झारखंड
सीमा सुरक्षा बल से सेवानिवृत्त होकर लौटे मनोज किशोर का धनसारी गांव में भव्य स्वागत
🫡 38 वर्षों की सेवा के बाद देश के रक्षक का ससम्मान अभिनंदन
📍 चाईबासा से जय कुमार की रिपोर्ट
सीमा सुरक्षा बल (BSF) में 38 वर्षों तक अद्वितीय सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त होकर लौटे मनोज किशोर पिंगुवा का उनके पैतृक गांव कुमारडुंगी प्रखंड के धनसारी में भव्य और ऐतिहासिक स्वागत किया गया।
गांववालों ने उन्हें गाजे-बाजे, पारंपरिक गीत-संगीत, और भारत माता की जय के नारों के साथ अभिनंदित किया, जिससे पूरा गांव देशभक्ति से सराबोर हो गया।
🌿 पारंपरिक संस्कृति के साथ स्वागत
स्वागत समारोह की अगुवाई ग्रामीण मुंडा किटी सरदार पिंगुवा ने की।
👉 महिलाओं ने हल्दी और तुलसी जल से छिड़काव कर पवित्रता का प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया,
👉 वहीं युवाओं और बच्चों ने तिरंगे झंडे लहराते हुए भारत माता की जय के नारों से माहौल को गर्व से भर दिया।
👉 गांववासियों ने फूल मालाओं, पारंपरिक नृत्य और ढोल-नगाड़ों से अपने वीर सपूत को सम्मानित किया।
🚉 चक्रधरपुर स्टेशन से शुरू हुआ स्वागत
इससे पूर्व, जब मनोज किशोर चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे, तो वहां शिक्षकगण सालेन पाट पिंगुवा, योगेन्द्र मुंडरी, कनाय बिरुवा, सतीश पिंगुवा आदि ने उन्हें माल्यार्पण कर जोरदार अभिनंदन किया।
👉 स्वागत का यह सिलसिला स्टेशन से लेकर गांव तक उत्सव की तरह चला।
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👨✈️ मनोज किशोर का सैन्य जीवन – समर्पण और साहस की कहानी
- 1986 में BSF में चयनित हुए
- हजारीबाग में जॉइनिंग, जोधपुर में प्रशिक्षण
- देश की विभिन्न सीमाओं पर 38 वर्षों तक निष्ठा से सेवा
- किशनगंज (बिहार) से हाल में हुए सेवानिवृत्त
👉 उनका सैन्य जीवन अनुशासन, कर्तव्य और देशभक्ति की मिसाल रहा है।
👨👩👧👦 परिवार और गांववालों का भावनात्मक जुड़ाव
कार्यक्रम में उनकी पत्नी वरुणलता पिंगुवा, पुत्र राजवीर पिंगुवा, पुत्री कस्तूरी पिंगुवा, सन्नी पाट पिंगुवा, जोटेया पाट पिंगुवा समेत** बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए।
👉 गांव के बुद्धिजीवियों ने कहा, “धनसारी का यह लाल वर्षों तक देश की रक्षा करता रहा, उसका स्वागत हमारा सम्मान और कर्तव्य है।”
💬 विशेष संदेश:
“देश के लिए समर्पित एक सपूत जब वर्षों बाद गांव लौटता है, तो वह सिर्फ परिवार के लिए नहीं, पूरे गांव के लिए गर्व का क्षण होता है। मनोज किशोर जैसे वीरों के कारण ही भारत की सीमाएं सुरक्षित हैं।”
📌 निष्कर्ष – एक सच्चे वीर को मिला सम्मान
यह स्वागत सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि देश सेवा और राष्ट्रभक्ति की भावना का सम्मान है। धनसारी गांव ने साबित कर दिया कि देश के रक्षकों का स्वागत केवल समारोह नहीं, बल्कि पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनता है।