नोटबंदी की घोषणा आज के दिन वर्ष 2016 को रात 8 बजे की आधी रात से लागू की गई। मोदी जी के इस ऐलान के बाद ही पूरे देश में हलचल मच गई। देश के कई कोनों से 1000 और 500 के नोट जहां तहां फेंकें मिले। वहीं कई दिनों तक बैंकों के बाहर घंटों लोग लंबी-लंबी कतारों में लगे रहें।
आज ही की रात प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के भारतीय नोटों की बंदी का ऐलान किया था।
New Delhi : सोमवार 08 नवम्बर, 2021
नोटबन्दी के ओर 5 साल बीत चुके हैं। इसका अनुकूल प्रभाव क्या रहा यह न जानता जान पाई और न ही विपक्ष। नोटबन्दी को लेकर देश में कोलाहल भी बहुत हुआ। आज 5 वर्ष बीत जाने के बाद कई राजनीतिज्ञों ने प्रधानमंत्री मोदी जी को घेर लिया है।
अगर नोटबंदी सफल थी तो
भ्रष्टाचार खत्म क्यों नहीं हुआ?
कालाधन वापस क्यों नहीं आया?
अर्थव्यवस्था कैशलेस क्यों नहीं हुई?
आतंकवाद पर चोट क्यों नहीं हुई?
महंगाई पर अंकुश क्यों नहीं लगा?#DemonetisationDisaster
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 8, 2021
आज नोटबंदी को ५ साल पूरे हो गए,
ना कला धन वापस आया, ना भ्रष्टाचार काम हुआ और ना आतंकवाद बंध हुआ.
मोदी जी ने ३ महीने मांगे थे, अब वह ही बता दे के हमे किस चौराहे पर आना है
— Nawab Malik نواب ملک नवाब मलिक (@nawabmalikncp) November 8, 2021
नोटबंदी की घोषणा कब हुई?
नोटबन्दी (अवैध किये गए 500 और 1000 रुपये के नोट) की घोषणा 8 नवम्बर 2016 को रात 8 बजे भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने की थी। इस घोषणा के बाद से ही यह नियम 8 नवम्बर 2016 की आधी रात से लागू हो गई। इस घोषणा के बाद से पूरे देश में अफरातफरी का माहौल बन गया था।
हज़ार और पांच सौ के नोटों को बदलने और खर्च करने के लिए लोग बाज़ार निकल चुके थे।
कई दिनों तक बैंकों के बाहर लंबी-लंबी कतारें लगने लगीं थीं। बैंक 1000 और 500 के नोटों को वापस लेकर 2000 या अन्य नोट दे रही थी। वैसे वर्तमान में 2000 के नोट भी बाजार से गायब हो रहे हैं।
क्या आप जानते हैं, नोटबन्दी क्यों कि गई या नोटबन्दी करने के पीछे का कारण क्या था?