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योग विश्व के कोने- कोने तक पहुंच जाए – प्रधानमंत्री श्री मोदी, वहीं जस्टिस मार्कण्‍डेेय काटजू ने योग दिवस को बताया नौटंकी

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हमें यह सुनिश्चित करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए कि योग विश्व के कोने- कोने तक पहुंच जाए : प्रधानमंत्री श्री मोदी

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कण्‍डेेय काटजू ने योग दिवस को बताया नौटंकी।

New Delhi : आज दिनांक 21 जून, 2021 को सातवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर देश को संबोधित करते हुए पूरे विश्व के लिए एक संदेश दिया है की योग के द्वारा भारत की अद्वितीय सभ्यता और संस्कृति का दर्शन कैसे प्राप्त किया जाए?

वहीं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने योग आचार्यों, योग प्रचारकों और योग कार्य से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि योग विश्व के कोने-कोने तक पहुंच जाए।
धार्मिक ग्रंथ गीता के श्लोक को पढ़ते हुए कहा कि हमें योग की सामूहिक यात्रा पर आगे बढ़ते रहने की आवश्यकता है क्योंकि योग में सबके लिए समाधान है। कष्टों से मुक्ति ही योग है और यह सबकी सहायता करता है।
योग की बढ़ती लोकप्रियता और लोगों की दिलचस्पी को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि – “यह महत्वपूर्ण है कि अपनी नींव और मूल को यथावत रखते हुए योग विश्व के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचे। योग आचार्यों और हममें से प्रत्येक व्यक्ति को सभी लोगों तक योग को पहुंचाने के अपना कर्तव्य समझते हुए इसमें योगदान देना चाहिए।”

उनके इस वक्तव्य से यह साफ झलकता दिखाई दे रहा है कि वे भारतीय संस्कृति और पारंपरिक सभ्यता, भारत का अद्वितीय ज्ञान-विज्ञान दुनियां के कोने-कोने में पहुंचाना चाहते हैं। वाकई उनकी सोच भारतीय संस्कृति की विचारधारा “वसुधैव कुटुंबकम” को जागृत करती है। हम सभी भारतीयों का यह संकल्प होना चाहिए कि भारत की जोत से विश्व प्रकाशित होता रहे। 

किन्तु कुछ लोग भारत में ऐसे भी हैं जिन्हें भारतीय परंपरा से ही घृणा है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कण्‍डेेय काटजू ने योग दिवस को बताया नौटंकी, कहा- “जिनके पास रोटी नहीं, उनसे यह केक खाने को कहने जैसा।”

उनका मानना है कि देश में गरीबी, भुखमरी के माहौल में यह सब बकवास करने जैसा है।

लेकिन जस्टिस साहब आप अंग्रेजी की एक कहावत भूल गए – ‘Prevention is better than cure’.

बीमार होकर डॉक्टर और हॉस्पिटल को लाखों रुपये देना सही है या कुछ समय योग करके निरोग बने रहना अच्छा है। 

खैर आप तो हमसब से अधिक पढ़े लिखें है, आप को लगता है कि डॉक्टर के पास जाना ही उचित इलाज है तो ….। वैसे राजनीतिक विचारधारा और  विपरीत सदस्य होने के नाते ज्ञान दे रहे तो ठीक है, आप सही जा रहे हैं।

अनगिनत मंदबुद्धि लोग भारत में विद्यमान हैं जिन्हें मात्र सात सालों में ही भारत में गरीबी, भुखमरी, भ्रष्टाचार नजर आता है। इससे पहले तो वे सभी स्वर्णिम युग में जी रहे थे।

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