झारखंड

सैनिकों के हित में लड़ाई लड़ रहे पूर्व सैनिक को हतोत्साहित करने का प्रयास, प्रदेश अध्यक्ष कर्नल अखौरी का षडयंत्र।

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जमशेदपुर । झारखंड

पूर्व सैनिकों के कल्याणार्थ दिन रात समर्पित रहने वाले सुशील कुमार सिंह के प्राथमिक सदस्यता को समाप्त करने का आदेश प्रदेश अध्यक्ष कर्नल अखौरी द्वारा भेजा गया। जिसे सुनते ही सम्पूर्ण सैनिक समाज सकते में आ गया। 

ज्ञात हो कि सैनिकों के OROP मुद्दे को  लेकर झारखंड में शीर्ष नेतृत्व कर रहे सुशील कुमार सिंह को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से ऐसा कदम उठाया गया है। आज सायं हुई पूर्व सैनिकों की एक आपातकालीन बैठक जिला मंत्री दिनैश सिंह के द्वारा बुलाई गई जिसमें सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया की यदि इस आदेश को वापस नहीं लिया गया तो पूर्वी सिंहभूम के सदस्य सामूहिक रूप से प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे। कर्नल अखौरी जो पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं एवं तथाकथित अपने कुछ चाटुकार सलाहकारों के कहने पर ऐसा करने को बाध्य हुए प्रतीत होते हैं। 

वस्तु स्थिति की संज्ञान जब राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉक्टर जे पी शर्मा को दी गई। तो उन्होंने प्रश्न उठाया कि सुशील कुमार सिंह की सदस्यता को समाप्त करने वाले कर्नल अखौरी होते कौन हैं? उन्होंने सर्वसम्मति से लिए गए फैसले के बारे में पूछा कि किनके सहमति से ऐसा फैसला लिया गया? कर्नल अखौरी के इस अपरिपक्वता पूर्ण रवैया ने यह सिद्ध कर दिया है कि प्रदेश अध्यक्ष ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने पद को कलंकित किया है। सैन्य हित में खुद को न्योछावर करने वाले पूर्व सैनिक के खिलाफ ऐसे निर्णय कई सवाल उठाते हैं एवं अफसरशाही पूर्ण रूप से प्रलक्षित होती है। 

इस मीटिंग में मुख्य रूप से राजीव रंजन, अशोक श्रीवास्तव, हंसराज सिंह, सुरेंद्र मौर्य, उपेंद्र प्रसाद सिंह, डीएन ठाकुर, सत्य प्रकाश, उमाशंकर प्रसाद, सतनाम सिंह, रजत डे, कुंदन सिंह, ब्रजकिशोर सिंह, हरेंद्र सिंह, मिथिलेश सिंह विजय शंकर पांडे मनोज ठाकुर शिव शंकर चक्रवर्ती, अनुभव सिंह, चंद्रमा सिंह, राधेश्याम, जेपी कर, विजेंदर सिंह, अजय सिंह, गणेश राव आदि शामिल हुए।

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