दोस्तों इस विषय के – पार्ट 1 में हमने जाना कि भारत देश में अल्पसंख्यक कौन है? इसके दूसरे पार्ट में हम अल्पसंख्यक के विकास को लेकर भारत सरकार की नीतियों पर एक नजर डालेंगे।
भारत देश में अल्पसंख्यक और उनके सुनहरे भविष्य के विकास की कहानी – पार्ट 1
अब हमें यह भी जानना आवश्यक हो गया है कि अल्पसंख्यक बहुलता की पहचान के लिए प्रयुक्त जनसंख्या मानदंड क्या है?
बता दें कि प्रधानमंत्री के नए दिशा निर्देश के आधार पर ‘पर्याप्त अल्पसंख्यक आबादी’ 15 सूत्री कार्यक्रम का इस्तेमाल कर उन जिलों की पहचान की गई जो अपेक्षाकृत पिछड़ा है और जिसमें कुल जनसंख्या का कम से कम 25% से आता है। एमसीडी, एमसीबी और एमसीटी की पहचान के लिए अल्पसंख्यक समुदायों का इस्तेमाल किया गया है।
क्या आप जानते हैं अब तक कितने अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों की पहचान की गई है?
इसके जवाब में कहना होगा कि वर्ष 2001 में हुए जनगणना के आंकड़े और पिछड़ेपन के मानदंड के अनुसार अब तक कुल 90 अल्पसंख्यक बहुल जिले और 710 अल्पसंख्यक बहुल ब्लॉक की पहचान की गई है। जिसमें से 66 नगरों को जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक बहुल नगरों की पहचान की गई है।
एमएसडीपी (MSDP) क्या है और इसका प्रमुख उद्देश्य क्या है?
MSDP एक विशेष क्षेत्र के लिए विकास योजना है जिसे अल्पसंख्यक बहुल जिलों में ‘विकास की कमी’ को दूर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
MSDP पर अल्पसंख्यकों के विकास के लिए सरकारी योजनाओं की विशेष जानकारी सरकारी पोर्टल पर भी देखी जा सकती है। पोर्टल का लिंक नीचे दिया गया है –
हम यह भी देखते हैं विश्व के अन्य देशों से भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति बेहतर है। केवल भारत के पड़ोसी देशों की ही बात करें तो उनके यहां अल्पसंख्यकों के आर्थिक और सामाजिक विकास की बात तो दूर की है उनकी जनसंख्या भी लगातार शून्य हो चुकी है। इसके ठीक विपरीत भारत में अल्पसंख्यकों का सर्वांगीण विकास हो रहा है।
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