फराओ रामसेस द्वितीय और ममी का प्रतीकात्मक चित्र |
इतिहास के झरोखे से : शनिवार 22 जनवरी, 2022
साल 1303 BC में पैदा हुए एक राजा का बना 1974 में पासपोर्ट।
प्राचीन मिस्र में एक सबसे प्रसिद्ध शासक हुआ करता था जिसका नाम था – रामसेस द्वितीय।
ऐसे तो प्राचीन मिस्र में बहुत से राजा हुए लेकिन किंग रामसेस द्वितीय अपनी न्याय प्रियता और जनसेवाओं के लिए अधिक प्रसिद्ध था। वहीं अन्य राजाओं की तुलना में रामसेस द्वितीय ने प्राचीन मिस्र में सबसे अधिक उम्र तक शासन किया। जब रामसेस द्वितीय की मृत्यु हुई तब उसकी उम्र 90 वर्ष थी।
किंग रामसेस द्वितीय की अनुमानित तस्वीर |
सकारा जहां ममी को रखा गया था |
बता दें कि वर्ष 1881 में मिस्र के सकारा से रामसेस द्वितीय की ममी खोजी गई थी। सकारा वह जगह है जहां केवल राजा, रानी या अमीर लोगों की ममी ही रखी जाती थी। आरकोलॉजिस्ट का कहना था कि यह उस समय के सबसे शक्तिशाली शासक हुआ करता था। हजारों सालों के बाद भी इसकी ममी वैसी ही दिख रही है। वहीं रिसर्चर का मानना है कि रामसेज द्वितीय के लगभग 150 बच्चे थे।
फिलहाल आज हम रामसेस द्वितीय की जीवनी के बारे में बात नहीं करेंगे। बल्कि बात करेंगे कि कैसे आधुनिक युग में इस प्राचीन राजा को पासपोर्ट बनाने की जरूरत पड़ी।
बात वर्ष 1974 ईस्वी की है। बाहर रखी रामसेस द्वितीय की ममी गलने लगी। बाहरी वातावरण से खराब होने के कारण मिस्र की सरकार ने इस ममी के संरक्षण की बात सोच फौरन यह फैसला लिया कि इसे पेरिस ले जाया जाए जहां पर इसका ट्रीटमेंट किया जा सके। लेकिन इस कार्य में एक समस्या आ गई। क्योंकि इंटरनेशनल रूल के मुताबिक इंसान जिंदा हो या मुर्दा बिना पासपोर्ट के दूसरे देश नहीं जा सकता है। अब बॉर्डर पार करने के लिए पासपोर्ट होना जरूरी हो गया। इस वजह से मिस्र सरकार ने रामसेस द्वितीय के ममी का पासपोर्ट बनाया और इस पासपोर्ट में मिस्र की सरकार ने रामसेस को किंग का दर्जा दिया। पेरिस पहुंचते ही इस ममी के लिए पूरे शाही सम्मान की व्यवस्था की गई।
आपको बता दें कि यह दुनिया का पहला पासपोर्ट था जो किसी मरे हुए इंसान के लिए बना।