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सवाल 130 करोड़ लोगों की जिंदगी का है। जब कोरोना का अंत ही नहीं तो भीड़ भाड़ पर रोक क्यों नहीं?

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हमें भविष्य की रणनीति बनानी चाहिए। लेकिन इसकी अनदेखी करना सरकारी तंत्र की अव्यवस्था माने या कुछ और।

क्या तीसरा वेब आने वाला है? क्या कोरोना अब खत्म हो चुका है? क्या अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, लेमडा वेरिएंट के बाद अब कोई और खतरनाक वेरियंट किसी के शरीर में नहीं आएंगे?

इन सभी सवालों के जवाब न ही सरकार के पास है और न ही किसी वैज्ञानिक के पास। और राज्यों के अनलॉक की प्रक्रिया में सभी प्रतिष्ठानों के खोल दिये जाने से एक बार फिर डर पैदा हो गया है।

हमारे समाज का एक साधारण आदमी यह पूछता जरूर आता है कि – “क्या इलेक्शन के वक्त कोरोना छुट्टी पर रहता है?” जिसका जवाब ना ही केंद्र सरकार के पास है और ना ही राज्य सरकारों के पास।

Jamshedpur : आज दिनांक 2 जुलाई, 2021 है और झारखंड सरकार का अनलॉक 0.5 चल रहा है।  जैसा कि आप जानते हैं इस अनलॉक में सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान सुबह से लेकर रात 8 बजे तक खुले रहेंगे। वहीं भीड़भाड़ वाले स्थलों / प्रतिष्ठानों / परिवहन सेवाओं के लिए 50% लोगों की उपस्थिति को मान्य रखा गया है। जिनमें धार्मिक स्थल, पार्क, होटल, रेस्टोरेंट, लॉज, मॉल, जिम बैंक्वेट हॉल आदि शामिल है।

अब बात करते हैं आमजनों के मन में उठे सवालों की। यदि तीसरा लहर आने वाला है और जिसकी सूचना सभी राज्यों / सरकारों / पदाधिकारियों को है तो फिर क्या इस अनलॉक का फर्क तीसरे लहर में नहीं पड़ेगा? पहले लहर की छूट का नतीजा दूसरे लहर की भयावह स्थिति ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। प्रतिदिन कोरोना पॉजिटिव की सँख्या मई 2021 को 4.14 लाख के पास थी। लेकिन अच्छी बात यह थी कि रिकवरी रेट बेहतर था। किन्तु इस महामारी की चपेट में आकर हमने अपनों और कई महान शख्शियतों को खो दिया है।

आज की ताजा कोविड – 19 रिपोर्ट के अनुसार विश्व में,

कुल केस – 183, 551,119

मृत्यु – 3, 973, 943

ठीक हुए – 168, 020, 456

वहीं भारत में,

कुल केस – 30, 465,185

मृत्यु – 400, 434

ठीक हुए – 29, 546, 302

इन रिपोर्ट्स को देखते हुए हमें भविष्य की रणनीति बनानी चाहिए। लेकिन इसकी अनदेखी करना सरकारी तंत्र की अव्यवस्था माने या कुछ और। क्योंकि सवाल 130 करोड़ लोगों की जिंदगी का है। जब कोरोना का अंत ही नहीं तो भीड़-भाड़ पर रोक क्यों नहीं लगाया जाता।

इलेक्शन के वक्त कोरोना का भय न ही नेताओं को रहता है न जनता को। इसका ताजा नतीजा बिहार और पश्चिम बंगाल के इलेक्शन को देखकर समझ सकते हैं। वहीं अब अनलॉक के द्वारा भीड़भाड़ वाले स्थानों को भी खोलने की अनुमति मिल गई है। जिससे घरों में कैद जनता बेताब होकर इन जगहों पर खुशी के जश्न मनाएगी। खुशी तो ठीक है, लेकिन कहीं तीसरी लहर मातम में न बदल दे।

यहां एक बात कहना जरूरी हो गया है कि कमाई आधी या नहीं हो पाई है लेकिन टैक्स और ईएमआई सबको चाहिए। होल्डिंग टैक्स, बिजली बिल, स्कूल फीस, सालाना इनकम टैक्स ……. ।

क्या इनकम मिला है या कौन सा रोजगार ही मिला है कोरोना और लॉक डाउन में।

वैसे डर सिर्फ और सिर्फ अपनों के खोने का है। तीसरी लहर की हलचल, डेल्टा और लेमडा का प्रकोप होने के बावजूद धार्मिक स्थल, पार्क, होटल, रेस्टोरेंट, लॉज, मॉल, जिम बैंक्वेट हॉल आदि को ओपन करना क्या दर्शाता है? बस का परिचालन भी एक सवाल है? बस और ट्रेनों की भीड़ भी तीसरी लहर को लाने में सहयोग कर सकती है। इनके बंद होने से भी आवागमन तो रुका नहीं था। थोड़ी ढील देकर सारे रास्ते बंद करना क्या उचित होगा?

यह अनलॉक सरकार की नासमझी या डूबती अर्थव्यवस्था को संभालने का नुस्खा या पर्याप्त टैक्स की वसूली के लिए खोला गया रास्ता है।

खैर मन में सवाल तो अब भी यही है की जब तीसरी लहर आनी है तो इतनी सारी भीड़ को खुला रास्ता देना…. न जाने कौन-सा भयानक रूप लेगी यह कोरोना। 

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