झारखंड
CRIME GIRIDIH- भाई बना हत्यारा: जमीन विवाद में कुदाल से हमला, अस्पताल में इलाज के अभाव में गई जान
- जमुआ रेफरल अस्पताल में डॉक्टर नहीं रहने पर मचा बवाल, माले नेताओं ने किया हंगामा
📍 CRIME GIRIDIH: गिरिडीह जिले के जमुआ थाना क्षेत्र अंतर्गत धोधो गांव में शनिवार देर रात जमीन विवाद के चलते भाई ने अपने सगे भाई की कुदाल से हत्या कर दी। घायल को परिजन जमुआ रेफरल अस्पताल लेकर पहुँचे, लेकिन डॉक्टर के नहीं होने और इलाज में देरी के कारण उसकी मौत हो गई।
📌 मुख्य बिंदु:
- 🧍♂️ मृतक की पहचान कार्तिक दास के रूप में हुई है।
- 🪓 आरोपी उसका सगा भाई है, जिसने जमीन विवाद में कुदाल से सिर पर वार किया।
- 🏥 रेफरल अस्पताल में डॉक्टर अनुपस्थित पाए गए।
- ⚰️ इलाज नहीं मिलने से अस्पताल में हुई कार्तिक की मौत।
- 🔥 मृतक की पत्नी और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल।
- 🚩 माले नेताओं ने स्वास्थ्य सेवा की लापरवाही पर किया जबरदस्त हंगामा।
🔍 कैसे हुआ हादसा?
घटना शनिवार शाम की है, जब कार्तिक दास घर पर अकेले थे। उसी दौरान, जमीन को लेकर चल रहे पुराने विवाद में उसका भाई घर आया। छोटी-सी बहस हिंसा में बदल गई और आरोपी ने पास रखी कुदाल से कार्तिक के सिर पर वार कर दिया। लहूलुहान हालत में परिजनों ने आनन-फानन में उसे जमुआ रेफरल अस्पताल पहुँचाया।
Read More : भारत की विदेश नीति की ‘दिनौंधी’ का इलाज जरूरी! – आनंद सिंह
⚠️ अस्पताल में नहीं था डॉक्टर, परिजनों का फूटा गुस्सा:
परिजनों ने बताया कि अस्पताल में कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था। इलाज में देरी की वजह से कार्तिक ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। घटना के बाद माले नेता अशोक पासवान अस्पताल पहुँचे और उन्होंने प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी और हंगामा किया।
“अगर समय रहते इलाज मिल जाता, तो कार्तिक की जान बच सकती थी,” – अशोक पासवान, माले नेता
👨👩👧👦 परिवार में मातम, पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल:
शव को देखते ही मृतक की पत्नी और अन्य परिजन बदहवास हो उठे। पूरे गांव में मातमी सन्नाटा फैल गया। लोगों में आक्रोश और भय दोनों है, क्योंकि ऐसी घटना समाज के लिए एक कड़वा संदेश है।
🕵️♂️ पुलिस की कार्रवाई:
जमुआ थाना प्रभारी ने बताया कि आरोपी भाई की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है। मामला दर्ज कर लिया गया है और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए गिरिडीह भेजा गया है।
📊 विश्लेषण: दोहरी विफलता — रिश्तों की और व्यवस्था की
यह घटना दो बड़े सवाल खड़े करती है:
- क्या जमीन का टुकड़ा रिश्तों से बड़ा हो गया है?
- क्या ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था में इंसानी जान की कीमत कुछ नहीं?
जहां एक ओर पारिवारिक विश्वास टूटा, वहीं दूसरी ओर सरकारी व्यवस्था की लापरवाही ने एक और जान ले ली।
गिरिडीह की यह घटना न केवल एक भाई की नृशंस हत्या है, बल्कि यह स्वास्थ्य व्यवस्था की शर्मनाक असफलता का आईना भी है। प्रशासन को चाहिए कि दोषी को सख्त सजा दिलाए और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए।