मुख्य बिंदु:
– पहली बार होगा बिहार-यूपी के लोगों का महाजुटान।
– झारखंड को मज़बूत करने की होगी चर्चा।
जमशेदपुर: बिहार-यूपी एकता मंच द्वारा 22 सितंबर को “स्वाभिमान एकता यात्रा” का आयोजन किया जा रहा है। यह यात्रा बारिदीह गोलचक्कर से एग्रीको गोलचक्कर तक निकाली जाएगी। झारखंड के इतिहास में पहली बार बिहार-यूपी के लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर के साथ एक बड़े आयोजन का हिस्सा बनेंगे। इस यात्रा में महिलाएं सांस्कृतिक परिधानों में और पुरुष कंधे पर गमछा रख, हाथ में लाठी लेकर अपनी संस्कृति का प्रचार-प्रसार करेंगे।
आयोजन के बारे में जानकारी देते हुए सागर तिवारी, आयोजक, ने कहा कि बिहार और यूपी अपनी संस्कृति और संस्कारों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। छठ पर्व इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जो बिहार से लेकर अमेरिका तक धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन वर्तमान समय में देश के अंदर राजनीतिक फायदे के लिए समाज में दरार डालने की कोशिश हो रही है। ऐसे समय में, यह “स्वाभिमान एकता यात्रा” झारखंड में सभी समुदायों को एकजुट करने के उद्देश्य से की जा रही है।
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सागर तिवारी ने यह भी कहा कि 2000 से पूर्व जन्मे सभी लोग, चाहे किसी भी जाति, संप्रदाय या धर्म से हों, मूल रूप से बिहार से संबंधित हैं। उनके जन्म प्रमाण पत्रों में लिखा होता है कि उनका जन्म बिहार प्रदेश के जमशेदपुर, रांची, दुमका जैसी जगहों पर हुआ है। यह यात्रा यह संदेश देने का प्रयास है कि झारखंड में रहने वाले सभी लोग एक हैं और एकता के साथ मिलकर राज्य को मज़बूत बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।
इस यात्रा का आयोजन इसलिए भी किया जा रहा है ताकि उन नेताओं को जवाब दिया जा सके, जो बिहारी समाज की तुलना बांग्लादेशी घुसपैठियों से कर रहे हैं। यह यात्रा यह दिखाएगी कि झारखंड में सभी लोग एक हैं और जाति या धर्म के नाम पर बंटने वाले नहीं हैं। इस यात्रा का उद्देश्य झारखंड को तोड़ने के प्रयासों का विरोध करना और राज्य को एकजुट रखना है।
आयोजक सागर तिवारी ने बताया कि यह यात्रा झारखंड के अन्य जिलों में भी निकाली जाएगी और हर वर्ष इस यात्रा का आयोजन किया जाएगा ताकि समाज को तोड़ने की कोशिश करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
इस मौके पर मुख्य रूप से सागर तिवारी, राजेश झा, प्रदीप सिंह, धर्मबीर महतो, रामकृष्ण दूबे, राकेश चौरसिया, राजकुमार पाठक, अमित तिवारी आदि उपस्थित थे।