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पी जे सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में भारत रत्न बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी की जयंती सह अभिभावक बैठक हर्षोल्लास मनाई गई

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  • संविधान की रचना में बाबा साहेब का अमूल्य योगदान: प्रधानाचार्य

चक्रधरपुर (जय कुमार): आज दिनांक-14.04.2025 को पद्मावती जैन सरस्वती शिशु विद्या मंदिर,इंग्लिश मीडियम, पंप रोड, शत्रुघ्न नगर, चक्रधरपुर में भारत रत्न बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाचार्य आनंद चंद्र प्रधान, शांति देवी, जयश्री दास, मीना कुमारी एवं सौभिक घटक, स्वास्तिक सोय, भारती कुमारी ने संयुक्त रुप से भारत माता एवं डॉ भीमराव की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलित एवं पुष्पार्चन कर किया गया। मौके पर प्रधानाचार्य आनंद चंद्र प्रधान ने सबसे पहले सभी को बाबा साहेब भारत रत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर जी की जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएँ दी।अपने उद्धवोधन में कहा की डॉ अंबेडकर जी एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, समाज सुधारक, राजनीतिक एवं कानूनविद थे। बाबा साहेब का परिवार महार जाति (दलित ) से संबंध रखते थे, जिसे अछूत माना जाता था। उनके पूर्वज लम्बे समय समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी की सेना में कार्यरत थे। बाबा साहेब दुनिया के पहले और एकमात्र सत्याग्रही थे, जिन्होंने पीने के पानी के लिए सत्याग्रह किया था। उन्होंने ही अपने राष्ट्र का संविधान की रचना में अहम अमूल्य योगदान दिया।

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अन्य आचार्य दीदी जी ने भी अपने – अपने विचार रखें।शांति देवी ने भी कही की उन्होंने पिछडा वर्ग की उत्थान के लिए अनेक कार्य किए।

साथ ही आज कक्षा नर्सरी के अभिभावकों के साथ एक बैठक किया गया। कक्षा नर्सरी के कक्षाचार्य शांति देवी ने सभी अभिभावकों का स्वागत करते हुए परिचय कराया, साथ की कही की घर की बनी हुए टिफिन ही दें। समय पर बच्चों को तैयार कर भेजने का प्रयास करेंगे।
प्रधानाचार्य द्वारा सत्र के प्रारंभ में नवीन अभिभावकों को विद्या भारती द्वारा बताए गए कुछ महत्वपूर्ण विन्दुओं पर चर्चा की साथ ही बताया गया की माँ ही बच्चों का पहला गुरु होता है क्योंकि बच्चे पहले घर से ही माँ से बोलना सीखता है घर के माहौल को देखता है। इसलिए कुछ समय निकालकर बच्चे के साथ अवश्य बैठना चाहिए।

वहीं अभिभावक गोपीनाथ चाकी ने कहा की बच्चों के समक्ष हमें भी कुछ ना कुछ पुस्तके लेकर बैठना चाहिए तभी बच्चों में पढ़ने की आदत होगी। कार्यक्रम का संचालन मीना कुमारी ने की इसे सफल बनाने में सौभिक घटक, जय श्री दास,स्वास्तिक सोय, शांति देवी, मीना कुमारी,भारती कुमारी,चांदनी जोंको, जयंती दास आदि का सराहनीय  योगदान रहा।

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