जमशेदपुर: चांडिल डैम विमान दुर्घटना में भारतीय नौसेना की रेस्क्यू टीम और स्थानीय सैनिक प्रतिनिधियों के उत्कृष्ट कार्यों के लिए रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने उन्हें सम्मानित किया। जमशेदपुर स्थित सोनारी एयरपोर्ट में हुए इस समारोह में नौसेना की 20 सदस्यीय टीम और पूर्वी सिंहभूम के सैनिक सेवा परिषद के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया।
विमान दुर्घटना के बाद से ही नौसेना की टीम लगातार सर्च ऑपरेशन में जुटी रही थी। कमांडर जे जे सिंह के नेतृत्व में टीम ने अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी विमान को खोजने और निकालने में सफलता हासिल की। इस ऑपरेशन में साइड स्कैन सोनार, ड्राइवर हैंड हेल्ड सोनार, डाइवर्स नेविगेशन सिस्टम, अंडरवॉटर आरओवी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया।
रक्षा राज्य मंत्री ने इस दौरान सरायकेला खरसावां के जिला उपायुक्त रविशंकर शुक्ला की भी प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि दुर्घटना के तुरंत बाद जिला प्रशासन ने नौसेना से मदद मांगी थी और रक्षा मंत्रालय ने तुरंत कार्रवाई करते हुए नौसेना की टीम को घटनास्थल पर भेजा था।
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मुख्य बिंदु:
- सम्मान: रक्षा राज्य मंत्री ने नौसेना की 20 सदस्यीय टीम और स्थानीय सैनिक प्रतिनिधियों को सम्मानित किया।
- चुनौतियां: नौसेना की टीम ने गंदे पानी, कम दृश्यता, तेज धारा और अन्य चुनौतियों का सामना करते हुए ऑपरेशन को सफल बनाया।
- तकनीक: साइड स्कैन सोनार जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया।
- सहयोग: जिला प्रशासन ने नौसेना को भरपूर सहयोग दिया।
- सफलता: लगभग 4 दिनों के कठिन प्रयास के बाद विमान को चांडिल डैम से बाहर निकाला गया।
समाचार लेख में निम्नलिखित तथ्य शामिल हैं:
- विमान दुर्घटना: जमशेदपुर स्थित सोनारी एयरपोर्ट में नए पायलटों को ट्रेनिंग देने वाले विमान का दुर्घटनाग्रस्त होना।
- रेस्क्यू ऑपरेशन: भारतीय नौसेना की टीम द्वारा चांडिल डैम में विमान को खोजने और निकालने का ऑपरेशन।
- सम्मान समारोह: रक्षा राज्य मंत्री द्वारा नौसेना की टीम और स्थानीय प्रतिनिधियों को सम्मानित किया जाना।
- चुनौतियां: ऑपरेशन के दौरान आई कठिनाइयां और उनका समाधान।
- सफलता: ऑपरेशन की सफलता और इसके महत्व।
विस्तार से:
जमशेदपुर स्थित सोनारी एयरपोर्ट में नए पायलटों को ट्रेनिंग देने वाले विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने पर चांडिल डैम में विमान को सर्च करने एवं उसको बाहर निकालने में जुटी भारतीय नौसेना की सर्वे एवं गोताखोर टीम को निरंतर सहयोग देने वाले पूर्व सैनिक सेवा परिषद पूर्वी सिंहभूम के प्रतिनिधियों को भारत सरकार के रक्षा राज्य मंत्री आदरणीय संजय सेठ जी ने भारतीय नौ सेना की 20 सदस्यीय टीम का सम्मान किया।
जिनमें अभियान का नेतृत्व कर रहे कमांडर जे जे सिंह कमांडर वरुण गुप्ता लेफ्टिनेंट आर पी पटेल मास्टर चीफ पेटीआफ़िसर आर एस सैनी पेटी ऑफिसर सोनू कुमार और जूनियर सेलर के रूप में सागर रोहित ए रहमान आकाश पी के खैरवा शुभम थांगे अभिनव सिंह आर चाहर अमरदीप गुरप्रीत सिंह ओमकार मुकुल शिवम कुमार युवराज रोहित कुमार आदि सैनिक वीरों के साथ-साथ पूर्व सैनिक सुशील कुमार सिंह राजीव रंजन अशोक श्रीवास्तव एवं सिपाही सतनाम सिंह को सम्मानित किया गया।
सरायकेला खरसावां के जिला उपायुक्त रविशंकर शुक्ला (IAS) के साथ-साथ जिला प्रशासन के अतुल्य सहयोग का भी भारतीय नौसेना की टीम ने प्रशंसा करते हुए आभार व्यक्त किया।
रक्षा राज्य मंत्री महोदय ने इस घटना के दिन अपने को गोवा राज्य के कारवार नेवल बेस में व्यस्त होने के बावजूद सरायकेला खरसांवा के जिला उपायुक्त महोदय द्वारा भारतीय नौसेना के गोताखोरों को बुलाने के आग्रह का समर्थन करते हुए भारतीय नौसेना को पत्र लिखा और 20 मिनट के अंदर नौसेना ने अपनी प्रतिज्ञा देते हुए विशाखापट्टनम से 20 सदस्यीय टीम को लगभग चार टन वजन के डाईविंग रेस्क्यू उपकरण के साथ भारतीय वायुसेना के विमान द्वारा भुवनेश्वर से रांची एयर पोर्ट भेजने का काम किया।
लगभग 4 दिन के कठिन प्रयास के बाद विमान का लोकेशन पता लगाने के बाद जन्माष्टमी के दिन लगभग 14 घंटे के सफल ऑपरेशन के बाद एयरक्राफ्ट को चांडिल डैम से बाहर निकाल कर डी जी सी ए के इन्वेस्टिगेटिंग टीम को सौंप दिया गया।
इस दौरान भारतीय नौसेना के जांबाज सैनिकों ने अपनी कार्य कुशलता एवं इस ऑपरेशन में आने वाली विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए सफलता प्राप्त की।
इस कार्य से पूरे शहर एवं राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में भारतीय नौसेना के प्रति सम्मान और विश्वास बड़ा है। रेस्क्यू टीम आज रांची में है और कल विशाखापट्टनम के लिए प्रस्थान करेंगे। जबकि उनका साजो सामान सड़क मार्ग द्वारा ट्रक से विशाखापट्टनम के लिए आज सुबह रवाना हो चुका है।
विमान को तलाशने में लगे साजो सम्मान:
विमान को खोजने के लिए साइड स्कैन सोनार, ड्राइवर हैंड हेल्ड सोनार, गोताखोरों की नेविगेशन प्रणाली, पानी के नीचे आरओवी, ग्रैपनल खोज और खोज का उपयोग किया गया और अंत में साइड स्कैन सोनार ने विमान को खोज लिया।
कठिनाइयाँ:
पानी बहुत गंदा था जिसके कारण नीचे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। जहाज की वर्तमान स्थिति के बारे में सटीक जानकारी का अभाव। पानी का बहाव। पानी की लहरें। भारी बारिश, बिजली, बादलों की गड़गड़ाहट। पानी की गहराई 15 मीटर। घर, पेड़, मंदिर, पहाड़, पत्थर, खेत की सीमाएँ, खाई, ऊबड़-खाबड़ ज़मीन आदि पानी के नीचे थे।