जमशेदपुर | झारखण्ड
झूठ नफरत और हिंसा के विरुद्ध ढाई आखर प्रेम की पदयात्रा लोकप्रिय उपन्यासकार विभूतिभूषण बंदोपाध्याय की कर्मभूमि से 8 दिसंबर को प्रारंभ हुई। इस यात्रा के पूर्व संध्या पर ढाई आखर प्रेम की पदयात्रा आयोजन समिति के द्वारा पूर्व रंग कार्यक्रम का आयोजन घाटशिला स्थित गौरी कुंज के तारादास मंच पर किया गया।
पूर्व रंग कार्यक्रम की शुरुआत विभूतिभूषण बंदोपाध्याय की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। माल्यार्पण साइंस फॉर सोसाइटी, झारखंड के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ अली इमाम खान, महासचिव डॉक्टर डीएनएस आनंद, गौरी कुंज के अध्यक्ष तापस चटर्जी, जलेस जमशेदपुर जिला अध्यक्ष अशोक शुभदर्शी, प्रगतशील लेखक संघ शशि कुमार, इप्टा समिति सदस्य निसार अली, राष्ट्रीय सचिव शैलेंद्र कुमार ने सामूहिक रूप से किया।
इस मौके पर डॉक्टर अली इमाम ने कहा कि बराबरी, संघर्ष की धरती रही है यात्रा से संदेश नीचे तक जाएगा। हम और वे की बाउंड्री को हम तोड़ेंगे। ये मामला एक दो चार नहीं बल्कि हम सबका है। सबों के समान, हक व आज़ादी की बात करेगी हमारी यात्रा।
माल्यार्पण कार्यक्रम के बाद उपस्थित कलाकारों ने संथाली गीत, इप्टा के लिए लिखे गए सलिल चौधरी द्वारा लिखित बांग्ला गीत पर नृत्य और छत्तीसगढ़ के नाचा शैली में ढाई आखर प्रेम नामक नाटक प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर पद्मभूषण से सम्मानित मधु मंसूरी हंसमुख ने गांव छोड़ब नहीं गीत की प्रस्तुति के साथ जीवन के लिए प्रेम को आवश्यक बताया। लोकप्रिय कथाकार रणेंद्र वर्तमान समय में सिर्फ मानव से ही प्रेम नहीं बल्कि तमाम प्राणी जगत और वनस्पति जगत से प्रेम की आवश्यकता है। तभी हमारा जीवन खुशहाल हो सकता है। प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव मिथिलेश एवं अन्य साथियों ने भी आयोजन समिति के साथ अपनी एकजुता जाहिर की।
इस अवसर पर तारादास मंच पर आयोजन समिति के द्वारा पद्म भूषण मधु मंसूरी हंसमुख, कथाकार रणेंद्र, लोकप्रिय चित्रकार भारती जी, फिल्मकार बीजू टोप्पो, डॉ अली इमाम खान, डॉ डीएनएस आनंद, अशोक शुभदर्शी को प्रेम और श्रम का प्रतीक गमछा देकर सम्मानित किया गया। को सफल बनाने में इस कार्यक्रम को सफल बनाने में गौरीकुंज उन्नयन समिति एवं पत्रकार बंधु और घाटशिला के तमाम सामाजिक एवं सांस्कृतिक लोगों का सहयोग रहा।