झारखंड राज्य में खनन कानून की हो रही अनदेखी – बालू वैध या अवैध।
जमशेदपुर: झारखंड राज्य की सबसे बड़ी सम्पत्ति यहां के प्राकृतिक संसाधनों में है। जिसका इस्तेमाल कर यहां के निवासियों द्वारा जीविकोपार्जन के लिए किया जाता रहा है। वहीं सरकार की पैनी नजरों ने यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों की अवैध कारोबार पर कई नियम कानून लगाए हैं। मामला जब खनन का हो तब यह नियम और भी कठोर हो जाता है।
लेकिन क्या हो जब खनन कानून के जानकारी की कमी काबिल अफसरों में हो।
हम बात कर रहे है जमशेदपुर शहर में हुए एक खनन मामले कि, जिसमें बालू से लदे एक हाइवा को जब्त कर लिया गया और जिसे अवैध खनन का मामला बताया गया।
आइये जानते हैं क्या है मामला
जिला पूर्वी सिंहभूम के बोड़ाम थाना क्षेत्र अंतर्गत, बोटा चौक के पास से दिनांक 27 मई की रात्रि लगभग 10:30 बजे के आसपास एक बालू लदे हाइवा संख्या JH05 AT 3558 को जब्त कर बोड़ाम थाना ले आई। जिसकी जानकारी हाइवा मालिक दी गई।
हाइवा मालिक दिलीप कुमार साहू ने बताया कि उन्होंने रात्रि 12 बजे के आसपास बोड़ाम थाना पहुंचकर यथास्थिति की जानकारी ली। थाना प्रभारी उपेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि इस सम्बंध में सुबह बात करेंगे, सुबह आइये। हाइवा मालिक दिलीप कुमार साहू सुबह के करीब 10 बजे पुनः बोड़ाम थाना पहुंचे जहां थानेदार उपेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि इसका फाइन जिला खनन विभाग के कार्यालय में जाकर दे दीजिए। इसपर हाइवा मालिक ने थाना प्रभारी से बताया कि उन्होंने ग्राम सभा से पूरे वैध कागजातों के साथ ही बालू का उठाव किया है। जब बालू उठाव वैध है तब फाइन किस आधार पर दिया जाए।
थाना प्रभारी ने कहा कि विशेष जानकारी DMO ऑफिस जाकर ही मिलेगी। हाइवा मालिक ने उक्त बातों की जानकारी ग्राम सभा को दी जहां से बालू का उठाव किया गया था। ग्राम सभा के सदस्यों और ज्योति लाल मांझी, जिला परिषद – ईचागढ़ के द्वारा भी यह कहा गया कि बालू पूरे तरीके से वैध कागजातों के साथ ही उठाव किया गया है।
इस सम्बंध में ग्राम सभा और जिला परिषद के सदस्यों द्वारा दिनांक 29 मई 2024 को सुबह 11:30 के करीब जिला खनन कार्यालय जमशेदपुर जाकर DMO सतीश नायक से मुलाकात कर इस बात की जानकारी साझा की और उक्त हाइवा को छोड़ने का अनुरोध किया। और बताया कि यह बालू वैध है तब हाइवा को थानेदार द्वारा जब्त किया गया है। इसपर DMO सतीश नायक जमशेदपुर ने कहा कि विभागीय मार्ग दर्शन के उपरांत ही इसकी जानकारी दे पाएंगे।
उक्त सभी बातों से हाइवा मालिक को अभी राहत नहीं मिली है। यह मामला वैध है या अवैध इसकी जानकारी अभी तक अज्ञात है। ऐसे में हाइवा मालिक और बालू के कारोबार से जुड़े मजदूरों का दैनिक जीवन अंधेरे में है।
क्या इसे ग्राम सभा या हाइवा मालिक को खनन नियम की विस्तृत जानकारी के अभाव में समस्याओं का सामना करना पड़ा है माना जा सकता है, या फिर सरकारी बाबुओं को अनदेखी करना। हालाँकि इस सम्बन्ध में हाइवा मालिक और ग्राम सभा के सदस्यों ने लिखित तौर पर 29 मई को बोड़ाम थाना में लिखित जानकारी दे दी है।
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