भारत में पहली बार किसी महिला को फांसी की सजा दी जाने वाली है।
जी हां दोस्तों स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी महिला को फांसी की सजा दी जाने वाली है। न्यायिक प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं बस डेट तय होना अभी बाकी है।
फांसी पाने वाली महिला का नाम शबनम है । शबनम के साथ ही उसके प्रेमी सलीम को भी फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है ।
आखिर शबनम ने ऐसा क्या किया था कि उसे फांसी दी जा रही है?
आपको बता दें कि यह घटना सुनने वालों के रौंगटे खड़े कर देने वाला था।
उत्तर प्रदेश, अमरोहा की रहने वाली शबनम और उसके प्रेमी सलीम ने मिलकर कुल सात लोगों की हत्या कर दी थी। यह दर्दनाक घटना वर्ष 2008 की है। शबनम ने अपने ही परिवार के सात लोगों की टांगी से काटकर बेरहमी से हत्या करवा दी थी। इस घटना में शबनम ने अपने 10 माह के भतीजे को भी नहीं बख्शा।
इस घटनाक्रम के कुछ दिनों बाद ही शबनम और सलीम को हिरासत में ले लिया गया था। मामला कोर्ट में गया जिसकी सुनवाई 27 महीनों तक चली जिसमें कुल 100 तारीखों तक बहस हुई। कुल 29 गवाहों ने इन दोनों के खिलाफ गवाही भी दी। वर्ष 2010, 14 जुलाई को शबनम और सलीम दोषी को करार दिया गया और 15 जुलाई 2010 को दोनों को फांसी की सजा सुनाई गई । इस केस में गवाहों से कुल 649 सवाल किये गये । 160 पेज की यह सुनवाई तीन जिला जजों के कार्यकाल में पूरी हुई। जिला जज एसएए हुसैनी ने यह घटना सुनकर ही मात्र 29 सेंकेड में फांसी की सजा सुना दी थी। अब शबनम को मथुरा जेल में फांसी की सजा दी जायेगी।
ताज का जन्म 13 दिसंबर वर्ष 2008 को हुआ था। ताज बुलंदशहर के सुशील विहार कॉलोनी में रहने वाले उस्मान सैफी के पास रहता है। बता दें कि शबनम और उस्मान सैफी एक ही कॉलेज में पढ़ते थे और दोनों दोस्त हुआ करते थे।
21 फरवरी 2021 को उस्मान सैफी ने ताज को जेल में बंद उसकी मां शबनम से मिलाने रामपुर जेल ले गये थे। उस्मान के मुताबिक जब शबनम ने अपने बेटे को देखा तो वो फफक कर रोने लगी और काफी देर तक अपने बेटे ताज से लिपट रोती रही। साथ ही वह अपने बेटे को बार-बार चुम रही थी और कह रही थी कि बेटा, पढ़-लिख कर अच्छा इंसान बनना। मैं बुरी मां हूं मुझे कभी याद मत करना।
2008 की यह घटना माफी के लायक तो कतई नहीं है फिर भी ताज ने अपने मां को माफ करने की गुहार राष्ट्रपति से की है। अब देखना यह है कि रास्ट्रपति 7 हत्याओं के गुनहगार को सजा देते हैं या एक मासूम की मां को मांफी।