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31 जुलाई से पहले 12वीं का रिजल्ट सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी।

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सीबीएसई के 12वीं कक्षा के 30+30+40 फॉर्मूले को सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी, नतीजे 31 जुलाई से पहले आ सकते हैं।

जो विद्यार्थी अपने प्राप्तांक से सन्तुष्ट नहीं होंगे उनके लिए फिजिकल एग्जाम लिया जाएगा।

NEW DELHI: दिनांक 17 जून, 2021 गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने 12 वीं बोर्ड के 15 लाख से अधिक विद्यार्थियों के रिजल्ट को लेकर जो सन्देह बना हुआ था उसे क्लियर कर दिया है।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) ने जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद तैयार की गई मूल्यांकन नीति का विवरण दिया और कहा कि कक्षा 12 का परिणाम 31 जुलाई से पहले जारी किया जा सकता है। बताया गया कि सीबीएसई बोर्ड से 12 वीं की परीक्षा के लिए कुल 14.5 लाख क्षात्रों ने फार्म भर हैं वहीं सीआईएससीई द्वारा लगभग 1 लाख विद्यार्थियों ने। 

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सीबीएसई की ओर से पेश हुए।  जिन्होंने मूल्यांकन नीति का विवरण देते हुए अदालत को बताया कि कक्षा 10 और 11 में प्रत्येक छात्र के अकादमिक प्रदर्शन के साथ-साथ कक्षा 12 में यूनिट टेस्ट और टर्म परीक्षाओं में प्राप्त अंक या ग्रेड और प्रैक्टिकल को ग्रेडेड वेटेज में लेते हुए रिजल्ट जारी किया जाएगा। साथ ही बताया कि कक्षा 10 और 11 के लिए 30% और कक्षा 12 के लिए 40% अंक निर्धारित किया गया है।

कोविड -19 महामारी के कारण कक्षा 12 के मूल्यांकन को लेकर जो संशय बना हुआ था उसे खत्म कर दिया गया है। रिजल्ट बनाने को लेकर स्कूलों द्वारा एक समिति बनाया जाए और इस समिति द्वारा यह तय करने की छूट दी गई है कि सभी आकलन जैसे यूनिट टेस्ट, मिड-टर्म, प्री-बोर्ड को ध्यान में रखते हुए रिजल्ट बनाये।

वरिष्ठ अधिवक्ता जनकल्याण दास ने पीठ को सूचित किया कि सीआईएससीई पिछले छह वर्षों में कक्षा 12 के लिए अंक और ग्रेड देने में छात्रों के प्रदर्शन पर विचार करेगा। 

बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल 12वीं कक्षा के परिणामों को ध्यान में रखते हुए, ऑनलाइन परीक्षा देने वाले छात्रों की क्षमता को मापा नहीं जा सकता है। इसलिए, कक्षा 10 के बोर्ड के परिणामों का उपयोग करना उपयोगी समझा गया। क्योंकि यह एकमात्र सार्वजनिक परीक्षा था जिसे वर्तमान में पढ़ रहे 12वीं के छात्रों ने दिया था। वहीं कक्षा 11 की परीक्षाएं पूर्व-कोविड समय में और निर्धारित वरिष्ठ माध्यमिक पाठ्यक्रम के आधार पर बनाई गई थी।

जो विद्यार्थी अपने प्राप्तांक से सन्तुष्ट नहीं होंगे उनके लिए फिजिकल एग्जाम लिया जाएगा।

वेणुगोपाल ने अदालत को सूचित किया कि सीबीएसई ने उन छात्रों के लिए शारीरिक परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान भी बनाया है जो अपने अंकों में सुधार करना चाहते हैं या इस प्राप्तांक से वे खुश नहीं हैं। सब सामान्य होने के बाद ये परीक्षा ली जावेगी। यह विकल्प उन छात्रों के लिए अंतिम होगा जो ऐसा चाहते हैं। फिजिकल परीक्षा की कब होगी इसकी घोषणा, परिणाम घोषित होने के बाद और मौजूदा महामारी की स्थिति को देखते हुए की जाएगी।

पीठ ने कहा, “इस योजना पर विचार करने के बाद, प्रथम दृष्टया हमें इसे स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं है और बोर्ड को उस आधार पर आगे बढ़ने की अनुमति है। हालांकि, कुछ छात्रों के खिलाफ शिकायत होने पर इस योजना में विवाद समाधान समिति का प्रावधान शामिल होना चाहिए। साथ ही परिणाम में उन्हें दिए गए अंक / ग्रेड, बोर्ड परिणाम की घोषणा और वैकल्पिक सुधार शारीरिक परीक्षा के लिए एक समयरेखा भी योजना में शामिल करेंगे।”

सीबीएसई मूल्यांकन योजना के तहत, प्रत्येक विद्यालयों में प्राचार्य के अंतर्गत पांच सदस्यीय “परिणाम समिति” का गठन किया जाएगा। जिसमें एक ही स्कूल से दो वरिष्ठतम पीजीटी और पड़ोसी स्कूलों से दो पीजीटी शामिल होंगे। समिति को यह  स्वतंत्रता दी गई है की वे नीति का पालन करके परिणाम तैयार करें।

सीबीएसई ने यह भी कहा की – “चूंकि कक्षा 11वीं और कक्षा 12वीं के अंक स्कूल स्तर पर दिए जाएंगे और वे प्रश्न पत्रों की गुणवत्ता, मूल्यांकन मानक और प्रक्रियाओं, परीक्षा के संचालन के तरीके आदि में भिन्नता के कारण स्कूलों में कड़ाई से तुलनीय नहीं होंगे।  इसलिए, मानकीकरण सुनिश्चित करने के लिए, प्रत्येक स्कूल को एक विश्वसनीय संदर्भ मानक का उपयोग करके स्कूल स्तर की भिन्नताओं को ध्यान में रखते हुए अंकों को आंतरिक रूप से मॉडरेट करना होगा।” 

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