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एनआईटी जमशेदपुर में “रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन” पर उन्नत ईएसडीपी का सफल समापन

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जमशेदपुर, 9 दिसंबर 2024: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), जमशेदपुर में “शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विविध और बदलती विद्युत मांग को पूरा करने के लिए रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन” पर आयोजित उन्नत उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम (एडवांस्ड ईएसडीपी) का आज सफल समापन हुआ। यह पांच दिवसीय कार्यक्रम 3 दिसंबर से 7 दिसंबर 2024 तक आयोजित किया गया था और इसे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई), भारत सरकार द्वारा प्रायोजित किया गया।

इस कार्यक्रम में नवीकरणीय ऊर्जा, सौर प्रौद्योगिकी और उद्यमिता के क्षेत्र में देश के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने भाग लिया। प्रमुख वक्ताओं में प्रो. भीम सिंह (आईआईटी दिल्ली), डॉ. राम कृष्ण (एनआईटी जमशेदपुर), डॉ. शैलेंद्र कुमार (आईआईटी भिलाई), डॉ. ओम हरि गुप्ता (एनआईटी जमशेदपुर), डॉ. दिनेश कुमार (एनआईटी जमशेदपुर), श्री मौलिक कुमार राणापारा (एमवीपी एंटरप्राइजेज), श्री सागर सौरभ (गियर इंक., कोलकाता), और श्री स्वामीनंद सिन्हा (रामसेतु इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल सॉल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड) शामिल थे।

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कार्यक्रम में सौर रूफटॉप इंस्टॉलेशन के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं, विपणन रणनीतियों, ग्राहक संबंध प्रबंधन, सुरक्षित कार्य पद्धतियों, और सोलर सिस्टम के रखरखाव जैसे विषयों पर गहन चर्चा की गई। सत्रों को प्रतिभागियों के तकनीकी कौशल को बढ़ाने और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में उनके उद्यमशील प्रयासों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया था।

समापन समारोह में सफल प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। प्रमाण पत्र डॉ. कनिका प्रसाद, डॉ. ओम हरि गुप्ता, डॉ. दिनेश कुमार और डॉ. राम कृष्ण द्वारा वितरित किए गए। उन्होंने प्रतिभागियों की लगन और सक्रिय भागीदारी की सराहना की।

कार्यक्रम का आयोजन एनआईटी जमशेदपुर के निदेशक प्रो. गौतम सूत्रधार के संरक्षण और अनुसंधान एवं परामर्श (आर एंड सी) डीन प्रो. एम.के. सिन्हा की अध्यक्षता में किया गया।

प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम में भाग लेकर विशेषज्ञों से सीखने और व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह अनुभव उनके पेशेवर विकास और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में उद्यमशीलता के प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

एनआईटी जमशेदपुर की यह पहल कौशल विकास और सतत ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जो भारत के हरित और आत्मनिर्भर भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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