कहा कि ‘‘डॉ. रेणुका चौधरी द्वारा उक्त मामले में माननीय उच्च न्यायालय में दायर याचिका ॅण्च्ण्;ब्द्ध छवण् 4970ध्2016 में आदेश पारित होने के बाद तद्नुसार कार्रवाई की जा सकेगी।’’
महोदय, उपर्युक्त विवरण के आलोक में स्पष्ट है कि एक विधानसभा सदस्य के विधानसभा में प्रश्न पूछने के अधिकार का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की जमशेदपुर शाखा के अध्यक्ष, डॉ. जी.सी. मांझाी और मानद सचिव, डॉ. सौरव चौधरी ने चुनौती दिया है और प्रश्न पूछने के मेरी नीयत पर संदेह व्यक्त किया है। विधानसभा में मेरे प्रश्न पूछने को उन्होंने एक महिला चिकित्सक को प्रताड़ित करना बताया है। उल्लेखनीय है कि डॉ. सौरव चौधरी, मानद सचिव, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की जमशेदपुर शाखा, डॉ. रेणुका चौधरी के पुत्र है और मुझ पर लगाये गये मिथ्या एवं अपमानजनक आरोप से वे व्यक्तिगत रूप से संबंधित है।
अतः अनुरोध है कि विधानसभा के एक सदस्य के प्रश्न पूछने के विशेषाधिकार का हनन करने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की जमशेदपुर शाखा के अध्यक्ष, डॉ. जी.सी. मांझी और मानद सचिव, डॉ. सौरव चौधरी के विरूद्ध विधिसम्मत कार्रवाई करना चाहेंगे।
भवदीय
(सरयू राय)