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Jamshedpur : शनिवार 07 जनवरी, 2023
जौहरी ही पहचानता है असली हीरा। लेकिन, दुर्भाग्य है झारखंड की बेटी नेशनल आर्चरी प्लेयर दीप्ति कुमारी का।जिसने देश ही नहीं विदेशों में भी झारखंड राज्य का नाम रौशन किया है। आज वह बेटी मजबूर है सड़क पर चाय बेचने के लिए। ताज्जुब है करोडो – अरबो रुपये का खेल खेलने वाले प्रतिनिधियों का जिन्हें सड़क पर यह हीरा चमकता हुआ नहीं दिख रहा।
सैकड़ो मेडल जीत चुकी आर्चरी प्लेयर दीप्ति कुमारी, झारखण्ड राज्य के लोहरदगा जिले की रहने वाली है जिसने अमेरिका तक जाकर अपने उम्दा खेल का प्रदर्शन किया है। लेकिन दुर्भाग्य देखिये साहब जिसे किसी खास जगह पर होना चाहिए वह आज सड़क के किनारे चाय बेच रही है। आश्चर्य यह भी है की हर दिन कोई न कोई मंत्री और अधिकारी यहां से गुजरते रहते हैं। न जाने ऐसे कितने खिलाडी होंगे जिनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है।
7 लाख का धनुष टूट गया, कोई सरकारी आर्थिक मदद तक नहीं
यूएस में वह धनुष टूट गया जिससे दीप्ती को प्रदर्शन करना था। धनुष टूटने के साथ ही दीप्ति का वह ख्वाब भी टूट गया जिसे उसने सजोये रखा था। यह धनुष कोई छोटी रकम की नहीं थी बल्कि यह सात लाख रुपये की थी, जिसे कर्ज लेकर उसने खरीदा था। कर्ज और परिवार का बोझ किसी को उसकी मंजिल जाने से भी रोक सकता है यह तकलीफ दीप्ती से बेहतर भला और कौन जान सकता है? सपनों की उड़ान हकीकत बनने से रुक गयी। फिर भी दीप्ति ने हार नहीं मानी। परिवार की जिम्मेदारी और धनुष का लोन चुकाने के लिए सड़क पर चाय की दुकान लगा दी। वह आज भी कहती है – अगर अभी भी उसे धनुष मिल जाये तो अचूक निशाना लगा सकती है। दीप्ति एक गरीब परिवार से आती है और उसके पिता एक किसान हैं। दीप्ति की इच्छा है कि सरकार उसे आर्थिक मदद करे ताकि वह आगे खेल कर देश का नाम रौशन कर सके।
आपको बता दें की झारखण्ड की आर्चरी प्लेयर दीपिका कुमारी को धनुष पकड़ना दीप्ति ने ही सिखाया था। लेकिन आज दीप्ती कहाँ है और दीपिका कहाँ है ? यह हमारे प्रतिनिधियों के लिए विचारणीय है।