जमशेदपुर: दिनांक 9 अगस्त 2024, शुक्रवार को मुरली ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के तत्वाधान में ‘विश्व आदिवासी दिवस’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी समाज की गौरवशाली परंपराओं और उनके योगदान को सम्मानित करना था।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रिसिंपल डॉ. नूतन रानी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि “आदिवासी” शब्द अपने आप में एक गौरव का प्रतीक है, जो ‘आदि’ और ‘वासी’ दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘मूल निवासी’। उन्होंने बताया कि भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 10% यानी 10 करोड़ लोग आदिवासी हैं, जो प्राचीन काल से जंगलों में रहते आए हैं। ये प्रकृति को भगवान मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आदिवासियों ने ही स्वतंत्रता संग्राम का बीज बोया था, और आज उनके उत्थान के लिए सरकार कई कदम उठा रही है।
इसके बाद, शिक्षिका श्रीमती प्रियंका तिवारी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आदिवासी प्रकृति को अपनी मां के रूप में पूजते हैं और उन्हें ‘जनजाति’ भी कहा जाता है। भारत में कुल 41 प्रमुख जनजातियां हैं।
शिक्षिका श्रीमती टीना, श्रीमती मालती, और श्रीमती मिताली ने भी अपने विचार साझा किए, जिसमें उन्होंने आदिवासी समाज की विशेषताओं और उनके संघर्षों पर प्रकाश डाला।
कक्षा 10 के छात्र लक्ष्यदीप ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आदिवासियों को समाज की मुख्य धारा में शामिल किया जाना चाहिए ताकि वे भी उन्नति कर सकें। छात्रों ने इस अवसर पर कई प्रेरणादायक स्लोगन भी लिखे, जिनमें से कुछ प्रमुख थे:
- “एक तीर एक कमान, आदिवासी एक समान।”
- “जय जोहार का नारा है, भारत देश हमारा है।”
- “जंगल जमीन किसकी है हमारी- है हमारी है।”
- “जंगल जमीन की रक्षा कौन करेगा हम करगे – हम करेंगे।”
अंत में धन्यवाद ज्ञापन शिक्षिका सुश्री सुशीला कुमारी ने दिया।