राष्ट्रीय: क्षेत्रीय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने और स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में योगदान देने हेतु टाटा पावर कंपनी लिमिटेड (टाटा पावर) और द्रुक ग्रीन पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीजीपीसी) के बीच एक रणनीतिक साझेदारी हुई है। टाटा पावर, भारत की सबसे बड़ी एकीकृत ऊर्जा कंपनियों में से एक, और डीजीपीसी, भूटान की एकमात्र उत्पादन उपयोगिता कंपनी, मिलकर भूटान में 5,000 मेगावाट स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन क्षमता विकसित करेंगे।
यह साझेदारी भूटान के ऊर्जा क्षेत्र के 2040 तक 25,000 मेगावाट उत्पादन क्षमता के लक्ष्य को साकार करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह लक्ष्य जलविद्युत से आगे बढ़कर सौर और भू-तापीय ऊर्जा जैसे वैकल्पिक स्रोतों को शामिल करेगा।
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भूटान की रॉयल सरकार और भारत सरकार के समर्थन से यह एशिया के स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी साझेदारी है। यह साझेदारी न केवल टाटा पावर को भारत में बल्कि पूरे क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा में अग्रणी भागीदार के रूप में स्थापित करती है।
साझेदारी की मुख्य बातें:
1. समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर: यह समझौता आज भूटान की राजधानी थिम्फू में हुआ। हस्ताक्षर डीजीपीसी के प्रबंध निदेशक दशो छेवांग रिंजिन और टाटा पावर के सीईओ व प्रबंध निदेशक डॉ. प्रवीर सिन्हा ने किए। इस अवसर पर भूटान के प्रधानमंत्री दशो छेरिंग तोबगे, ऊर्जा एवं प्राकृतिक संसाधन मंत्री ल्योन्पो जेम छेरिंग, टाटा संस के अध्यक्ष श्री एन. चंद्रशेखरन, और भारत के राजदूत श्री सुधाकर दलेला सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
2. परियोजनाओं का विवरण: साझेदारी के तहत कुल 5,000 मेगावाट क्षमता के परियोजनाएं विकसित होंगी। इनमें 4,500 मेगावाट जलविद्युत (डोरजिलुंग, गोंगरी, जेरी पंप स्टोरेज और चामखर्चू IV परियोजनाएं) और 500 मेगावाट सौर ऊर्जा शामिल हैं।
3. टाटा पावर का योगदान: टाटा पावर हाल ही में 600 मेगावाट खोरलोचु जलविद्युत परियोजना में 40% हिस्सेदारी हासिल कर चुका है।
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भविष्य की संभावनाएं:
इस साझेदारी से भूटान की विशाल जलविद्युत क्षमता का उपयोग कर दोनों देशों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा किया जाएगा। इसके अलावा, यह क्षेत्रीय ऊर्जा एकीकरण और हरित नौकरियों के सृजन में मदद करेगा।
टाटा पावर और डीजीपीसी की उपलब्धियां:
टाटा पावर ने 100 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में नेतृत्व हासिल किया है। वहीं, डीजीपीसी भूटान की ऊर्जा जरूरतों और निर्यात के लिए एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
भविष्य के दृष्टिकोण:
यह साझेदारी भारत और भूटान के बीच लंबे समय से चले आ रहे ऊर्जा सहयोग को और मजबूती प्रदान करेगी। इसके साथ ही, यह दक्षिण एशिया को स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक होगी।
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