गरीबी एक ऐसा अभिशाप है जिसकी वजह से आदमी नर्क जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हो जाता है। बता दें कि गरीबी के कारण एक ऐसी ही घटना जमशेदपुर शहर में भी घटी। बारीडीह के रहने वाले 17 वर्षीय युवक रमेश (काल्पनिक नाम) गरीबी के कारण युवावस्था में ही अपने वृद्ध माता-पिता और 21 वर्षीय बहन को छोड़कर दुनियाँ को अलविदा कह गये। घर को संभालने और कमाने वाला लड़का ही जब दुनियाँ छोड़ गया तो वृद्ध माता-पिता कैसे इस सदमे को सहन कर पाएंगे।
आपको बता दें कि रमेश की मृत्यु शायद नहीं हो पाती और आज रमेश अपने परिवार के पास होता यदि वह भी धनवान होता। लेकिन गरीबी और पैसों की कमी के कारण उसका उचित इलाज न हो सका और वह काल के गाल में समा गया।
उसको दोनों किडनी पहले ही खराब हो चुकी थी। गरीबी और पैसों की तंगी के कारण वह इलाज ठीक से नहीं करवा पता था। अपना इलाज करवाये या परिवार का पेट भरे उसकी यह चिंता सबसे पहली थी इसलिए उसने महंगी दवाईयां और महंगा इलाज कराने का विचार ही छोड़ दिया। धीरे-धीरे उसकी यह समस्या गंभीर हो गई जिस कारण शरीर का अंदरूनी अंग सड़ गया। और अंततः वह ईलाज के बगैर ही अंदर ही अंदर तड़प कर मर गया।
गरीबी क्या होती ही कोई रमेश की कहानी से सिख ले। घर की जिम्मेदारी अब अकेली बहन पर आ गयी है। बहन के पास रमेश का श्राद्ध कर्म करने के लिए भी पैसा नहीं था।
राशन सामग्री के साथ युवा समाजसेवी मुकुंद झा |
लेकिन कहते हैं जिसका कोई नहीं, उसका भगवान होता है। इसकी जानकारी जब समाजसेवी युवा मुकुंद झा को चली तो उन्होंने फौरन अपने सहयोगियों की सहायता से घर का राशन के साथ ही श्राद्ध कर्म के समान और कुछ रुपयों की व्यवस्था कर मृतक रमेश के यहां पहुंचाया। साथ ही आने वाले समय में दोनों बुजुर्गो को भरपूर सहयोग देने का आश्वासन दिया।
इस नेक कार्य में मुकुंद झा के अलावा उनके सहयोगियों में मुख्य रुप से अंजलि, ललित कंचन और माधुरीजी शामिल हुए।