Ranchi: बृहस्पतिवार 15 दिसम्बर, 2022
राज्य में एक के बाद एक अफसर भ्रष्टाचारी के लिस्ट में आते जा रहे हैं। आज हम बात कर रहे हैं रांची के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता रमेश कुमार सिंह की, जिनके कार्य करने की शैली देखकर पूरा राज्य हतप्रभ है। हालांकि उनके इस कृत्य के लिए विभाग की ओर से उपहार स्वरूप उन्हें कारण बताओ का नोटिस यानी शो-कॉज दिया जा चुका है। इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए उनके खिलाफ विभाग ने प्रशासनिक कार्रवाई करने की चेतावनी तक दे डाली है।
बता दें कि उप नगर आयुक्त रांची नगर निगम रजनीश कुमार ने 2 दिसंबर 2021 को ही इसकी जांच कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। लंबे समय के अंतराल पर यानी एक साल बाद पूरे मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है।
आपको बता दें कि नगर विकास एवं आवास विभाग ने ठेकेदार शंभू सिंह को एकरारनामा से अधिक राशि का भुगतान करने के मामले में कार्यपालक अभियंता रमेश कुमार सिंह दोषी पाया है। वर्तमान में पदाधिकारी रमेश कुमार सिंह हजारीबाग नगर निगम में कार्यपालक अभियंता के पद पर कार्यरत हैं।
उपनगर आयुक्त की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि तत्कालीन कार्यपालक अभियंता रमेश सिंह ने जानबूझकर संवेदक शंभू सिंह को लाभ पहुंचाने के लिए एकरारनामा की राशि में फेरबदल करते हुए 2,28,40,564 (दो करोड़ अट्ठाइस लाख चालीस हजार पांच सौ चौसठ) की जगह 22,56,30,315 (बाइस करोड़, छप्पन लाख, तीस हजार, तीन सौ पंद्रह) रुपये का भुगतान करवाया।
बता दें कि संवेदक शंभू सिंह को रांची नगर निगम द्वारा निगम क्षेत्र में पथ निर्माण का कार्य दिया गया था। जिसमें दिप्यानी मोटर के उत्तर प्रगति बिहार होते हुए डिबडीह बस्ती तक पथ निर्माण, डिबडीह में जेवीएन कार्यालय से संत एग्नेस स्कूल तक बिटुमिनस द्वारा पथ सुधार कार्य कराया गया था।
सरकारी अफसर ने रुपयों के गबन का निकाला गजब तरीका। लेकिन वे जोड़ घटाव करना शायद भूल गए। स्कूली शिक्षा ली होती ढ़ंग से तो आज ऐसी भूल न हो पाती। वह शिक्षा है- नैतिक शिक्षा।
हालांकि रुपयों के गबन की बात कई माध्यमों से भी सामने आयी और जानबूझकर एकरारनामा राशि में फेरबदल कर 22 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान संवेदक शंभू सिंह को कराया गया। मामला उजागर होने के बाद विभाग ने उनसे स्पष्टीकरण पूछा था, जिसका जवाब उन्होंने दो नवंबर 2021 को दिया था। इस स्पष्टीकरण के बाद राज्य सरकार ने उप नगर आयुक्त रजनीश कुमार से जांच कराया। उनकी रिपोर्ट से प्रथम दृष्टया में ही आरोप प्रमाणित हुआ। सरकार का मानना है कि रमेश कुमार सिंह का यह कृत्य झारखंड सेवा संहिता के प्रतिकूल है एवं इस कृत्य से निगम की भी छवि धुमिल हुई है। स्पष्ट जवाब न दे पाने पर हो सकता है उनपर कड़ी कार्यवाही हो।