जमशेदपुर | झारखण्ड
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शास्त्रीय विधि से शिवजी की उपासना कर शिवभक्ति बढ़ाकर देवाधिदेव महादेव की कृपा प्राप्त करने हेतु समिति द्वारा 3 – दिवसीय विशेष कार्यक्रम एवं सामूहिक नामजप यज्ञ का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम तीन दिन सायं. 4 से 4.45 की कालावधि में लिया गया। प्रत्येक दिन सत्संग के अन्त में सामुहिक रूप से ” ॐ नमः शिवाय ” यह नामजप यज्ञ भी संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में शिवजी की आध्यात्मिक विशेषताएं क्या हैं?, देवालय में शीवपिण्डी के दर्शन कैसे करें?, शिवजी को बिल्वपत्र कैसे चढ़ायें?, शिवजी की परिक्रमा कैसे करें ? आदि विषयों की शास्त्रीय जानकारी दी गई। सहजता से प्रसन्न होने वाले भगवान शिव की आराधना का दिन है महाशिवरात्रि ऐसा बताया गया। इसलिए इस दिन भगवान शिव की शास्त्रानुसार एवं भावपूर्ण पूजा-अर्चना करने के साथ ‘ॐ नमः शिवाय’ यह नामजप अधिकाधिक कर हमें शिवजी की कृपा प्राप्त करनी चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन शिवतत्त्व नित्य की तुलना में 1000 गुना अधिक कार्यरत रहता है।
इस कालावधि में शिव-तत्त्व अधिकाधिक आकृष्ट करने वाले बेल पत्र, श्वेत पुष्प इत्यादि शिवपिंडी पर दस अथवा दस के गुणज में चढाएं। इन पुष्पों को चढ़ाते समय उनका डंठल शिवजी की और रखकर चढ़ाएं। शिवजी परिक्रमा बाईं ओर से आरंभ कर जल प्रणालिका के दूसरे छोर तक जाते हैं । उसे न लांघते हुए मुडकर पुनः जलप्रणालिका तक आते हैं । ऐसा करने से एक परिक्रमा पूर्ण होती है।
व्रत की विधि के विषय में बताया गया, महाशिवरात्रि के एक दिन पहले अर्थात फाल्गुन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी पर एकभुक्त रहकर चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल व्रत का संकल्प किया जाता है । सायंकाल नदी पर अथवा तालाब पर जाकर शास्त्रोक्त स्नान किया जाता है । भस्म और रुद्राक्ष धारण कर प्रदोष काल में शिवजी के मन्दिर जाते हैं। शिवजी का ध्यान कर षोडशोपचार पूजन किया जाता है । उसके बाद भवभवानी प्रीत्यर्थ (यहां भव अर्थात शिव) तर्पण किया जाता है। नाम मन्त्र जपते हुए शिवजी को एक सौ आठ कमल अथवा बिल्वपत्र व पुष्पांजलि अर्पित कर अर्घ्य दिया जाता है। पूजासमर्पण, स्तोत्र पाठ तथा मूल मन्त्र का जाप हो जाए, तो शिव जी के मस्तक पर चढाए गए फूल लेकर अपने मस्तक पर रखकर शिवजी से क्षमा याचना की जाती है।
कार्यक्रम में कतरास, धनबाद, रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग, कोलकाता, आदि क्षेत्रों से शिवभक्त बड़ी संख्या में सहभागी हुए।