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बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जयंती पर ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट ने आयोजित किया विशेष कार्यक्रम

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जमशेदपुर : भारत के संविधान निर्माता, समाज सुधारक और दलितों के मसीहा बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के शुभ अवसर पर ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सामाजिक सौहार्द, समानता और शिक्षा पर विशेष चर्चा की गई।

कार्यक्रम में ट्रस्ट के ट्रस्टी सैयद आसिफ अख्तर, प्रेसिडेंट मतीनुल हक अंसारी, मोहम्मद मोइनुद्दीन अंसारी, हाजी जमील असगर, रज़ी नौशाद, मो. फिरोज आलम, मोहम्मद अयूब अली, ताहिर हुसैन, मास्टर सिद्दीक़ अली, अफ्ताब आलम, हाजी फिरोज असलम, और नादिर खान समेत कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। सभी ने बाबा साहब के विचारों को आत्मसात करने और समाज में उनके दिखाए रास्ते पर चलने की बात कही।

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कार्यक्रम में सभी अतिथियों ने अपने विचार और संदेश दिए :

सैयद आसिफ अख्तर – “बाबा साहब ने हमें समानता और इंसाफ का रास्ता दिखाया, आज जरूरत है उनके विचारों को घर-घर तक पहुंचाने की।”
मतीनुल हक अंसारी – “शिक्षा, संघर्ष और संगठन के सिद्धांत आज भी समाज को नई दिशा देने की ताकत रखते हैं।”
मोहम्मद मोइनुद्दीन अंसारी – “संविधान की ताकत को समझें और हर नागरिक अपने अधिकार और कर्तव्य को जाने।”
हाजी जमील असगर – “बाबा साहब ने जिस समाज की कल्पना की, हमें उसी दिशा में मिलकर काम करना होगा।”
रज़ी नौशाद – “विचारों से क्रांति आती है, बाबा साहब का हर विचार समाज को जगाने वाला है।”
मो. फिरोज आलम – “बाबा साहब के जीवन से हमें सीख मिलती है कि मेहनत और दृढ़ संकल्प से कुछ भी संभव है।”
मोहम्मद अयूब अली – “आज के युवा को अंबेडकर के विचारों को अपनाकर समाज को एक नई दिशा देनी चाहिए।”
ताहिर हुसैन – “हर धर्म, हर जाति को साथ लेकर चलना – यही बाबा साहब की असली शिक्षाएं हैं।”
मास्टर सिद्दीक़ अली – “अशिक्षा के अंधेरे को मिटाने के लिए शिक्षा का दीपक जलाना होगा – यही अंबेडकर का संदेश है।”
अफ्ताब आलम – “बाबा साहब ने समाज को आत्म-सम्मान और आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया।”
हाजी फिरोज असलम – “संविधान की आत्मा को समझना और उसका सम्मान करना आज हर नागरिक की जिम्मेदारी है।”
नादिर खान – “डॉ. अंबेडकर का जीवन एक प्रेरणा है – कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने इतिहास रच दिया।”

कार्यक्रम का उद्देश्य बाबा साहब के विचारों को जन-जन तक पहुंचाना और समाज में समरसता का संदेश फैलाना रहा। सभी ने मिलकर उनके सिद्धांतों को आगे बढ़ाने की शपथ ली।

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