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सिविल डिफेंस ने जमशेदपुर मिडटाउन रोटरी क्लब के सहयोग से “आपदा लचीलापन और स्थिरता” पर सेमिनार का आयोजन किया

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जमशेदपुर । सिविल डिफेंस ने रोटरी क्लब जमशेदपुर मिडटाउन एवं पूर्वी सिंहभूम के जिला आपदा प्रबंधन विभाग और एलबीएम कॉलेज, जमशेदपुर के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के सहयोग से “आपदा लचीलापन और स्थिरता” पर एक सेमिनार का सफलतापूर्वक आयोजन किया।

इस आयोजन को “लाइटनिंग रेजिलिएंट इंडिया कैंपेन” का समर्थन प्राप्त था, जो क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जर्विंग सिस्टम्स प्रमोशन काउंसिल (CROPC), भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), भारत सरकार की एक संयुक्त पहल है।

सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि डीडीसी अनिकेत सचन, विशिष्ट अतिथि कर्नल प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव, अध्यक्ष – क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जर्विंग सिस्टम्स प्रमोशन काउंसिल (CROPC)- भारतीय सरकार और संयोजक – नेशनल लाइटनिंग रेजिलिएंट इंडिया कैंपेन, रोटरी क्लब जमशेदपुर मिडटाउन की अध्यक्षा प्रीति सैनी, सचिव आरटीएन राजेश्वर जायसवाल, सिविल डिफेंस जमशेदपुर के मुख्य वार्डन अरुण कुमार और उप-मुख्य वार्डेन दया शंकर मिश्रा, तथा प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार झा द्वारा पारंपरिक दीप प्रज्वलित कर किया गया।

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मौके पर प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार झा ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया और रोटरी क्लब जमशेदपुर मिडटाउन की अध्यक्ष तथा सिविल डिफेंस की इस पहल के लिए सराहना भी की, यह मानते हुए कि यह छात्रों के लिए अत्यंत लाभकारी होगा। उन्होंने कॉलेज के भीतर आपदा और वज्रपात के लिए एक ज्ञान केंद्र स्थापित करने की संभावना भी व्यक्त किया, जो निरंतर सीखने और अनुसंधान के लिए इसकी क्षमता पर जोर देगा। इसके बाद, रोटरी क्लब जमशेदपुर मिडटाउन की अध्यक्ष आरटीएन प्रीति सैनी ने आयोजन के मुख्य उद्देश्य और आवश्यकता के साथ-साथ आपदा प्रबंधन में रोटरी इंटरनेशनल की महत्वपूर्ण भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने जोर दिया कि इस सेमिनार के माध्यम से, उनका लक्ष्य युवाओं, गैर सरकारी संगठनों, सरकार और रोटरी को एक छत के नीचे लाना है ताकि वे आपदा- खासकर वज्रपात- प्रबंधन और प्रतिक्रिया के लक्ष्य की दिशा में मिलकर काम कर सकें। इसके अतिरिक्त, उन्होंने आपदा प्रबंधन परियोजनाओं के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन और निगरानी के लिए एक समिति के गठन का भी प्रस्ताव रखा।

इस सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित डीडीसी अनिकेत सचन ने उक्त कार्यक्रम की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने वज्रपात के गंभीर प्रभाव, विशेष रूप से इसके कारण, होने वाली जान-माल की दुखद हानि और व्यापक संपत्ति के नुकसान पर प्रकाश डाला। डीडीसी सचन ने इन जोखिमों को कम करने के लिए इमारतों में बिजली गिरने से बचाने वाले उपकरण (Lightning Arresters) की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया, यह बताते हुए कि कई सरकारी इमारतों में वर्तमान में यह आवश्यक सुरक्षा मौजूद नहीं है।

कर्नल प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव ने उपस्थित लोगों को बिजली से संबंधित विभिन्न सरकारी पहलों के बारे में जानकारी दी, जिसमें दामिनी लाइटनिंग ऐप और साचेत ऐप (SACHET App) भी शामिल है। उन्होंने आपातकालीन नंबर 112 के महत्व पर भी प्रकाश डाला, यह समझाते हुए कि यह जमशेदपुर, झारखंड और पूरे भारत में पुलिस, अग्नि और एम्बुलेंस सेवाओं के लिए एकीकृत आपातकालीन संपर्क है, जिसे डायल करके या 112 इंडिया मोबाइल ऐप के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है।

वहीं गोताखोर मजहुल वारी ने आपात कालीन स्थिति में उच्ची मकान से घायलों को बाहर निकालने का लाइव डेमोसेशन किया और जितेन्द्र तिवारी ने आग लगने पर बचाव के लिए किस तरह सावधानी बरते और आग पर कैसे काबू पाया जाए उसके बारे में जानकारी दी।

अंत में सिविल डिफेंस के उप-मुख्य वार्डेन दया शंकर मिश्रा ने बिजली गिरने के दौरान अपनी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण व्यावहारिक सुझाव साझा करके सेमिनार का समापन किया। उन्होंने कुछ प्रमुख सुरक्षा गतिविधियों का प्रदर्शन करके सत्र को और भी बेहतर बनाया, जिससे उपस्थित लोगों को कार्रवाई योग्य ज्ञान प्राप्त हुआ।

इस व्यावहारिक पहलू को जोड़ते हुए, सिविल डिफेंस टीम ने बचाव अभियानों का एक सीधा प्रदर्शन भी किया, जिसमें उनकी तैयारी और तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन सिविल डिफेंस के डिविजनल वार्डेन के के सिन्हा ने की। वहीं इस कार्यक्रम को मूर्त रूप देने में सिविल डिफेंस के प्रधान सहायक सुरेश प्रसाद का अहम योगदान रहा।

इस सेमिनार में विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 1200 छात्र, विभिन्न गैर सरकारी संगठनों, संगठनों के प्रतिनिधि, रोटेरियन आशीष दास, रोटेरियन दिनेश जायसवाल, रोटेरियन सरोज झा, रोटेरियन अनिमेष, एनसीसी के छात्र-छात्राएं और एलबीएम कॉलेज के कर्मचारी सहित सिविल डिफेंस के स्वयं सेवक काफी में उपस्थित रहे।

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