क्राइम
बच्चे ने एक ऐसा गेम खेला की पिता के होश उड़ गए। आखिर जिम्मेदार कौन?
भोपाल : मंगलवार 12 अक्टूबर, 2021
गेम खेलने के शौकीन एक बच्चे ने स्मार्टफोन पर एक ऐसा गेम खेला की जो भी सुनता है आश्चर्य में पड़ जाता है। क्योंकि इस गेम में पीछे नहीं आ सकते थे। आगे बढ़ गए तो बस बढ़ गए और आने वाली समस्याओं से बस लड़ना है।
आपको बता दें कि यह गेम खेलने वाला बच्चा महज 12 वर्ष का है और 8वीं में पढ़ता है। इस खतरनाक गेम में किसी की जान भी जा सकती थी। मामला मध्यप्रदेश के भोपाल जिले का है। जहां एक बच्चा मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलने का शौकीन था। बच्चे के इस शौक ने पिता की जान लेनी चाही।
आखिर उस दिन ऐसा हुआ क्या था? जिसमें एक बच्चे के गेम ने पिता को मौत के मुंह में पहुंचा दिया था।
बात 7 अक्टूबर, 2021 को दोपहर का है।
12 वर्षीय इस बच्चे ने ऑनलाइन गेम के शौक में अपने पिता के साथ ही गेम खेल दिया। दोपहर बाद यह बच्चा घर में बिना किसी को बताए अचानक से निकल गया।
और थोड़ी देर बाद अपने पिता को खुद के अपहरण होने का SMS भेजता है। पिता ने मोबाइल पर इस SMS को देखा। SMS पढ़ते ही पिता को जैसे काटो तो खून नहीं।होश सम्भालते हुए उसने आसपास बच्चे की खोजबीन की, कहीं से कोई जानकारी नहीं मिल पाने के बाद पिता ने आनन-फानन में पुलिस से सम्पर्क किया।
अपहरण की वारदात पर पुलिस सकते में आ गई। पुलिस ने सक्रिय होकर बच्चे की तलाश आरम्भ कर दी। इस केस को गंभीरता से लेते हुए भोपाल एसपी भी आगे आये। पिता से भोपाल के एसपी साईं थोटा ने बच्चे का नंबर लिया और उस नंबर पर अंजान बनकर मैसेज किया। बच्चे ने मैसेज का जवाब दिया। अब इसका फायदा उठाते हुए एसपी साहब ने लगातार SMS किया और इनके SMS का जवाब भी बच्चा देता रहा। इस प्रकार से एसपी ने बच्चे से दोस्ती कर ली।
SMS के क्रम में एसपी ने बच्चे से उसकी लोकेशन जान ली। आश्चर्य की बात यह है कि बच्चा ट्रेन में बैठकर अपने पिता को बेवकूफ बना रहा था। बच्चा ट्रेन से जब नीमच पहुंचा वहां रेल पुलिस जो पहले से ही एसपी के साथ संपर्क में थी ने बच्चे को पकड़ कर एसपी को सौंप दिया। बच्चा मिलने के बाद सभी को शांति मिली।
इस घटना से हमें यह तो समझ ही जाना चाहिए कि स्मार्टफोन का इस्तेमाल गलत तरीके से किया जाए तो यह किसी की जान भी ले सकता है। महज एक SMS बच्चे के पिता को हार्ट अटैक ला सकता था। जिससे उनकी मौत भी हो सकती थी। खैर बच्चों की मानसिकता को समझना भी अब जरूरी हो गया है। क्योंकि आधुनिकता और गैजेट्स का प्रतिकूल प्रभाव बच्चों पर पड़ने लगा है। वहीं भागदौड़ भरी जिंदगी में अभिभावक का बच्चों को कम समय देना भी बच्चे में अपराध को जन्म देने का काम कर सकता है। इसलिए बच्चों से बातचीत और उनकी समस्याओं पर उनसे चर्चा करते रहिए।