झारखंड

“दबिस्ताने जमशेदपुर” ने मनाया “ग़ालिब दिवस”, आयोजित हुआ शानदार मुशायरा

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जमशेदपुर : शहर की प्रमुख साहित्यिक संस्था “दबिस्ताने जमशेदपुर” ने “ग़ालिब दिवस” बड़ी धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर एचीवर्स इंस्टिट्यूट, जवाहर नगर के सभागार में एक शानदार मुशायरे का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के प्रमुख साहित्य प्रेमी और शायर शामिल हुए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर जमील मजहर ने की और मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. हसन इमाम मल्लिक (मैनेजर स्पोर्ट्स, टाटा स्टील जमशेदपुर) ने भाग लेकर सभा को गरिमा प्रदान की।

कार्यक्रम का शुभारंभ और स्वागत संबोधन
कार्यक्रम की शुरुआत सफीउल्लाह सफी ने मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा लिखित नात शरीफ से की। इसके बाद सकलैन मुश्ताक ने सभी शायरों और उपस्थित साहित्य प्रेमियों का स्वागत किया। संस्था के सरपरस्त शायर गौहर अज़ीज़ ने मिर्ज़ा ग़ालिब की साहित्यिक धरोहर और उनके महत्व पर प्रकाश डाला।

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मुशायरे का आयोजन
इसके बाद प्रारंभ हुआ मुशायरा, जिसमें शहर के प्रतिष्ठित शायरों ने अपनी शानदार रचनाएं प्रस्तुत कीं। हसरत निज़ामी, सैफ अली सैफ, सरफराज शाद, सफदर हारून, सकलैन मुश्ताक, फरहान खान फरहान, वालीउल्लाह वली, सफीउल्लाह सफी, सद्दाम गनी, शोएब अख्तर, जफर हाश्मी, रिजवान औरंगाबादी, गौहर अज़ीज़, मकसूद अनवर मकसूद और जमील मजहर ने अपनी गज़लों और नज्मों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मुख्य अतिथि का उद्बोधन
मुख्य अतिथि डॉ. हसन इमाम मल्लिक ने ग़ालिब की साहित्यिक धरोहर पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “मिर्ज़ा ग़ालिब केवल उर्दू के ही नहीं, बल्कि दुनिया के बड़े शायरों में से एक थे। उनकी शायरी ने हिंदुस्तान और उर्दू भाषा को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाई। उनका साहित्य आज भी हमें प्रेरित करता है और आने वाली पीढ़ियों को भी करता रहेगा।”

संचालन और समापन
मुशायरे का संचालन कुशलता से शायर शोएब अख्तर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर इकरामुल गनी ने यह कहते हुए किया कि आज का मुशायरा “एक ऐतिहासिक मुशायरा” बन गया है।

यह आयोजन साहित्यिक सौहार्द और मिर्ज़ा ग़ालिब की अमर धरोहर को समर्पित रहा, जिसे उपस्थित लोगों ने दिल से सराहा।

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