टेक्नोलॉजी

भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन की परिभाषा की घोषणा की।

Published

on

THE NEWS FRAME

विज्ञान  |  नई दिल्ली  

भारत के लिए ग्रीन हाइड्रोजन मानक 12 महीने के औसत के रूप में 2 किलो सीओ2 इक्विवैलेंट/ किलोग्राम एच2 की उत्सर्जन सीमा निर्दिष्ट की गई है। 

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, सरकार ने भारत के लिए हरित हाइड्रोजन मानक को अधिसूचित कर दिया है। भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा जारी मानक में उन उत्सर्जन सीमाओं के बारे में बताया गया है जिनका पालन नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादित हाइड्रोजन को ‘हरित’ के रूप में वर्गीकृत करने के लिए किया जाना चाहिए। परिभाषा के दायरे में इलेक्ट्रोलिसिस-आधारित और बायोमास-आधारित हाइड्रोजन उत्पादन विधियां शामिल हैं।

कई हितधारकों के साथ चर्चा के बाद, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने ग्रीन हाइड्रोजन को 2 किलोग्राम सीओ2 इक्विवैलेंट/किग्रा एच2 से अधिक वेल-टू-गेट उत्सर्जन (यानी, जल उपचार, इलेक्ट्रोलिसिस, गैस शोधन, सुखाने और हाइड्रोजन के संपीड़न सहित) नहीं होने के रूप में परिभाषित करने का निर्णय लिया है।

अधिसूचना में निर्दिष्ट किया गया है कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा हरित हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव की माप, रिपोर्टिंग, निगरानी, ऑन-साइट सत्यापन और प्रमाणन के लिए एक विस्तृत पद्धति निर्दिष्ट की जाएगी।

अधिसूचना में यह भी निर्दिष्ट किया गया है कि ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई), विद्युत मंत्रालय ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन परियोजनाओं के लिए निगरानी, सत्यापन और प्रमाणन के लिए एजेंसियों की मान्यता के लिए नोडल प्राधिकरण होगा।

ग्रीन हाइड्रोजन मानक की अधिसूचना से भारत में ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में और अधिक स्पष्टता आएगी और व्यापक रूप से इस अधिसूचना का इंतजार किया जा रहा था। इस अधिसूचना के साथ, भारत ग्रीन हाइड्रोजन की परिभाषा की घोषणा करने वाले दुनिया के कुछ शुरुआती देशों में से एक बन गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Trending

Exit mobile version