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ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट बना उम्मीद की किरण: बलजीत कौर को मिली मदद, बेटे की पढ़ाई हुई संभव।
“If you get the blessings of a mother and the support of society, then no dream remains unfulfilled.”
जमशेदपुर : बारीडीह निवासी बलजीत कौर के संघर्ष की कहानी हर उस माँ की कहानी है जो अपने बच्चे के भविष्य के लिए हर संभव प्रयास करती है। बलजीत कौर का बेटा अल्वेश जेवियर आर.डी. टाटा एनटीटीएफ में अंतिम वर्ष का छात्र है, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते उसकी पढ़ाई अधर में लटक गई थी।
“पति के होते हुए भी साथ न मिलने के कारण बलजीत कौर अकेले ही मर्सी हॉस्पिटल में सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रही थीं और बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चला रही थीं। बेटे की पढ़ाई के लिए उन्होंने अपने गहने तक बेच दिए और स्कूटी भी गिरवी रख दी। लेकिन जब आगे की फीस भरना संभव नहीं हुआ, तो उन्होंने अंतिम उम्मीद के तौर पर ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट का दरवाजा खटखटाया।”
जानकारी मिलने के बाद बलजीत कौर ने दो दिनों तक ट्रस्ट के कार्यालय की तलाश की। जब उनकी बात ट्रस्ट तक पहुँची, तो ट्रस्ट ने न केवल मामले को गंभीरता से लिया, बल्कि ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट के सेक्रेटरी मुख्तार आलम खान ने उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम अनन्य मित्तल एवं अनुमंडल पदाधिकारी श्री मति शताब्दी मजूमदार से भी संपर्क कर महिला की मदद के लिए आग्रह किया। इसके बाद एनटीटीएफ प्रमुख ने छात्र की फीस पूरी तरह माफ करने की घोषणा की।
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बलजीत कौर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट मेरे लिए मसीहा बनकर आया और ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट की जानकारी उन्हें यूट्यूब के माध्यम से हुई थी। उनकी मदद से मेरा बेटा पढ़ाई पूरी कर पाएगा और अपने भविष्य को संवार सकेगा। मैं ट्रस्ट, उपायुक्त महोदय और एनटीटीएफ का तहे दिल से आभार व्यक्त करती हूं।”
इस पुनीत कार्य में ट्रस्ट के जिन डेलीगेट्स ने सक्रिय भूमिका निभाई उनके नाम हैं—
ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट के ट्रस्टी, सैय्यद आसिफ अख्तर, अध्यक्ष मतिनुल हक अंसारी और मोहम्मद मोइनुद्दीन अंसारी मुख्य रूप से शामिल हुए।
समीक्षा:
यह घटना बताती है कि जब समाज के संवेदनशील लोग और संस्थाएं एकजुट होकर किसी ज़रूरतमंद की मदद करते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है। ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट ने सिर्फ आर्थिक सहायता ही नहीं दी, बल्कि एक माँ और बेटे के टूटते सपनों को फिर से जोड़ दिया। यह प्रेरणा देता है कि सामाजिक संगठनों की भागीदारी से शिक्षा जैसे अहम अधिकार से कोई भी वंचित न रह जाए।
संदेश:
“एक माँ की दुआ और समाज की मदद मिल जाए, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।” हमें ऐसे ट्रस्ट और संस्थाओं का साथ देना चाहिए जो ज़रूरतमंदों की चुप्पी को आवाज़ और तकलीफ को राहत में बदलते हैं।
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