झारखंड

झारखंड की जनता ने भाजपा को नकारा, सहयोगी दलों का अस्तित्व संकट में – सुधीर कुमार पप्पू

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जमशेदपुर: झारखंड विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को करारी हार का सामना करना पड़ा है। समाजवादी चिंतक और अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने कहा कि इस चुनाव में झारखंड की जनता ने भाजपा को स्पष्ट रूप से नकार दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश में दर्जनों जनसभाओं और रोड शो किए, लेकिन जिन क्षेत्रों में ये नेता गए, वहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।

मतदाताओं ने मोदी और शाह की अपील को खारिज कर दिया। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 25 सीटें जीती थीं, जो इस बार घटकर 21 रह गई हैं। इसके लिए पूरी तरह मोदी और शाह को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिन्होंने प्रदेश के भाजपा नेताओं को दरकिनार कर दिया, जिसके कारण पार्टी को यह करारी शिकस्त मिली।

सुधीर कुमार पप्पू ने कहा कि झारखंड की जनता ने इंडिया गठबंधन पर विश्वास किया और उसे 56 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत दिया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर जनता का भरोसा मजबूत है। इस चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और वाम दलों ने शानदार प्रदर्शन किया। सुधीर पप्पू ने यह भी कहा कि भाजपा ने चुनावी माहौल को बिगाड़ने के लिए नफरत का वातावरण बनाने की कोशिश की, लेकिन जनता ने इसे पूरी तरह नकार दिया। इसके विपरीत, हेमंत सोरेन सरकार ने अपने वादों के अनुसार, मईया योजना के तहत अगले महीने से ₹2500 देने की कैबिनेट से मंजूरी दे दी है।

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वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 सालों में जितने भी वादे किए, उनमें से एक भी पूरा नहीं किया। उन्होंने हर जगह नफरत फैलाने की कोशिश की, जिसे जनता ने खारिज कर दिया है। सुधीर पप्पू ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि बिहार विधानसभा चुनावों के बाद तेजस्वी यादव के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की नई सरकार बनेगी।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो भी दल भाजपा के साथ राजनीतिक समझौता करता है, उसका अस्तित्व लगभग समाप्त हो जाता है। सुधीर पप्पू ने उदाहरण देते हुए कहा कि झारखंड विकास मोर्चा, लोक जनशक्ति पार्टी, जनता दल यूनाइटेड (जदयू), शिवसेना (शिंदे गुट), सुदेश महतो जैसे दल भाजपा के साथ गठबंधन करने के बाद कमजोर हो गए।

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडु जैसे नेता मोदी को समर्थन देते हैं, तो जल्द ही उन्हें इस कड़वे सच का सामना करना पड़ेगा कि उनकी पार्टियां भाजपा में समाहित हो जाएंगी और वे अकेले खड़े रह जाएंगे। शरद पवार और उद्धव ठाकरे पहले ही भाजपा से गठबंधन का दर्द झेल चुके हैं, और नवीन पटनायक जैसे नेता, जो पर्दे के पीछे से भाजपा की मदद करते थे, आज अपने राज्य से बेदखल हो चुके हैं।

सुधीर पप्पू ने आगे कहा कि मायावती, जो कभी भारत की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी की नेता थीं, भाजपा के साथ गठजोड़ के कारण शून्य पर पहुंच चुकी हैं। पंजाब में कभी दबदबा रखने वाली अकाली दल, जो लंबे समय से भाजपा का सहयोगी दल रहा है, अब केवल एक सीट पर सिमट गया है।

तमिलनाडु में जयललिता की पार्टी, जो कभी एक प्रमुख ताकत थी, भाजपा के साथ रहकर आज लगभग मृतप्राय हो गई है। हरियाणा में नई राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरी जननायक जनता पार्टी (जजपा) भाजपा के साथ एक बार गठबंधन करने के बाद अब रसातल में पहुंच चुकी है। कश्मीर में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चलाने वाली महबूबा मुफ्ती की पार्टी भी अब अस्तित्वहीन हो गई है।

सुधीर पप्पू ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार, जो बिहार में कभी सबसे बड़ी ताकत थे, भाजपा के साथ गठबंधन के कारण विधानसभा चुनावों में तीसरे स्थान पर पहुंच गए थे। चंद्रबाबू नायडु, जो कभी आंध्र प्रदेश के सर्वोच्च नेता थे, भाजपा के कारण धीरे-धीरे राजनीति से गायब हो गए थे और अब किस्मत से फिर लौटे हैं। ममता बनर्जी ने समय रहते भाजपा से नाता तोड़ लिया और इसी वजह से आज भी वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी हुई हैं। इसलिए सुधीर पप्पू ने चेताया कि जो भी भाजपा के साथ गठबंधन करेगा, उसे राजनीतिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

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