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जमशेदपुर के पूर्व सांसद सह कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर अजय कुमार फुरसत के पलों में गिटार बजाते हुए।

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Jamshedpur: प्रतिदिन की तरह जनसमस्याओं को दूर करते हुए। अपने लिए फुर्सत के कुछ पल निकालकर संगीत के सुरों को छेड़ते और गिटार के तारों पर अंगुलियों को फेरते डॉ अजय कुमार। 

जिंदादिली की मिसाल पेश करते डॉ अजय सर कई कठिन दौर से गुजरे हैं। कई मुश्किलों ने इनके राहों में कांटे बिछाएं लेकिन हर मुश्किलों से लड़ कर निरंतर आगे बढ़ते रहने का नाम है डॉ अजय कुमार। युवा, युवा अफसरों, अधिकारियों, आम नागरिकों के  प्रेरणाश्रोत रहें डॉ अजय कुमार ने कभी भी मुश्किलों से हार नहीं मानी। जिंदगी की हर एक जंग से लड़े और जीत हासिल करते हुए लाखों दिलों पर राज करने लगे।

आज इनका यह अंदाज बयां करता हैं कि

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के
ओ राही, ओ राही…
 
सूरज देख रुक गया है 
तेरे आगे झुक गया है
जब कभी ऐसे कोई मस्ताना निकले है 
अपनी धुन में दीवाना 
शाम सुहानी बन जाते हैं दिन इंतज़ार के 
ओ राही, ओ राही… 

साथी न कारवां है ये तेरा इम्तिहां है 
यूँ ही चला चल दिल के सहारे 
करती है मंज़िल तुझको इशारे 
देख कहीं कोई रोक नहीं ले तुझको पुकार के 
ओ राही, ओ राही… 

नैन आँसू जो लिये हैं 
ये राहों के दिये हैं 
लोगों को उनका सब कुछ देके 
तू तो चला था सपने ही लेके 
कोई नहीं तो तेरे अपने हैं 
सपने ये प्यार के 
ओ राही, ओ राही…


(इम्तेहां फ़िल्म का यह गाना, जिसके संगीतकार थे – लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, गीतकार – मजरूह सुल्तानपुरी, जिसे किशोर कुमार ने अपनी आवाज में गया था।)

दोस्तों, संगीत एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा इंसान अपनी सारी समस्याओं और तकलीफों को भुलाकर खुशी के पल प्राप्त कर सकता है। संगीत एक प्राकृतिक मेडिसिन भी है।  अच्छी संगीत जिसे सुनकर हम अपने अंदर नई ऊर्जा को उत्पन्न कर ऊर्जावान बन सकते हैं। 

इसलिए जब भी मन दुःखी हो एक बार संगीत की ओर जरूर जाइये।

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