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चीन की चाल और अफगानिस्तान मित्र। क्या दुनियां के लिए नया खतरा बनने जा रही है यह दोस्ती, आइये जानते हैं।

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वर्ल्ड पॉलिटिक्स में एक नया अध्याय लिखने को तैयार चीन और तालिबान। 

वर्ल्ड पॉलिटिक्स में कुछ नया देखने को मिल सकता है क्योंकि अब पड़ोसी देश चीन ने अपना राजदूत अफगानिस्तान भेजा है।  जहां अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने उनका जोरदार स्वागत किया। तालिबान सरकार में विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने कहा कि झाओ शेंग का नॉमिनेशन अफगानिस्तान के लिए बड़ी बात है और यह अपने आम में एक अच्छा संदेश मानते है। 

विश्व को परेशान करने वाले दो देशों का मिलना विश्व के लिए खतरे की घंटी बन सकती है। ऐसा पहली बार है जब अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठन तालिबान ने सरकार बनाई और अफगानिस्तान को टेकओवर के बाद किसी देश के राजदूत का अफगानिस्तान में इस स्तर पर स्वागत हुआ है। 

विश्व को महामारी की चपेट में धकेलने वाला चीन उससे जा मिला है जो इंसानियत का क़त्ल करने से भी नहीं कतराते। तालिबानियों की हरकत पूरा विश्व जनता है।  एक तरह से हम कह सकते हैं की इंसानियत के दो दुश्मन मुल्क एक हो गए हैं। अब विश्व पर इसका क्या असर होगा सोचने वाली बात है। 

हालाँकि वर्तमान समय में अफगानिस्तान आर्थिक संकटों से जूझ रहा है। अशरफ गनी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के बाद अफगानिस्तान की हालत बद्तर बनी हुई है। अफगानिस्तान का विदेशी बैंकों में जमा फंडिंग भी फ्रीज कर दिया गया है। जिसके  बाद से ही तालिबान अफगानिस्तान को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है। वहीँ पश्चिमी देशों ने भी अफगानिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध भी लगा दिया है। जिससे विदेशी मदद नहीं मिल पा रही है। वहीँ कंपनियां भी वहां जाने से कतरा रही हैं। ऐसे में चीन का अफगानिस्तान के लिए यह दुलार विश्व को शंका भरी दृष्टि से देखने को मजबूर करता है। 

बता दें की चीनी राजदूत झाओ की कार जब बुधवार को पुलिस के काफिले के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंची तब तालिबानी सैनिकों ने उनका स्वागत किया। तालिबानी अधिकारियों एवं प्रशासन के प्रमुख मोहम्मद हसन अखुंद और विदेश मंत्री मुत्ताकी सहित अन्य अधिकारीयों से मुलाकात की। अफगानिस्तान में स्थित चीनी दूतावास ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि यह पॉलिटिकल फ्रेमवर्क बनाने, उदारवादी नीतियां अपनाने, “आतंकवाद” से लड़ने और अन्य देशों से दोस्ती कायम करने की दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश है। 

तालिबानी सरकार यह मान रही है कि चीनी राजदूत का यह दौरा अन्य देशों को एक पैगाम देगा और अन्य देश पहले की तरह ही  अफगानिस्तान के साथ संबंधों को लेकर फिर से आगे आएंगे। चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि अगर सबकुछ ठीक रहता है तो आगे भी बातचीत बढ़ेगी और चीन-अफगानिस्तान के बीच सहयोग बढ़ेगा। 

हालाँकि अफगानिस्तान के तालिबानी नेताओं पर अन्य देशों द्वारा  प्रतिबंध लगाया गया है। अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार को किसी भी देश ने स्वीकार नहीं किया है और मान्यता नहीं दी है। क्योंकि उसने जबरजस्ती सत्ता हासिल की है। वहीँ चीन के द्वारा किया गया यह कृत्य कुछ और ही बयां करती हैं। 

बता दें की चीन विश्व का ऐसा पहला देश है जो अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार के तरफ कदम बढ़ा रहा है। हालांकि, राजदूत भेजने को लेकर चीन ने अभी साफ नहीं किया है कि वे तालिबानी शासन को मान्यता देंगे या नहीं। अफगानिस्तान में कब्जे के बाद तालिबानी सरकार के कई नेताओं पर नए सिरे से प्रतिबंध लागू किए गए थे। वहीँ कई तालिबानी नेताओं पर पहले से ही प्रतिबंध लगे थे। 

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