जमशेदपुर। झारखण्ड
खाद्य आपूर्ति मंत्री रहते श्री सरयू राय और उनके कुछ निकटस्थ लोगों ने आहार पत्रिका के प्रकाशन के नाम पर बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता की है। झारखंड हाईकोर्ट में पिछले दिनों विधायक सरयू राय के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई। मामला खाद्य आपूर्ति मंत्री पद पर रहते हुए सरयू राय पर भ्रष्टाचार के लगे आरोप का है। जिसको लेकर प्रार्थी विनय कुमार सिंह की ओर से झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले को निष्पादित कर दिया। कोर्ट ने इसे भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला बताया। साथ ही प्रार्थी को यह छूट दी कि वह संबंधित जगह पर इस मामले में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करा सकते हैं। FIR नहीं होने की स्थिति में कोर्ट में फिर से अपील करने की भी छूट दी गई है। इसी संदर्भ में आज दिनांक 03.08.2023 को प्रार्थी विनय कुमार सिंह ने धुर्वा थाना, रांची में स्वयं एवं अपने अधिवक्ता के साथ जाकर प्राथमिकी हेतु आवेदन दिया।
पूर्व मंत्री श्री सरयू राय के कारनामें :
मंत्री पद पर रहते श्री सरयू राय ने अपने विभागीय पत्रिका आहार के प्रकाशन के लिए। मनोनयन के आधार पर झारखंड प्रिंटर्स का चयन करवाया। झारखंड सरकार की वित्तीय एवं कार्यपालिका नियमावली कहती हैं कि 15 लाख से अधिक की राशि से होनेवाले कार्य के लिए निविदा जरूरी है। इसके बाजवूद पूर्व मंत्री श्री सरयू राय ने मंत्री रहते मनोनयन पर झारखंड प्रिंटर्स को काम दिलवाया ।
– मनोनयन पर काम देने के लिए वित्तीय नियमावली के नियम 235 को शिथिल करने के लिए नियम 245 का सहारा लेना पड़ता है। साथ ही वित्त विभाग और कैबिनेट की सहमति जरूरी होती है। श्री सरयू राय ने न तो वित्त विभाग से सहमति ली न कैबिनेट से अपने स्तर से ही झारखंड प्रिंटर्स को काम देने का निर्णय ले लिया
– जनसंपर्क विभाग राज्य सरकार के हर विभाग के प्रचार प्रसार का काम करता है लेकिन श्री सरयू राय ने मंत्री रहते अपने विभाग के लिए अलग से पत्रिका का प्रकाशन कराया। इसके पीछे एकमात्र उद्देश्य सरकारी राशि का गबन करना था
– झारखंड प्रिंटर्स के चयन का आधार सिर्फ वार्तालाप था। यह बात फाइल में भी दर्ज है। मजेदार बात है कि पत्रिका में विभाग की योजनाओं के प्रचार से अधिक ज्यादतर पूर्व मंत्री का गुणगान होता था । इस पत्रिका के प्रकाशन से न तो सरकार को लाभ हुआ न जनता को ।
कैसे हुआ घोटाला
बिना टेंडर के आहार पत्रिका का प्रकाशन कराया गया। वित्तीय अनियमितता के उद्देश्य से तत्कालीन विभागीय मंत्री श्री सरयू राय ने अपने ही निजी सहायक श्री आनंद कुमार को विशेषज्ञ कार्यकारी संपादक नियुक्त कर दिया। श्री आनंद कुमार से टेलीफोनिक बातचीत के आधार पर झारखंड प्रिंटर्स को हर माह 2,61.793 कॉपी आहार पत्रिका छापने का ऑर्डर दे दिया गया।
– जब इस गड़बड़ी की सूचना बाहर आने लगी तो पत्रिका के प्रकाशन के लिए अप्रैल 2018 में टेंडर किया गया और काम पुनः उसी झारखंड प्रिंटर्स को दे दिया गया जो टेंडर होने के पहले से आहार पत्रिका का प्रकाशन कर रहा था
– टेंडर में भाग लेनेवाली दूसरी कंपनियों के पास झारखंड में और राज्य के लिए काम करने का काफी ज्यादा अनुभव था, जबकि झारखंड प्रिंटर्स को सिर्फ तीन साल के काम का अनुभव था।
– मजेदार बात है कि झारखंड प्रिंटर्स ने अपने काम के अनुभव के बारे में बताया कि उसने युगांतर प्रकृति नामक पत्रिका का प्रकाशन किया है। मालूम हो कि युगांतर प्रकृति के मुख्य संरक्षक श्री सरयू राय और संपादक उनके ही निजी सहायक श्री आनंद कुमार हैं। ऐसे में इस गड़बड़ी के बारे में समझना कोई मुश्किल भरा काम नहीं है।
– झारखंड प्रिंटर्स युगांतर प्रकृति का केवल 5000 कॉपी छापता था। वितरण के नाम पर उसका अनुभव सिर्फ युगांतर प्रकृति पत्रिका को संस्था के कार्यालय तक पहुंचाना था। राज्य में पत्रिका के वितरण का उसका कोई अनुभव नहीं था। उसके बावजूद 5000 कॉपी छापने का अनुभव रखनेवाले झारखंड प्रिंटर्स को 2,61,793 कॉपी हर माह छापने का काम दे दिया गया। इतना ही नहीं वितरण के नाम पर शून्य अनुभव रखनेवाले को पूरे झारखंड में पत्रिका वितरण का काम दिया गया ।
– 10 अगस्त 2019 को प्रभात खबर में समाचार प्रकाशित हुआ कि आहार पत्रिका राशन डीलरों तक नहीं पहुंच रही है। इस खबर के आधार पर विभाग ने सभी जिला आपूर्ति पदाधिकारियों एवं बाबा कंप्यूटर से सात दिनों के अंदर रिपोर्ट मंगवायी।
– 15 सितंबर 2019 को बाबा कंप्यूटर ने दूरभाष पर विभाग को जानकारी दी कि उसकी 298 डीलरों से बातचीत हुई है, जिसमें 115 ने स्वीकार किया कि उसे पत्रिका मिल रही।
जबकि 183 लोगो ने कहा कि उसे नियमित रूप से पत्रिका नहीं मिल रही है। कुछ का कहना था कि फरवरी से ही उन्हें पत्रिका नहीं मिल रही है। एक तरफ डीलर कह रहे थे कि उन्हें पत्रिका नहीं मिल रही है और दूसरी तरफ प्रिंटर्स को नियमित भुगतान किया जा रहा था।
– अनियमितता और शिकायत की सूचना मिलने के बावजूद झारखंड प्रिंटर्स के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी बल्कि उसे अवधि विस्तार दे दिया गया।
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखकर मेरे मुवक्किल श्री विनय कुमार सिंह ने खाद्य आपूर्ति विभाग के प्रधान सचिव, भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो के महानिदेशक, झारखण्ड राज्य के मुख्य सचिव एवं आदरणीय श्री हेमंत सोरेन, माननीय मुख्यमंत्री, झारखण्ड सरकार को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच कराने की मांग की परंतु मेरे मुवक्किल के आग्रह को राज्य सरकार ने नजरअंदाज कर दिया एवं मेरे मुवक्किल के आवेदन पर राज्य सरकार द्वारा किसी प्रकार से कार्रवाई नहीं करने के कारण माननीय झारखण्ड उच्च न्यायालय, रांची में जनहित याचिका दाखिल कर न्यायालय से आग्रह किया है कि उक्त सम्बन्ध में निष्पक्ष जांच एजेंसी से जांच करवाई जाये एवं दोषियों के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई की आग्रह किया, याचिका पर आज दिनांक 25 .07 .2023 को माननीय झारखण्ड उच्च न्यायालय, रांची में सुनवाई हुई याचिका करता कि ओर से lernaed advocate shri Manoj Tandan ने बहस की माननीय न्यायालय ने माना की यह मामला प्रथिमिकी का है याचिका करता चाहे तो प्रथिमिकी दर्ज़ करवा सकते है इसी निर्देश (with liberty ) के साथ याचिका निष्पादित कर दी गयी।
विनोद कुमार साहु अधिवक्ता, झारखण्ड उच्च न्यायालय, रांची
आहार बुलेटिन मामला का संचिका आधारित संक्षिप्त विवरण: –
1. 12.09.2017 – विभागीय सहायक एवं प्रशाखा पदाधिकारी के स्तर से आहार बुलेटिन का प्रकाशित करने का प्रस्ताव सृजित हुआ।
2. 22.09.2017 – विभागीय सचिव ने निम्नांकित टिप्पणी के साथ संचिका विभागीय मंत्री के समक्ष उपस्थिापित किया:-
माननीय मंत्री,
कृपया उपरोक्त अंश ‘क’ अनुमोदित किया जा सकता है। इसके लिए विशेषज्ञ की सेवा एवं प्रकाशक, पीआरडी/अन्य गर्वनमेंट डिपार्टमेंट द्वारा अप्रुवड रेट पर प्राप्त की जाएगी।
3. 26.09.2017 – विभागीय मंत्री ने टिप्पणी किया कि:-
पत्रिका के विषयवस्तु का प्रारूप विभागीय सचिव स्तर से अनुमोदित कराने के उपरंात छपाई के लिए भेजी जाय। पत्रिका के प्रथम अंक का डिजाईन, पृष्ठ सज्जा एवं ले-आउट के प्रारूप को अक्तुबर, 2017 के प्रथम सप्ताह में अंतिम रूप दे दिया जाय। प्रथम माह में पत्रिका का विमोचन, 16 अक्टूबर, 2017 (विश्व खाद्य दिवस) को किया जाय। आगे के लिए इसके प्रकाशन की एक निश्चित तिथि (महीने की पहली तारीख या 16 तारीख) तय कर दी जाय। विभागीय सचिव बुलेटिन के संपादक पद पर तथा श्री आनंद कुमार कार्यकारी अवैतनिक संपादक पद पर रहें।
4. 04.10.2017 – विभागीय सहायक, प्रशाखा पदाधिकारी एवं अन्य की टिप्पणी में बुलेटिन छपाई का विस्तृत ब्यौरा था, जिसमें अंकित था कि 16 अक्टूबर की तिथि काफी नजदीक है इसलिए सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, झारखण्ड के अनुमोदित दर पर झारखण्ड प्रिंटर्स प्राईवेट लि., 6-ए, गुरूनानक नगर, साकची, जमशेदपुर से बुलेटिन की छपाई एवं निःशुल्क सभी जिला मुख्यालय में पहंुचाने का ऑफर दिये जाने पर विचार किया जा सकता है। इसे उसी दिन विभागीय सचिव के अनुमोदन के उपरांत विभागीय मंत्री ने भी अनुमोदित कर दिया।
5. 11.10.2017 – विभागीय सचिव ने मुद्रण के प्रस्ताव प्रारूप को अनुमोदित किया। तदुपरांत पत्रिका प्रकाशित हुई और माननीय मुख्यमंत्री ने 16 अक्टूबर को पत्रिका का विमोचन किया।
6. 13.11.2017 – सहायक ने अपनी टिप्पणी में अंकित किया कि:-संबंधित फर्म द्वारा अभिश्रव प्रस्तुत किये जाने पश्चात संचिका संख्या-06/15 प्रचार-प्रसार (भुगतान)-02/2017-खा.आ. में इसके भुगतान की कार्रवाई प्रारम्भ की गई है। उक्त दर के संबंध में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, झारखण्ड से यह परामर्श प्राप्त किया गया है कि यह दर सही है या नहीं। साथ ही यह भी सूचना मांगा गया कि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के द्वारा अनुमोदित दर के आलोक में संबंधित नामित फर्म से आगे के माह में छपाई करायी जा सकती है या नहीं (विभागीय पत्रांक-4479, दिनांक 02.11.2017, पृष्ठ- 33/प.)।
इसके संबंध में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, झारखण्ड द्वारा पत्रांक 2969, दिनांक 10.11.2017 के माध्यम से यह सूचित किया गया कि 8 पृष्ठीय बहुरंगीय ए-4 साईज में 130 जीएसएम के आर्ट पेपर पर कुल 2.62 लाख प्रतियाँ प्रतिमाह की रूपये 10.66 प्रति पत्रिका छपाई की दर सही है। भविष्य में संबंधित नामित फर्म से आगे के माह में मुद्रण कराने के विषय पर वित्त विभाग से मंतव्य प्राप्त करने को कहा गया है।
उक्त के आलोक में योजना-सह-वित्त विभाग (वित्त प्रभाग) से यह मंतव्य प्राप्त करने पर विचार किया जा सकता है कि ‘ संदर्भित मासिक पत्रिका का मुद्रण सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, झारखण्ड के अनुमोदित एवं पुष्टि किये गये उपरोक्त दर पर संबंधित फर्म से आगे के माह में कराया जा सकता है या नहीं ?’
7. 01.12.2017 – योजना-सह-वित्त विभाग (वित्त प्रभाग) के विशेष कार्य पदाधिकारी ने निम्नांकित टिप्पणी के साथ अनुमति दी कि प्रशासी विभाग को यथा प्रक्रिया सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के द्वारा अनुमोदित दर पर कार्य कराने का परामर्श दिया जा सकता है। जिस पर सहमति देते हुए अपर मुख्य सचिव (योजना-सह-वित्त विभाग) ने संचिका खाद्य सार्वजनिक उपभोक्ता मामले विभाग को वापस कर दिया।
8. 13.12.2017 – इस बीच विभागीय सचिव का स्थानांतरण हो गया। नये विभागीय सचिव ने विभागीय मंत्री के अनुमोदनार्थ निम्नांकित टिप्पणी के साथ संचिका प्रस्तुत किया:-
1. मासिक बुलेटिन छपवाने हेतु निविदा आमंत्रित करने का प्रस्ताव है।
2. निविदा द्वारा कार्यान्वयन होने तक छपाई का कार्य पूर्व की भांति
जारी रहे।
3. मासिक बुलेटिन का ऐडिटर-डायरेक्टर हो तथा छपाई हेतु इम्पलीमेंटेशन डायरेक्टर से हो।
उसी दिन विभागीय मंत्री ने संचिका पर निम्नांकित टिप्पणी अंकित कियाः- कंडिका-1 एवं कंडिका-2 अनुमोदित। शेष पर आगामी अंक से क्रियान्वयन करें।
9. 22.03.2018- सहायक स्तर से मार्च, 2018 के अंक के प्रकाशन के संबंध में बुलेटिन के मार्च 2018 का अंक के भुगतान के संबंध में वित्तीय वर्ष का अंतिम माह होने के कारण कठिनाई होगी, क्योंकि बुलेटिन प्रारूप के निदेशक स्तर से संपुष्टि में विलंब हो गया है। अतः उपरोक्त तथ्यों के आलोक में खाद्य एवं उपभोक्ता मामले निदेशालय, झारखण्ड के ज्ञापांक 360, दिनांक 22.03.2018 को रद्द करते हुए ‘आहार’ के मार्च, 2018 के अंक का मुद्रण व वितरण करने पर उच्च स्तरीय आदेश शीघ्र प्राप्त करने पर विचार किया जा सकता है।
विभागीय सचिव ने इसी दिन निम्नांकित टिप्पणी के साथ संचिका मंत्री के समक्ष उपस्थापित किया:
प्रस्ताव अनुरूप ‘आहार’ का मार्च का वर्क ऑर्डर रद्द किया जा सकता है। उसी दिन विभागीय मंत्री ने सचिव की टिप्पणी पर यथा प्रस्तावित करते हुए निम्नांकित निर्देश दिया:-
आगे का अंक निविदा निष्पादन के उपरांत प्रकाशित किया जाय। बुलेटिन के वितरण की स्थिति के बारे में जिलों से प्रतिवेदन प्राप्त किया जाय।
10. तदुपरांत निविदा प्रकाशित हुई। निविदा में शर्त रखी गयी कि जो न्यूनतम दर आयेगा, वह यदि पूर्व में निश्चित झारखंड प्रिन्टर्स के सूचना एवं जनसम्पर्क के निर्धारित दर से अधिक आयेगा तब तो कोई बात नहीं। परन्तु यदि दर झारखंड प्रिन्टर्स के 10.66 रूपये प्रति बुलेटिन से कम आयेगा तो अन्तर की राशि झारखंड प्रिन्टर्स को हुए भुगतान में से समायोजित कर ली जाएगी।
निविदा में निम्नांकित फर्मों ने भाग लिया:-
1. भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित, राँची।
2. सेतु प्रिन्टर्स, राँची।
3. झारखण्ड प्रिन्टर्स, जमशेदपुर।
4. नेशनल प्रिन्टर्स, राँची।
11. 19.04.2018 – निविदा की दर आने पर विभागीय सचिव ने टिप्पणी अंकित किया कि आईपीआरडी दर एवं निविदा दर में अन्तर है। अतः पूर्व में भुगतान की गयी अन्तर राशि की वसूली करें।
उल्लेखनीय है कि निविदा में न्यूनतम दर 10.45 रूपया प्रति बुलेटिन आया। यह दर झारखंड प्रिंटर्स का था। जो इसके पूर्व दर 10.66 रूपया प्रति बुलेटिन से 21 पैसा कम था। निविदा शर्त के अनुसार बुलेटिन के पाँच अंकों (अक्टूबर 2017-फरवरी, 2018) की छपाई में भुगतेय राशि के अंतर का समायोजन विभाग द्वारा झारखण्ड प्रिंटर्स के अभिश्रव से कर लिया गया।