जमशेदपुर | झारखण्ड
नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में शुक्रवार को दो कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. पहले कार्यक्रम के तहत भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती मनाई गई. कहीं दूसरा कार्यक्रम बीटेक नए सत्र का ओरिएंटशन रहा. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सीएसआईआर एनएमएल के चीफ साइंटिस्ट डॉ मनीष कुमार झा उपस्थित थे. जबकि विशिष्ट अतिथियों के रूप में यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ (प्रो) गंगाधर पंडा, प्रति उपकुलपति डॉ (प्रो) आचार्य ऋषि रंजन, रजिस्ट्रार नागेंद्र सिंह शामिल हुए.
सबसे पहले सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. साथी उनकी कृतियों, जीवनी आदि पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि प्रख्यात भारतीय इंजीनियर और राजनेता सर विश्वेश्वरैया को समाज में उनके उत्कृष्ट योगदान के कारण भारत सरकार ने वर्ष 1955 में “भारत रत्न” से सम्मानित किया. उन्हें भारत में आर्थिक नियोजन का अग्रदूत भी कहा जाता है. भारत में आर्थिक नियोजन, भारत के लिए नियोजित अर्थव्यवस्था और भारत के पुनर्निर्माण पर उनका व्याख्यान, देश के नियोजन प्रयास पर पहला उपलब्ध दस्तावेज़ था और इसे अभी भी आर्थिक योजनाकारों के लिए मूल स्रोत के रूप में रखा जाता है.
वही ओरिएंटेशन प्रोग्राम में यूनिवर्सिटी के अकादमिक डीन प्रो डी शोम ने नए सत्र के बच्चों को शपथ दिलायी. इसके साथ ही उनका मार्गदर्शन करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की. समारोह में एनएमएल के मुख्य वैज्ञानिक डॉ मनीष कुमार झा ने छात्रों को इंजीनियर के महत्व और उनके संघर्षों से अवगत कराया. इसके साथ ही छात्रों का मार्गदर्शन करते हुए बेहतर भविष्य के लिए अपने विचार साझा किये. कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ (प्रो) गंगाधर पंडा, प्रति उपकुलपति डॉ (प्रो) आचार्य ऋषि रंजन, रजिस्ट्रार नागेंद्र सिंह नेवी छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की.
कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया. इसमें निबंध प्रतियोगिता और क्विज प्रतियोगिता शामिल थी. डिप्लोमा प्रथम सत्र के छात्रों ने प्रतियोगिता में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. दोनों ही प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं के बीच पारितोषिक का वितरण किया गया. कार्यक्रम का संचालन विभाग प्रमुख मोहम्मद नाज़िम ने किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में विभाग के शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं छात्र-छात्राओं की सराहनीय भूमिका रही.