झारखंड

बांधा जंगल मे बिजली का करंट लगने से हुई 5 हाथियों की दर्दनाक मौत के साथ ही झारखंड राज्य में वनों एवं वन्य जीवों के संरक्षण संवर्द्धन एवं परिवर्धन के विषय में गहन विचार – विमर्श।

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जमशेदपुर  |  झारखण्ड

भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्य मंत्री श्री अश्विनी चौबे से वार्ता के उपरांत अपर महानिदेशक वन्य जीव से मिला और घाटशिला के उपर बांधा जंगल मे बिजली का करंट लगने से हुई 5 हाथियों की दर्दनाक मौत के साथ ही झारखंड राज्य में वनों एवं वन्य जीवों के संरक्षण, संवर्द्धन एवं परिवर्धन के विषय में गहन विमर्श किया और प्रासंगिक सूचनाएँ साझा किया.

विभागीय मंत्री के देश से बाहर रहने के कारण उनसे वार्ता नहीं हो सकी. वन्यजीवों के अपर महानिदेशक से मैंने माँग किया कि विगत 10 वर्षों में हाथी परियोजना, व्याघ्र परियोजना और अन्य मदों में भारत सरकार से झारखंड सरकार के वन विभाग की मिली सहायता राशि के उपयोग की जाँच कराएँ. इसके लिए एक उच्चस्तरीय अध्ययन दल गठित करें जिसमें विशेषज्ञों को शामिल करें, परंतु इस अध्ययन दल मे वन एवं पर्यावरण विभाग का कोई अधिकारी नहीं रहे. अपर निदेशक वन्य जीव, भारत सरकार ने मुझे आश्वस्त किया कि वे इस मुद्दे की जाँच के लिए एक उच्चस्तरीय अध्ययन दल गठित करेंगे.

मैंने उनका ध्यान बंगाल – झारखंड सीमा पर बंगाल सरकार द्वारा खाई खोदकर हाथियों के स्वाभाविक भ्रमण पथ को बाधित करने की ओर आकृष्ट किया और बताया कि यही रवैया झारखंड के विभिन्न ज़िला वन पदाधिकारी  भी अपना रहे हैं और हाथियों को अपने क्षेत्र से दूसरे के क्षेत्रों की ओर खदेड़ने में लगे हैं. वन विभाग के अधिकारी हाथियों को उनके ही पर्यावास में परेशान करने में लगे हैं. इसपर उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों को दो राज्यों के बीच समन्वय बनाकर अथवा एक ही राज्य के भीतर विभिन्न क्षेत्राधिकारियों के बीच समन्वय बनाकर किया जा सकता है और इसके लिए राजनीतिक पहल की आवश्यकता है जिसे या तो राज्य करें या इसे केन्द्र की पहल पर अंतर्राज्यीय समन्वय बनाकर राज्यों के बीच सार्थक वार्ता से निपटाने की पहल की जाएगी.

अपर महानिदेशक ने बताया कि उपर बांधा जंगल में गत 21 नवम्बर को हुई मौत, इसके पूर्व चाकुलिया में हुई मौत और गिरडीह में हुई एक हाथी की मौत की जाँच की रिपोर्ट जाँच दल ने  उन्हे अभीतक नही सौंपा है. जाँच रिपोर्ट आने पर वे इसका गहन विश्लेषण करेंगे और सभी पहलुओं पर विचार करेंगे. मैंने उन्हें बताया कि हाल के वर्षों में झारखंड में वनों के स्वास्थ्य की गुणवत्ता मे काफ़ी गिरावट आई है. उपर बांधा जंगल तो पूरी तरह से अकाशिया के पेड़ों से भरा पड़ा है जो वनों की जैव विविधता पर प्रतिकुल प्रभाव डाल रहा है. वे मेरी बात से सहमत हुए कि वनों से ऐसे विदेशी मूल के वृक्षों को चरणबद्ध रूप से ख़त्म करना ज़रूरी है. परंतु यह कार्य राज्य सरकार को करना है. केन्द्र की वित्तीय सहायता से राज्यों में चल रही नवीकरण योजनाओं की इस कोण से समीक्षा की जाएगी और वनीकरण कार्य में वृक्षों की संख्या की जगह उनकी गुणवत्ता पर ज़ोर दिया जाएगा.

मैंने पलामू टाइगर रिज़र्व और सारंडा सघन वन में वन्य जीवों के संरक्षण एवं संवर्धन की स्थिति की ओर अपर महानिदेशक वन्य जीव, भारत सरकार का ध्यान खींचा और बताया कि विगत तीन वर्षों से सारंडा क्षेत्र मे लौह अयस्क खनन में कमी आने से वहाँ वनों के पुनर्नवीकरण और वन्यजीवों की स्थिति बेहतर हुई है. मैंने बताया कि सारंडा क्षेत्र में सांभर और चौसिंघा जैसे वन्य जीव दिखाई पड़ने लगे हैं जिनका संरक्षण ज़रूरी है. इसके लिए विभिन्न औद्योगिक एवं आर्थिक गतिविधियों के साईट स्पेसिफ़िक (स्थल विशेष) योजनाओं से वन विभाग को मिलने वाले धन का उपयोग किस भाँति हो रहा है इसकी जाँच होनी चाहिए ताकि विभिन्न योजनाओं के विरूद्ध प्राप्त हो रहे धन का दुरूपयोग रोका जा सके. मैंने पलामू टाइगर रिज़र्व की गतिविधियों की जाँच कराने की माँग भी की. इस बारे में एक लिखित प्रतिवेदन मैं इन्हें सौंपूँगा ताकि जाँच के बिन्दु निर्धारित किये जा सकें.

अपर निदेशक को मैंने स्पष्ट किया और वे सहमत भी हुए कि 5 हाथियों की मौत का कारण स्पष्ट है. यह मौत बिजली का करंट लगने से हुई है. इसमें बहुत जाँच की गुंजाइश नहीं है. इसकी जाँच में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्युरो की भी कोई भूमिका नहीं है. इसकी सही जाँच उच्चस्तरीय बहुआयामी अध्ययन दल से ही संभव है. इस बारे में जंगल क्षेत्र से गुजर रहे बिजली के तारों की ऊँचाई बढ़ाना और बिजली तारों को या तो भूमिगत किया जाना या इनका इंसुलेटेड  केबलिंग किया जाना ही एकमात्र उपाय है. इसके लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को पर्याप्त धन आवंटित करना होगा. 

मैंने उन्हें बताया कि इस मामले मे जाँच तो बस इतना ही करना है कि बिजली विभाग और वन विभाग के अधिकारियों ने इस मामले मे अथवा वनों से संबंधित अन्य मामलों मे अपनी भूमिका का समुचित निर्वाह किया है/ कर रहे है या नही? इस जाँच में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्युरो की कोई भूमिका नहीं है.

मैंने उनका ध्यान साईट स्पेसिफ़िक वन्यजीव प्रबंधन प्लन की ओर खींचा और बताया कि इस मद में प्राप्त हो रहे धन का उपयोग करने के लिए केन्द्र सरकार को एक स्पष्ट गाइडलाइन बनाना चाहिए ताकि राज्यों को मिलने वाली इस निधि का अंकेक्षकों सके. इस निधि का राज्य में कोई माँ-बाप नहीं है. इसका दुरूपयोग हो रहा है. इसकी जाँच हो ताकि इसका मनमाना खर्च रूके.

अपर सचिव द्वारा एक उच्चस्तरीय बहुआयामी अध्ययन दल गठित करने पर सहमत होने अवं इसका आश्वासन देने के लिए मैंने उन्हें धन्यवाद दिया.

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