क्राइम

सूबे के सबसे बड़े अस्पताल में एक खेल खेला जा रहा है। जिसका नाम है – लाइव एक्सपेरिमेंट। जहां महिला के पेट को चीर – फाड़ कर बार-बार लगाया जाता है टाका।

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THE NEWS FRAME

Jamshedpur : सोमवार 09 जनवरी, 2023

बड़ी उम्मीद से जिला के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल ले कर आया था अपनी पत्नी को, सोचा था बढ़िया से बच्चा होगा, उसके साथ खूब खेलूंगा, हमारा परिवार पूरा होगा। मेरी पत्नी कितना खुश होगी। हमारे घर हमारा पहला बच्चा जो आने वाले था। 

यही सब सोचकर लाया था सोनुआ (काल्पनिक नाम) अपनी पत्नी को। आज से चार दिन पहले यहीं जिला अस्पताल में डिलीवरी हुई थी, सोनुआ कि पत्नी का। उसने सोचा था दो दिन में डिलीवरी हो जाएगी तो आराम से बच्चे और बीवी के साथ घर चले जाऊंगा। लेकिन सोनुआ को क्या मालूम था उसके सपनों की धज्जियां उड़ जाएंगी। ऐसे जाल में फंसा सोनुआ की बच्चा तो मर ही गया अब बीवी की हालत भी कुछ ठीक नहीं है। 

ऐसी स्थिति केवल एक सोनुवा या उसकी अकेली बीवी की नहीं है बल्कि वहां भर्ती कुछ और महिलाओं की भी है। यह पीड़ा कौन सुनेगा? किससे कहे? सब यही उम्मीद और आशा के साथ सरकारें बदलते हैं कि अब इस सरकार से राहत मिलेगी पर अफसोस……।

बात कर रहे हैं जमशेदपुर शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल की जहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग इलाज कराने आते हैं। इन्हीं में से कुछ के साथ ऐसा होता है जो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होता है। 

आपको बता दें कि सूबे के सबसे बड़े अस्पताल में एक खेल खेला जा रहा है। जिसका नाम है – लाइव एक्सपेरिमेंट। जहां महिला के पेट को चीर – फाड़ कर बार-बार लगाया जाता है- टाका। ये बाते उस महिला ने स्वयं बताई है जिसका बच्चा सर्जरी से हुआ था, बच्चा लापरवाही की वजह से नहीं बचा, लेकिन अब इस महिला के साथ भी किया जा रहा है लाइव एक्सपेरिमेंट। 

महिला के पति का आरोप है कि एमजीएम अस्पताल में अनियमितता के साथ ही उसकी पत्नी के साथ गलत हो रहा है। नौसिखिया गायनी डॉक्टर आते हैं और नए-नए  एक्सपेरिमेंट करते हैं। नर्स से सीखते हैं। वहीं महिला का कहना है कि जब सीजर ऑपरेशन के बाद टाकेँ लगा दिया जाता है तब फिर दूसरे दिन ही मरहम पट्टी के नाम पर टांके काट कर दुबारा से टांके लगाने की जरूरत क्यों है? वह भी नए डॉक्टरों के द्वारा नर्स की मौजुदगी में टांके काटे और दुबारा से लगाए गए। एक डॉक्टर कह रही थी कि कैसे करना है, कैसे होता है? 

मामला तब और समझ में आने लगा जब इसपर अस्पताल का कोई कर्मचारी बात तक नहीं कर रहा था। हमारी टीम इस सम्बंध में जब सुपरिटेंडेंट से बात करने गई तो उन्होंने पहले तो समय की व्यस्तता के कारण बात करने से इंकार कर दिया लेकिन बार बार रिक्वेस्ट करने से सुपरिटेंडेंट ने कहा आवश्यकता से अधिक लोगों का इलाज अस्पताल द्वारा किया जा रहा है। लेकिन उक्त मामले पर उन्होंने संज्ञान में नहीं आया था, अब आया है तो देखते हैं कहकर पल्ला झाड़ लिया। 

हालांकि हमारी टीम ने भुक्तभोगी पुरुष और अन्य महिलाओं से बात की तो पता चला कि तीन महिलाओं के साथ भी वैसा ही एक्सपेरिमेंट किया गया था। इस सम्बंध में जब नर्स से बात करने की कोशिश की जा गई तो उन्होंने भी बात नहीं कि। 

अब सरकार से यह उम्मीद है कि इंसानों की जान के साथ खिलवाड़ करने वाले नौसिखिया डॉक्टरों और अस्पताल प्रबंधन को इसकी सजा मिलेगी या फिर यह खेल ऐसा ही चलता रहेगा।

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