झारखंड

18 मौजा पुंडसी पिंडा (माझी माहाल) का एक बैठक संपन्न। निम्न बातों पर हुई चर्चा।

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जमशेदपुर । झारखंड 

आज साकची में 18 मौजा पुंडसी पिंडा (माझी माहाल) का एक बैठक संपन्न हुआ। बैठक का अध्यक्षता बारीडीह जाहेर टोला माझी बाबा श्री गोविंद सोरेन जी ने किए।

बैठक में मुख्य रूप से निम्न कई विषयों पर चर्चा किया गया:-

1. ओलचिकी हुल वैसी, पूर्वी सिंहभूम द्वारा ओलचिकी लिपी में झारखंड  सरकार द्वारा संथाली भाषा में पुस्तकों का मुद्रण एवम प्रकाशन के मांग पर विगत 4 जुलाई का बंदी का समर्थन में 18 मौजा का हिस्सेदारी एवम  सफलता पर एक समीक्षा हुआ।

2. वर्तमान झारखंड सरकार द्वारा पेशा कानून को उलंघन करते हुए  पांचवीं अनुसूची क्षेत्र  में पंचायत राज  व्यवस्था को थोप दिए जाने के कारण आदिवासी समाज के  पारंपरिक रूढ़ी,भाषा,संस्कृति एवम रीती रिवाज पर प्रतिकूल प्रभाव पढ़ने के सवाल पर चर्चा हुआ।

3. मणिपुर के घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त किया गया एवम यूसीसीसी पर केंद्र की सरकार का भूमिका तथा इसे अगर लागू करने का प्रयास किया गया उसका जोरदार विरोध करने पर चर्चा हुआ।

4. बन सुरक्षा अधिनियम को संशोधन करने से आदिवासी समाज पर पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा तथा विरोध किया गया।

5. आज पूर्वी सिंहभूम उपायुक्त द्वारा “डायन प्रथा एवम नशा मुक्ति उन्मूलन” के सवाल पर बुलाया गया बैठक में आदिवासी समाज के माझियों को बुलाकर उन्हें इस सवाल पर उनका अपना ओपिनियन को व्यक्त करने का मौका नहीं दिया गया जो निंदनीय है, आदिवासी समाज में डायन ‘प्रथा’ इस शब्द से एतराज जताया गया।

यह बैठक आदिवासी समाजको विश्वास में लेकर किया जाना चाहिए था।इस संवेदनशील मसलें पर आदिवासी मूलवासी समाज के सभी बुद्धिजीवियों को विश्वास में लेकर इस समस्या का समाधान के रास्ते में आगे की और बढ़ने की जरूरत है।

6. मारंग बुरु जुग जाहेर थान,परेशनाथ यह  हमारा आदिवासी समाज का धरोहर है, जल,जंगल,जमीन हमरा है,हम प्रकृति पूजक है, जैन समाज से हमे अपनी बढ़ पहाड़ को वापस मिलना चाहिए नही तो आदिवासी समाज उसका विरोध में आंदोलन करेगा।

7. 18 मौजा का माझी बाबाओं को जोड़ने के लिए एवम 18 मौजा को सशक्त बनाने के लिए संपूर्ण 18 मौजा में जन संपर्क अभियान चलाने के संबंध में निर्णय लिया गया।

इस बैठक में मुख्य रूप से मूडूत माझी बाबा बिंदे सोरेन,आसेका के राज्य महासचिव सचिव श्री शंकर सोरेन,श्री कुशल हांसदा (सिदगोड़ा माझी बाबा), पाराणिक श्री वीर सिंह हेंब्रम, श्री भगवान सोरेन, श्री हलधर सोरेन, लुगु बूरू गोडेत श्री सुरेंद्र टुडू एवम श्री गौतम बोस उपस्थित थे।

अंत में धन्यवाद ज्ञापन श्री हलधर सोरेन जी ने किया।

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