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India-Pakistan War 2025: पाकिस्तान को समय रहते सबक सिखाना आवश्यक – निशिकांत ठाकुर

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❝जब देश के निर्दोष नागरिक गोलियों से छलनी होते हैं, तब मौन रहना भी अपराध होता है।❞

India-Pakistan War 2025 : आज पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा भारत में जिस तरह की स्थिति बना दी गई है, उसने देश के सामान्य लोगों के मन को विचलित और व्यथित कर दिया है। किस उद्देश्य से आतंकी इस तरह के नरसंहार को अंजाम दे रहे हैं और निश्चिन्त होकर अमन की सांस ले पाते हैं? सम्भवतः ऐसे व्यक्ति विरले ही पाए जाते हैं, जो बिना सोचे समझे अंजान लोगों को मौत के घाट उतारकर चल देते हैं।

पहलगाम में पिछले दिनों यही तो हुआ। क्या कसूर था उन पर्यटकों का, जो नई गृहस्थी सजाकर कश्मीर की घटियों को निहारने, ईश्वर प्रदत्त पहाड़ के पास बर्फबारी देखने गए थे। अब हमारी कितनी भी सुरक्षा कर ली जाए, लेकिन जिन्हें आतंकियों ने अकारण गोलियों से छलनी कर दिया, उनके परिवार का क्या होगा? उनके बच्चे इस हादसे को कैसे भूल पाएंगे?

इस मामले पर गहन विचार विमर्श चल रहा है और देशहित में जो सर्वोत्तम होगा, वही कदम उठाया जाएगा, लेकिन फिलहाल, नदी से पानी के बह जाने के बाद नदी कुछ भी कर ले, पानी वापस नहीं आ सकता। उसी तरह जिस तरह कल गुजर जाने के बाद कल ही आता है, लेकिन पिछला नहीं, वह भविष्य का कल होता है। हमें अपने सीने पर पत्थर तो रखना ही पड़ेगा और आगे के लिए ठोस और अकाट्य योजना तो बनानी ही पड़ेगी।

🧨 आतंक की जड़ें और पाकिस्तान की भूमिका

मीडिया की मानें तो पहलगाम नरसंहार में जांच एजेंसियों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर के हाथ होने के सबूत मिले हैं। जांच एजेंसियों को मिले डिजिटल सबूत हमले में लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद के साथ पाकिस्तानी सेना की मिलीभगत की ओर भी इशारा करते हैं। पहलगाम में हमला करने वाले आतंकियों और उनके ओवरग्राउंड वर्करों की सीमा पर बैठे हैंडलरों से लगातार बातचीत हुई है। इन सूचनाओं से साफ जाहिर है कि साजिश की जड़ें काफी नीचे से ऊपर तक गई हैं।

हमारी भारतीय जांच एजेंसियां कुछ भी रिपोर्ट दे, लेकिन क्या पाकिस्तान इन रिपोर्टों को मानने के लिए तैयार होगा? क्योंकि, आज विभिन्न देशों में पाकिस्तानी जाकर यह प्रचार कर रहे हैं कि नरसंहार हिंदुस्तान द्वारा स्वयं प्रायोजित था और जिसका उद्देश्य पाकिस्तान को विश्व के समक्ष एक आतंकी देश साबित करना है। साथ ही अपनी गलती स्वीकार करने के बजाय वह हिंदुस्तान को धमकाता है कि यदि उसके पास परमाणु हथियार है, तो उनके पास भी कई परमाणु हथियार हैं, जिन्हें वह खिलौने के रूप में शोकेस में रखने के लिए नहीं, बल्कि हिंदुस्तान के साथ होने वाले युद्ध में इस्तेमाल करेगा।

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📢 पाकिस्तान की बेशर्मी और परमाणु धमकी

उसका कहना यह भी है कि उसने हिंदुस्तान की देखादेखी में परमाणु हथियार नहीं बनाए, बल्कि हिंदुस्तान पर हमला करने के लिए ही बनाया है। जब जरूरत होगी, हम इसका इस्तेमाल उसके विरुद्ध करेंगे।

अब खुफिया एजेंसियों द्वारा यह कहा जा रहा है कि पहलगाम नरसंहार से पहले ही पर्यटकों को हमले का अलर्ट जारी कर दिया गया था, यह बात गले की नीचे नहीं उतरती; क्योंकि यदि इस तरह के नरसंहार की सूचना सरकारी खुफिया एजेंसियों को थी, तो फिर उन स्थानों पर रेड अलर्ट क्यों नहीं जारी किया गया? और सुरक्षा की कोई ठोस व्यवस्था क्यों नहीं की गई? बात तो यहां तक कही जा रही है बैसरन घाटी (पहलगाम) जहां हंसते-खेलते लोगों को काल के गाल में ठेलकर ऐसे हत्यारे बच कैसे निकलते हैं।

पहलगाम की चूक और कठोर प्रश्न

पहलगाम के सूत्रों और पर्यटकों की आपबीती सुनकर बांहें फड़कने लगती हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि जब आतंकी निर्दोषों पर गोलियां चला रहे थे, उस समय वहां सुरक्षा के लिए एक भी पुलिस का जवान या सुरक्षा गार्ड तैनात नहीं था। प्रश्न करने वाले तो यहां तक पूछते हैं कि यह तो बहुत बड़ी चूक हुई है, आज जिसे कोई स्वीकार करे या न करे। ऐसे ही लोग यह भी कहते हैं कि पाकिस्तान एक छोटा आतंकी देश है, जिसका निदान केवल युद्ध ही है। ऐसे लोगों को यह भी समझना होगा कि हम बड़े हैं, तो बड़प्पन तो दिखाना ही पड़ेगा। युद्ध ही केवल समस्या का समाधान नहीं है। पाकिस्तान को जिस तरह हमारे देश ने उसकी अकड़ को सही करने के लिए मार्ग अपनाया है, उस पर भी मनन करना होगा।

आमलोग तो केवल तात्कालिक समस्या का समाधान ढूंढते हैं, लेकिन शीर्ष पर बैठे जो राजनेता हैं, उन्हें बहुत दूर तक देश के भविष्य को देखना पड़ता है। जब हमने देश को उन शीर्ष राजनेताओं के हवाले कर दिया है, तो उन्हें ही यह अधिकार मिलना चाहिए कि देश के दुश्मनों से किस दूरदर्शिता से निपटना चाहिए।

🧭 भारत की प्रतिक्रिया: कूटनीतिक और रणनीतिक दोनों मोर्चों पर

भारत ने पहलगाम हमले के बाद तीन कठोर निर्णय लेकर पाकिस्तान को पहला झटका दिया:

  1. सिंधु जल समझौते को स्थगित किया गया।

  2. भारत-पाक व्यापार और डाक-पार्सल सेवा पर प्रतिबंध लगाया गया।

  3. पाकिस्तानी जहाजों के भारतीय बंदरगाहों पर प्रवेश पर रोक लगा दी गई।

पिछले सप्ताह ही पाकिस्तानी अकड़ को ढीला करने के लिए जो तीन फैसले लिए गए, उससे पाकिस्तान को अपनी गलती का बुरी तरह एहसास हुआ होगा। पाकिस्तानी अकड़ को ढीली करने लिए किए गए पहले क्रम में पहलगाम हमले के बाद सिंधु जल समझौते को स्थगित करने के साथ साथ पड़ोसी देश से हर तरह का आयात बंद कर दिया तथा सभी तरह के डाक और पार्सल का आना-जाना रोक दिया गया है। इसके जरिये भारत ने जो कड़ा निर्णय लिया है, वह यह कि पाकिस्तान के जहाज अब भारतीय बंदरगाहों पर प्रवेश नहीं कर पाएंगे। उधर, पाकिस्तान भारतीय कूटनीति को एक तरफ करते हुए लगातार युद्ध के लिए सैन्य तैयारी कर रहा है। लेकिन हां, यह तो वही बात हुई कि  गीदड़ की जब मौत आती है, तो वह शहर की ओर भागता है।

यह लोकोक्ति पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति में बिल्कुल मुफीद बैठती है, लेकिन युद्ध तो युद्ध है। रूस जैसे शक्तिशाली देश से यूक्रेन लगभग तीन वर्षों से युद्ध कर रहा है। एक छोटा देश वियतनाम लगातार वर्षों से अमेरिका से युद्ध लड़ता रहा। अमेरिका तो इस अकड़ में था कि वह चुटकी बजाते ही वियतनाम को नेस्तनाबूत कर देगा, लेकिन उसकी पूरी योजना धरी की धरी रह गई।

इसी तरह भारत को कमजोर समझकर 1971 में पाकिस्तान की तरफ से अपना युद्धक बेड़ा 7 भेजा, लेकिन भारत की ओर से यूएसएसआर के आठवें बेड़े भेजने के बाद अमेरिका को युद्धक बेड़ा असफल होने के डर से बिना युद्ध किए वापस लौटना पड़ा और भारत ने लगभग एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों को अपनी सूझबूझ से आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया। यह तो मात्र कुछ उदाहरण हैं, लेकिन यदि आप इतिहास देखेंगे, तो युद्ध की विभीषिका से सिहर उठेंगे।

🧠 युद्ध समाधान नहीं, लेकिन आत्मरक्षा अनिवार्य

कुछ लोग कहते हैं — “पाकिस्तान को युद्ध के जरिए सबक सिखाना चाहिए”, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि:

  • हम एक जिम्मेदार लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं।

  • हमारी शक्ति बुद्धि, रणनीति और संयम में है।

  • युद्ध की विभीषिका सिर्फ दुश्मन नहीं, अपने घर को भी झुलसाती है।

अब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कठोर शब्दों में चेताते हुए कहा है कि वह और उनकी सरकार आतंकियों और उन्हें समर्थन व पनाह देने वालों के खिलाफ ठोस तथा निर्णायक कार्यवाही के लिए कटिबद्ध हैं। उसी क्रम में  हिंदुस्तान द्वारा ऑपरेशन सिंदूर करके एक ट्रेलर पाकिस्तान को दिखाया है। भारतीय सैन्य ताकत अपने शौर्य को दिखाते हुए नौ आतंकी  ठिकाने का रातों रात पलक झपकते ही  ध्वस्त कर दिया।  इससे अधिक देश को भरोसा दिलाने के लिए और क्या कहा जा सकता है? आज पूरा देश तथा विपक्ष के सभी सदस्यों ने पाकिस्तान के खिलाफ समर्थन देने का वचन दिया है।

निश्चित रूप से हमें प्रधानमंत्री के इस निर्णय को स्वीकार करके आगे इंतजार करना ही पड़ेगा। देश के आहत लोग तो अपने हिसाब से तुरंत कार्यवाही के लिए तो मजबूर करेंगे ही, लेकिन देश के  सर्वोच्च हित के लिए उचित करना निर्णय लेना तो सरकार का ही काम है, क्योंकि युद्ध में और युद्ध के बाद की लाभ-हानि देश की जनता के साथ सबसे पहले उन्हें ही भुगतना पड़ेगा। अभी आगे की कार्यवाही के लिए सरकार को समय तो देना ही पड़ेगा और ठोस तथा स्थायी समाधान के लिए इंतजार तो करना ही पड़ेगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं)

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