हल्द्वानी हिंसा मामला: नैनीताल पुलिस ने मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक को गिरफ्तार कर एक बड़ी सफलता हासिल की है। यह गिरफ्तारी पुलिस की लगातार मेहनत और तकनीकी निगरानी का परिणाम है।
गिरफ्तारी कैसे हुई?
तकनीकी निगरानी और लोकल इनपुट: पुलिस लगातार टेक्निकल सर्विलांस और लोकल इनपुट के जरिए अब्दुल मलिक का पीछा कर रही थी।
दिल्ली में छिपा हुआ था: हल्द्वानी पुलिस को इनपुट मिला था कि अब्दुल मलिक दिल्ली में किसी जानकार के घर पर छिपा बैठा है।
कई दिनों तक दिल्ली में डेरा जमाया: पुलिस ने कई दिनों तक दिल्ली में डेरा जमाया और लोकल सर्विलांस के जरिए अब्दुल मलिक की तलाश जारी रखी।
लगातार ठिकाना बदल रहा था: पुलिस को पता चला कि अब्दुल मलिक लगातार अपना ठिकाना बदल रहा है, जिसके कारण उसे पकड़ना मुश्किल हो रहा था।
CCTV फुटेज और अन्य साक्ष्यों का इस्तेमाल: पुलिस टीमों ने घटनास्थलों के आसपास के CCTV फुटेज और अन्य साक्ष्यों का इस्तेमाल करके अब्दुल मलिक की तलाश की।
6 टीमों का गठन: वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नैनीताल ने 6 टीमों का गठन किया, जो देश के अलग-अलग राज्यों में अब्दुल मलिक की तलाश कर रही थीं।
दर्जनभर लोगों से पूछताछ: पुलिस ने अब्दुल मलिक से जुड़े दर्जनभर लोगों से पूछताछ की, जिसके बाद एक लीड डेवलप हुई।
दिल्ली में गिरफ्तारी: लीड को वेरीफाई करने के बाद दिल्ली की एक लोकेशन से अब्दुल मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुरस्कार:
पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड ने 50 हजार,
पुलिस उपमहानिरीक्षक कुमांयू परिक्षेत्र नैनीताल ने 5 हजार और
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल ने 2500 रुपये से टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा की है।
टीम में शामिल पुलिसकर्मी:
अनीस अहमद, प्रभारी एसओजी नैनीताल
गौरव जोशी, कोतवाली लालकुंआ
ललित कुमार , एसओजी
चन्दन नेगी, एसओजी
यह गिरफ्तारी हल्द्वानी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।