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कोरोना में भारतीयों ने बनाया स्विसबैंक को अरबपति।

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सबसे आश्चर्यजनक बात है कि इस महामारी के दौर में जहां मिडिल क्लास और उससे नीचे वाले लोगों की अर्थव्यवस्था डगमगा गई हैं। वहीं कुछ भारतीयों ने अपनी सम्पत्ति में वृद्धि की है। क्या यह आपदा में अवसर वाले लोग हैं या कहानी कुछ और ही है?

आइये जानते हैं वित्त मंत्रालय ने इस विषय में क्या कहा है?

वित्त मंत्रालय ने खबरों का किया खंडन

स्विट्ज़रलैंड में भारतीयों द्वारा रखे गए कथित काले धन के बारे में समाचार माध्यमों से आई थी खबर। 

वित्त मंत्रालय द्वारा स्विस बैंक में जमाराशियों में हुई वृद्धि/कमी को सत्यापित करने के लिए स्विस अधिकारियों से मांगी गई सूचना।

New Delhi : दिनांक 18 जून, 2021 को भारतीय मीडिया में ऐसी खबरें सामने आई हैं जिनमें यह कहा गया कि स्विस बैंकों में भारतीयों की कुल धनराशि 2019 के अंत में 6,625 करोड़ रुपये (सीएचएफ 899 मिलियन) से वृद्धि करते हुए  2020 के अंत में 20,700 करोड़ रुपये (सीएचएफ 2.55 बिलियन) हो गई है। वहीं खबरों में यह बताया गया कि यह आंकड़ा पिछले 13 सालों में जमा होने वाली राशि में सबसे अधिक है।

वित्त मंत्रालय ने बताया कि – “मीडिया में आई खबरें इस तथ्य की ओर इशारा करती हैं कि खबरों में शामिल किए गए आंकड़े बैंकों द्वारा स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) को बताए गए आधिकारिक आंकड़े हैं और वे स्विट्जरलैंड में भारतीयों द्वारा रखे गए कथित काले धन की मात्रा का संकेत नहीं देते हैं। इसके अलावा, इन आंकड़ों में वह पैसा शामिल नहीं है जो भारतीयों, एनआरआई या अन्य लोगों ने स्विस बैंकों में किसी तीसरे देश की संस्थाओं के नाम पर रखा हो सकता है।”

वास्तव में साल 2019 के अंत में ग्राहकों की जमा राशि में गिरावट आई है। 

यहां यह बताना उचित होगा कि भारत और स्विटजरलैंड कर – मामलों में पारस्परिक प्रशासनिक सहायता से संबंधित बहुपक्षीय सम्मेलन (एमएएसी) के हस्ताक्षरकर्ता हैं और दोनों देशों ने बहुपक्षीय सक्षम प्राधिकार समझौते (एमसीएए) पर भी हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत दोनों देशों के बीच कैलेंडर वर्ष 2018 और उससे आगे की अवधि के लिए सालाना आधार पर वित्तीय खाते की जानकारी साझा करने के लिए सूचना के स्वत: आदान-प्रदान (एईओआई) की व्यवस्था सक्रिय है।

लेकिन आपको बता दें कि दोनों देशों के निवासियों से संबंधित वित्तीय खाते की जानकारी का आदान-प्रदान वर्ष 2019 और 2020 में भी हुआ है। वित्तीय खातों की जानकारी के आदान-प्रदान की वर्तमान कानूनी व्यवस्था (जिसका विदेशों में अघोषित परिसंपत्तियों के जरिए होने वाली कर – चोरी पर एक महत्वपूर्ण निवारक प्रभाव है) को देखते हुए, भारतीय निवासियों की अघोषित आय से स्विस बैंकों में वृद्धि की कोई महत्वपूर्ण संभावना नहीं दिखाई देती है।

वित्त मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि:

निम्नलिखित बातें जमाराशियों में हुई वृद्धि की प्रभावी तरीके से व्याख्या कर सकते हैं-

व्यापारिक लेनदेन में वृद्धि के कारण स्विट्जरलैंड में स्थित भारतीय कंपनियों द्वारा जमा राशि में बढ़ोत्तरी।

भारत में स्थित स्विस बैंक की शाखाओं के कारोबार के कारण जमा में वृद्धि।

स्विस और भारतीय बैंकों के बीच अंतर-बैंक लेनदेन में वृद्धि।

भारत में स्थित किसी स्विस कंपनी की 
सहायक कंपनी की पूंजी में वृद्धि और बकाया डेरिवेटिव वित्तीय लिखतों से जुड़ी देनदारियों में वृद्धि।

ऊपर बताई गई बातें मीडिया की खबरों के आलोक में स्विस अधिकारियों से जमाराशि में वृद्धि/कमी के संभावित कारणों के बारे में अपनी राय के साथ उपयुक्त तथ्य प्रदान करने का अनुरोध किया गया है।

आशा है जल्द ही इस पर रिपोर्ट आ जायेगी। तभी वास्तविक जानकारी प्राप्त हो पाएगी।

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