दुनियाँ भर से खबरे आ रही है कि उनका मोबाइल हैक किया गया था। उनकी जासूसी की गई थी।
और जब इस बात की सच्चाई का पता लगाया गया तो जांच में यह पाया गया कि वाकई में फोन हैक किये गए थे। फोन हैक करने वाले स्पाइवेयर का नाम है – पेगासस।
आइये जानते हैं, पेगासस स्पाइवेयर के बारे में।
पेगासस स्पाइवेयर क्या है?
आपको बता दें कि पेगासस स्पाइवेयर फोन को हैक करने वाला एक स्मार्ट इजरायली सॉफ्टवेयर है। जिसे इजरायल की एक कम्पनी NSO ग्रुप ने बनाया है। यह तो मानने वाली बात है कि इजरायल टेक्नोलॉजी के मामले में सबसे आगे है। और उसने यह सिद्ध भी कर दिखाया है।
इजरायली कंपनी NSO ग्रुप दुनिया भर में पेगासस स्पाइवेयर बेचने का काम करती है। हाल ही में यूरोप महादेश के कई देशों में पेगासस ने स्पाइगिरी की है। फिर क्या था विश्व पटल पर तेजी से यह मामला बढ़ता चला गया और कई राजनयिकों पर आरोप भी लगाया गया।
इस पेगासस स्पाइवेयर से भारत भी अछूता नही रहा। विपक्षी नेता राहुल गांधी ने तो आज ट्विटर पर केंद्रीय सरकार पर भी आरोप लगाया और इसे देशद्रोह का मामला बताते हुए लिखा है कि –
“हमारी सीधी सी माँग है- सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी न्यायिक जाँच हो ताकि देश को पता चले कि ये देशद्रोह किसके कहने पर किया गया- PM या HM?”
#PegasusSnoopgate देशद्रोह का मामला है।
हमारी सीधी सी माँग है- सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी न्यायिक जाँच हो ताकि देश को पता चले कि ये देशद्रोह किसके कहने पर किया गया- PM या HM? pic.twitter.com/65A3aIb4XQ
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 23, 2021
आपको बता दें कि जब पेगासस स्पाइवेयर की चर्चा विश्व के अन्य देशों में चल रही थी तभी 18 जुलाई, 2021 के दिन भारत में भी इस बात का खुलासा हुआ कि पेगासस ने कैबिनेट मंत्रियों सहित विपक्षी नेताओं के संवेदनशील जानकारियां चुरा ली है।
इतना ही नहीं जानकारियां बड़े व्यापारियों और पत्रकारों की भी चुराई गई। जिसे देखते हुए भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञ इससे बचने के लिए रूपरेखा तैयार कर रहें हैं।
सरकारें स्पाइवेयर का इस्तेमाल करवा रही है।
एक अनोखी बात सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही है जिसमें यह आरोप लगाया जा रहा है कि विश्व के अनेक देशों की सरकारों ने पेगासस स्पाइवेयर को खरीदा है और इसका इस्तेमाल प्रमुख व्यक्तियों की जासूसी करने के लिए किया है।
आरोप यह भी लागये जा रहें कि दुनियाँ में पेगासस स्पाइवेयर के शिकार पचास हजार से अधिक लोग हुए हैं जिनमें राजनयिक, सरकारी अधिकारी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, विपक्षी दलों के नेतागण, पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल हैं।
पेगासस स्पाइवेयर क्या है? यह तो अब आप समझ ही गए होंगे। लेकिन यह काम कैसे करता है? आइये एक बार यह भी जान लें।
पेगासस स्पाइवेयर अन्य हैकिंग ऐप्स की तरह ही है। जो कि एक SMS या Email भेजकर किसी के स्मार्टफोन को हैक किया जाता है।
इसे ऐसे समझे कि स्मार्टफोन में SMS या Email के द्वारा एक लिंक भेज दिया जाता है और यदि उपयोगकर्ता अपने स्मार्टफोन से इस लिंक को क्लिक कर ओपन करता है तो यह सीधे किसी खास वेबसाइट पर ओपन हो जाता है। अब यहां पर स्मार्टफोन हैक हो जाता है।
अब यहां हुआ यह की क्लिक होते ही स्पाइवेयर ने स्मार्टफोन को अपना दोस्त बना लिया और चुपके से एक स्पाई सॉफ्टवेयर स्मार्टफोन में डाउनलोड कर दिया जिसकी खबर स्मार्टफोन को भी नही हो पाती। या यूं कहें कि वह स्मार्टफोन में कहीं भी दिखाई ही नहीं देता। और आपके मोबाइल का सारा डेटा जैसे – फ़ोटो, वीडियो, फोन लोग, ऐप्स, लाइव लोकेशन आदि सभी जानकारी स्पाइवेयर अपने बॉस तक भेजता रहता है। जिसमें स्मार्टफोन पूरी तरह से मदद करता है।
पेगासस स्पाइवेयर एंड्रॉइड या आईओएस डिवाइस पर अधिक खतरनाक है।
साधारण भाषा में जान लें एंड्रॉइड या आईओएस डिवाइस दोनों ही आपके फोन को हैक होने से नहीं रोक सकते।
अब वैज्ञानिक भाषा में जानें क्यों?
साधारणतः एंड्रॉइड डिवाइस पर रूटिंग उपयोगकर्ता द्वारा ऐप स्टोर से एप्लिकेशन और गेम इंस्टॉल किया जाता है। क्योंकि ऐप्स असंख्य है और उपयोगकर्ता अपने सुविधानुसार एप्लिकेशन का उपयोग करने के लिए इसे डाउनलोड करता है।
इसी तरह, ऐप्पल ऐप स्टोर पर उपलब्ध ऐप्स को डाउनलोड करने या वैकल्पिक मोबाइल नेटवर्क का उपयोग करने या फोन को अनलॉक करने के लिए ऐप्पल डिवाइस पर एक जेलब्रेक सिस्टम तैनात किया गया है। जिसे चालू होने पर कंप्यूटर से कनेक्ट करने की आवश्यकता होती है। इसे “टेथर्ड जेलब्रेक” कहा जाता है।
रूटिंग और जेलब्रेकिंग दोनों ही (एंड्रॉइड या आईओएस) ऑपरेटिंग सिस्टम में पहले से एम्बेडेड सुरक्षा नियंत्रण को हटा देते हैं। और हैकिंग सॉफ्टवेयर इसी ताक में रहता है।
अब तो आप समझ गए होंगे कि पेगासस स्पाइवेयर क्या है और कितना खतरनाक है? यह दोनों डिवाइसों को अपना शिकार बना लेता है। इससे कैसे बचें? जानने के लिए पढ़ते रहें खास खबर।
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