नई दिल्ली: शोधकर्ताओं ने धातु- कार्बनिक संरचना (मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क-एमओएफ) के क्रिस्टलों के लचीलेपन (फ्लेक्सिबिलिटी) के अंतर्निहित तंत्र का गहन विश्लेषण किया है और इस लचीलेपन के लिए क्रिस्टल के भीतर नरम और कठोर कंपन से जुड़ी व्यापक उस संरचनात्मक पुनर्व्यवस्था को उत्तरदायी ठहराया है जो दृढ़ता से तनाव क्षेत्रों को जोड़ते हुए विभिन्न विश्लेष्णात्मक उद्योगों में विविध अनुप्रयोगों के साथ नवीन सामग्रियों के द्वार खोलता है।
धातु- कार्बनिक संरचना (मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क -एमओएफ) क्रिस्टलीय सामग्रियों का एक बड़ा वर्ग है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों को अवशोषित करने और उन्हें संग्रहीत करने के साथ-साथ कच्चे तेल के शुद्धिकरण के लिए फिल्टर के रूप में कार्य करने की उल्लेखनीय क्षमता होती है। एमओएफ अपनी यह क्षमता नैनोपोर्स की उपस्थिति से प्राप्त करते हैं, जो उनके सतह क्षेत्रों को बढ़ाते हैं, और जो बदले में उन्हें गैसों को अवशोषित और संग्रहीत करने में कुशल बनाते हैं। हालाँकि, सीमित स्थिरता और यांत्रिक कमजोरी ने उनके व्यापक अनुप्रयोगों में बाधा उत्पन्न की है।
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इस समस्या को हल करते हुए, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र, (जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च- जेएनसीएएसआर) बेंगलुरु में सैद्धांतिक विज्ञान (थ्योरिटिकल साइंसेज) इकाई के प्रोफेसर उमेश वी. वाघमारे और उनकी टीम ने हाल ही में एक क्रिस्टल के लिए यांत्रिक लचीलेपन की नयी मात्रात्मक माप प्रस्तावित की है जिसका उपयोग अगली पीढ़ी की लचीली सामग्रियों की पहचान करने के लिए सामग्री डेटाबेस को स्क्रीन करने के लिए किया जा सकता है।
उनका शोधपत्र, “क्रिस्टलीय सामग्रियों के आंतरिक यांत्रिक लचीलेपन की मात्रा निर्धारित करना (क्वांटीफाइंग दी इंट्रीन्सिक मैकेनिकल फ्लेक्सिबिलिटी ऑफ़ क्रिस्टिलाइन मैटेरियल्स)”, यांत्रिक लचीलेपन की उत्पत्ति पर अभूतपूर्व अंतर्दृष्टि प्रस्तुत करता है और यह जर्नल फिजिकल रिव्यू बी में प्रकाशित हुआ था। प्रोफेसर वाघमारे के शोध का ध्यान विशेष रूप से ऐसे एमओएफ पर केंद्रित है, जो अपनी सुंदर क्रिस्टलीय संरचना और बड़े लचीलेपन के लिए ज्ञात हैं ।
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ऐतिहासिक रूप से, किसी भी क्रिस्टल में लचीलेपन का मूल्यांकन लोचदार मापांक नामक एक ऐसे मानक (पैरामीटर) के संदर्भ में किया गया है, जो तनाव-प्रेरित विरूपण (स्ट्रेन इन्ड्यूज्ड डेफोर्मेशन) के लिए सामग्री के प्रतिरोध का एक मापन है। इसके विपरीत, यह अध्ययन समरूपता बाधाओं (सिमेट्री कंस्ट्रेंट्स) के अंतर्गत आंतरिक संरचनात्मक पुनर्व्यवस्था के माध्यम से लोचदार तनाव या तनाव ऊर्जा के आंशिक उत्सर्जन के आधार पर एक अद्वितीय सैद्धांतिक उपाय का प्रस्ताव करता है।
इस नई मीट्रिक की गणना सिमुलेशन की मानक तकनीकों का उपयोग करके आसानी से की जा सकती है और यह शून्य से एक के पैमाने पर क्रिस्टल के लचीलेपन का अंशांकन कर सकती है, इसमें शून्य सबसे कम लचीलेपन को दर्शाता है जबकि एक अधिकतम लचीलेपन को इंगित करता है। इसके अतिरिक्त, यह खोज क्रिस्टल के लचीलेपन में एक अद्वितीय और मात्रात्मक अंतर्दृष्टि का एक ऐसा आयाम प्रदान करता है, जो अभी तक अज्ञात था।
सैद्धांतिक गणनाओं का उपयोग करते हुए, टीम ने अलग-अलग लोचदार कठोरता और रासायनिकी के साथ चार अलग-अलग प्रणालियों के लचीलेपन की जांच की। उन्होंने पाया कि लचीलापन एक क्रिस्टल के भीतर नरम और कठोर कंपन से जुड़े बड़े संरचनात्मक पुनर्व्यवस्था से उत्पन्न होता है जो दृढ़ता से तनाव वाले क्षेत्रों को जोड़ता है।
इस प्रकार टीम का यह शोध पिछले अध्ययनों के विपरीत, क्रिस्टल के लचीलेपन के अंतर्निहित तंत्र की गहन समझ प्रदान करके पारंपरिक दृष्टिकोण से कहीं आगे निकल जाता है जो मुख्य रूप से लोचदार गुणों पर केंद्रित थेI साथ ही यह कार्य लचीलेपन को क्रिस्टलों के ऐसे आंतरिक गुणों (इन्ट्रीन्सिक प्रॉपर्टीज) के रूप में स्थापित करता है, जो उनके विशिष्ट आकार या रूप से स्वतंत्र है।
प्रोफेसर वाघमेरे ने बताया कि विशेष रूप से एमओएफ के संदर्भ में लचीलेपन का नया पाया गया यह मापन सामग्री विज्ञान में क्रांति लेकर आएगा और दृढ़तापूर्वक कहा “यह सैद्धांतिक ढांचा डेटाबेस में ऐसी हजारों सामग्रियों की स्क्रीनिंग को सक्षम बनाता है, जो प्रयोगात्मक परीक्षण के लिए संभावित प्रतिदर्शों की पहचान करने का एक लागत प्रभावी और कुशल तरीका प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त अतिलचीले (अल्ट्राफ्लेक्सिबल) क्रिस्टल का डिज़ाइन भी अधिक प्राप्य हो जाता है, जो पारंपरिक प्रयोगात्मक तरीकों से उत्पन्न चुनौतियों का व्यावहारिक समाधान भी प्रस्तुत करता है।
इस शोध में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा के भौतिकविदों और रसायनज्ञों की एक टीम का अंतर्निहित सहयोगात्मक प्रयास विशेष रूप से उल्लेखनीय हैजो अध्ययन में भी शामिल है। इस अंतःविषय दृष्टिकोण ने सैद्धांतिक अंतर्दृष्टि और प्रयोगात्मक अनुप्रयोगों के बीच अंतर को पाटते हुए विषय की अधिक व्यापक समझ की सुविधा प्रदान की है I
हालाँकि लचीलेपन का यह प्रस्तावित मापन अभी सैद्धांतिक है, पर प्रयोगवादियों को यह बहुत उपयोगी लगेगा। इस शोध के संभावित अनुप्रयोग भौतिकी के दायरे से भी आगे निकलते हुए जो विभिन्न उद्योगों में विविध अनुप्रयोगों के साथ नवीन सामग्रियों के द्वार खोलते हैं।
सामग्री अनुसंधान में एक नए प्रतिमान (पैराडाइम) का मार्ग प्रशस्त करते हुए, यह शोध अध्ययन सामग्री विज्ञान के भविष्य को आकार देने में अंतःविषय (इन्टर-डीसीप्लींनरी) सहयोग और सैद्धांतिक (थ्योरिटिकल) प्रगति के महत्व का उदाहरण देता है।
प्रकाशन लिंक: https://journals.aps.org/prb/abstract/10.1103/PhysRevB.108.214106
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लेखक का नाम: प्रोफेसर उमेश वाघमारे
ईमेल आईडी: wagmare@jncasr.ac.in