जमशेदपुर। झारखंड
चौथे दिन की ढाई आखर प्रेम की पदयात्रा लुगू मुर्मू रेजिडेंशियल स्कूल भाटीन से नाश्ता के बाद प्रारंभ हुई। यात्रा में भाटीन के पलटन सोरेन और हडतोपा गांव की उर्मिला शामिल हुई। भाटीन के रास्ते पर गीत के माध्यम से पुरखों के प्रेम के संदेश को फैलाते हुए पदयात्रा आगे बढ़ रहे थे। इसी बीच तीसरे दिन से ही पलटन सोरेन अपने घर सभी पदयात्रियों को ले गए और अपने परिवार के लोगों से मिलाया। पद यात्रियों ने पलटन सोरेन को एक गीत गाने को कहा। पलटन सोरेन में संथाली भाषा में एक गीत सुनाया।
गीत के माध्यम से पलटन सोरेन ने पहली बारिश में किसानों की खुशी और प्रकृति से प्रेम को परीक्षित किया। साथ ही जब पहली बारिश होती है तो काले बादल को देखकर मोर भी नाच उठता है। यह पहली बारिश के प्रति तमाम जीव जगत के प्रेम को प्रदर्शित करता है। पलटन सोरेन के परिवार के प्रति प्रेम प्रदर्शित करते हुए पदयात्रा आगे बढ़ी और एक से डेढ़ किलोमीटर चलने के बाद यात्रा नीमडीह गांव पहुंची। यहां कलाकारों ने बोल रे भाई झारखंडी बोलो झारखंड गीत की प्रस्तुति से कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम की कड़ी में छत्तीसगढ़ी शैली में एक गीत निसार अली के नेतृत्व में प्रस्तुत किया गया। अंत में नीमडीह छीतअ हेंब्रम ने संथाली गीत प्रस्तुत किया।
गीत के माध्यम से उन्होंने कहा कि चाहे जितना भी पढ़ लिख लो, खेती बाड़ी मत छोड़ना। इसके बाद यात्रा झरिया गांव के लिए प्रस्थान किया। झरिया गांव में नाचते गाते पर्चा बांटते हुए यात्रा आगे बढ़ती रही। आगे बढ़ते हुए यात्रा राजदोहा गांव पहुंचा। इस गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय परिसर में पद यात्रियों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में विद्यालय के छात्रों के द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिस पद यात्रियों ने काफी सराहा। इसके बाद छत्तीसगढ़ के कलाकारों के द्वारा निसार अली के निर्देशन में नाचा थिएटर शैली में ढाई आखर प्रेम नामक नाटक प्रस्तुत किया गया। बच्चों और शिक्षकों ने नाटक का भरपुर आनंद उठाया। सांस्कृतिक कार्यक्रम से पहले इस विद्यालय में बच्चों के बीच शॉर्ट फिल्में दिखाई गई। सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंत में फिल्मकार बीजू टोप्पो ने बच्चों के बीच दिखाई गई फिल्म के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि सभी फिल्मों में प्रेम के संदेश छुपे हैं। किसी अच्छी वस्तु का निर्माण बिना प्रेम के संभव नहीं। अपने फिल्म में देखा पृथ्वी का निर्माण भी सभी जलचर जीवों ने मिलकर किया है। कार्यक्रम का संचालन अंकुर ने किया।
इसके बाद पदयात्रियों ने नाचते गाते राजदोहा गांव का भ्रमण किया और पर्चा का वितरण किया और आगे बढ़ते रहे। आगे बढ़ते हुए सभी पदयात्री संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत दुर्गा सोरेन के घर पहुंचे। उनके घर पहुंच कर उनसे बातचीत किया। उन्होंने जीवन के बेहतरी के लिए प्रेम को महत्वपूर्ण बताया। और संथाली में एक कविता दुलड सुनाया। पद यात्रियों में साथ चलने वाले नाचा शैली थिएटर के विशेषज्ञ निसार अली के नेतृत्व में एक गीत प्रस्तुत किया गया।
इसके बाद नोरा नदी के किनारे पिकनिक प्लेस पर पद यात्रियों के द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। इसके बाद नदी किनारे पदयात्रियों ने भोजन का आनंद उठाया। इसके बाद नाचते गाते हडतोपा के लिए यात्रा प्रस्थान किया। बीच रास्ते में नोरा ब्रिज पारकर यात्रा बसंती चौक , मुर्गाघुटु पर गीतों की स्थिति करते हुए हडतोपा गांव पहुंची। इस गांव में पहुंचते ही रामचंद्र मारडी और उर्मिला हांसदा के नेतृत्व पद यात्रियों का भव्य स्वागत किया गया। इस यात्रा में नासिक आईपीटीए के तलहत एवं संकेत भी जुड़ गए हैं।